Madhya Pradesh Chunav 2018: महाकोशल की 38 सीटों पर महामुकाबला

महाकोशल क्षेत्र में 38 विधानसभा सीट हैं। 2013 के चुनाव में भाजपा ने 24 सीट, तो कांग्रेसे ने 13 पर जीत दर्ज की थी। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इस क्षेत्र में आठ जिले जबलपुर, कटनी, डिंडौरी, मंडला, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा जिले शामिल हैं। भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने अपने मिशन 2018 में महाकोशल का काफी महत्व दिया है। जानिए इस क्षेत्र की सियासत की खास बातें –

महाकौशल: 8 जिले, 38 विधानसभा, 1 संभाग

1. जबलपुर (8 सीट): पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पश्चिम, पनागर, सीहोरा

2. छिंदवाड़ा (7 सीट): जुनारदेव, अमरवाड़ा, चौरई, सौंसर, छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्णा

3. कटनी (4 सीट): बड़वारा, विजयराघवगढ़, मुड़वारा, बहोरीबंद

4. बालाघाट (6 सीट): बैहर, बालाघाट, परसवाड़ा, लांजी, बारासिवनी, कटंगी

5. नरसिंहपुर (4 सीट): गोटेगांव, नरसिंहपुर, तेंदूखेड़ा, गाडरवाड़ा

6. सिवनी (4 सीट): बरघाट, सिवनी, केवलारी, लखनादौन

7. मंडला (3 सीट): बिछिया, निवास, मंडला

8. डिंडौरी (2 सीट): डिंडौरी, शाहपुरा

दिग्गज नेता: भाजपा-कांग्रेस, दोनों के अध्यक्ष महाकोशल से

इस क्षेत्र में सांसद राकेश सिंह भाजपा के बड़े नेता हैं। साथ ही अजय विश्नोई, जालम सिंह, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, अंचल सोनकर और अशोक रोहणी भी गहरी पैठ रखते हैं।  कमलनाथ यहां कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं। इस तरह भाजपा और कांग्रेस, दोनों के प्रदेश अध्यक्ष महाकोशल से है।

महाकोशल की 10 सीटें, जहां इस बार कांटे की टक्कर

विधानसभा भाजपा कांग्रेस मौजूदा विधायक
 पाटन  अजय विष्णोई  नीलेश  अवस्थी  कांग्रेस
 जबलपुर पूर्व  अंचल सोनकर लखन घनघोरिया  भाजपा
 जबलपुर पश्चिम  हरेंद्रजीत सिंह  तरुण भनौत  कांग्रेस
 बिछिया  शिवराज शाह  नारायण सिंह पट्टा  भाजपा
 बालाघाट  गौरीशंकर बिसेन  विश्वेश्वर भगत  भाजपा
 वारासिवनी  योगेंद्र निर्मल  संजय सिंह मसानी  भाजपा
 तेंदुखेड़ा  मुलायम सिंह कौरव  संजय शर्मा  भाजपा
 सिवनी  दिनेश राय  मोहन सिंह  निर्दलीय
 कटंगी  के.डी. देशमुख  तमलाल सहारे  भाजपा
 लांजी  रमेश भटेरे  श्रीमती हिना लिखिराम  कांग्रेस

इसलिए खास है महाकोशल

यूं तो महाकोशल में 38 विधानसभा सीटे हैं, लेकिन इनकी सियासत का असर विंध्य और बुंदेलखंड की सीटों पर भी पड़ता है। नर्मदा का मुद्दा लगातार उठा है, जो सबसे ज्यादा महाकोशल के जिलों से होकर गुजरती है। यही कारण है कि पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा निकाली। उसके छह महीने बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी नर्मदा यात्रा शुरू कर दी।

भाजपा ने इस तरह किया फोकस

महाकोशल-विंध्य को प्रतिनिधित्व देने के लिए भाजपा ने सांसद राकेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। राकेश सिंह को पार्टी की कमान मिलने से प्रदेश की राजनीति में महाकोशल का कद बढ़ गया। जबलपुर से तीन बार के सांसद और लोकसभा में मुख्य सचेतक राकेश सिंह को पार्टी ने जवाबदारी देकर अनदेखी के दर्द को वोट में बदलने का प्रयास किया है। भारतीय जनता युवा मोर्चा की कमान भी जबलपुर के हाथ में है।

यह रही कांग्रेस की रणनीति

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा कांग्रेस को एकजुट करने के लिए जबलपुर में लगातार काम करते रहे। उन्होंने दिग्गज नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए लगातार पार्टी हाईकमान से समन्वय किया। जबलपुर में वार रूम की स्थापना की है जहां से पूरे प्रदेश कांग्रेस में समन्वय की कोशिश की गई।