भगवा गढ़ में पंजा के भंवर में उलझे भाजपा प्रत्याशी

मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाले इंदौर शहर की पहचान राजनैतिक रुप से भगवा गढ़ के रुप में भी है। अब भाजपा का यह गढ़ इस चुनाव में ढहता नजर आ रहा है। मौजूदा दौर में इस शहर के तहत आने वाली नौ विधानसभा सीटों में से भाजपा के पास आठ व कांग्रेस के पास एक सीट है। लेकिन इस बार जिस तरह से भाजपा प्रत्यााशी कांग्रेस के चुनावी भंवर में फंसे है उससे माना जा रहा है कि इस बार यह भगवा गढ़ ढह सकता है। इसकी वजह है कांगे्रस द्वारा दी जाने वाली कड़ी टक्कर। अगर इस शहर के 2003 के चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो उस समय चुनाव में भाजपा ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं कांग्रेस को दो सीटों पर ही सफलता

मिली थी। इसके बाद वर्ष 2008 के चुनाव में बीजेपी को पांच, जबकि कांग्रेस को चार सीटों पर जीत हासिल हुई थी , लेकिन बीते चुनाव में जब कांग्रेस पूरी तरह से गुटबाजी में उलझी हुई थी तब भाजपा ने फायदा उठाते हुए लगभग पूरे शहर पर कब्जा जमा लिया। बीजेपी ने इंदौर की नौ में से आठ सीटों पर कब्जा कर लिया था। अब प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर है जिसकी वजह से स्थित उलट दिख रही है। शहर में प्रभुत्व को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के बीच राजनैतिक अदावत का असर टिकट बंटवारे पर पूरी तरह से दिख है, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है।
इंदौर तीन पर बड़ी चुनौती
आकाश को महू से नहीं, बल्कि इंदौर-3 सीट से टिकट मिला है, जहां उनके खिलाफ अश्विनी जोशी चुनाव लड़ रहे हैं। अश्विनी जोशी ने 2003 में बीजेपी के पक्ष में हवा होने के बावजूद जीत हासिल की थी। वहीं सुमित्रा महाजन अपनी करीबी सहयोगी मधु वर्मा को राऊ से टिकट दिलाने में कामयाब रही। सियासी प्लानिंग में इस अप्रत्याशित बदलाव ने विजयवर्गीय और उनके बेटे को निराश किया है। पार्टी काडर भी यहां उत्साहित नहीं है, क्योंकि 2013 में भारी जीत के बावजूद शिवराज सिंह चौहान ने यहां से जीतकर आए किसी भी नेता को अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी थी। इसके अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठान वाले इस शहर को नोटबंदी और जीएसटी की बड़ी मार सहनी पड़ी थी, व्यापारी अब भी इन दो झटकों से नाखुश हैं और विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है।
इंदौर की सभी नौ सीटों पर यह है स्थिति
इंदौर-1
कांग्रेस ने इस सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता के परिवार से आने वाले संजय शुक्ला को वर्तमान बीजेपी विधायक सुदर्शन गुप्ता के खिलाफ खड़ा किया है। सत्ता विरोधी लहर के कारण गुप्ता को अपनी ही पार्टी के सदस्यों के गुस्से का सामना करना पड़ा था।
इंदौर-2
बीजेपी के रमेश मेंदोल के खिलाफ कांग्रेस ने इस सीट से वकील मोहन सेंगर को खड़ा किया है, जिसके बाद इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। जहां एक तरफ मेंदोल पर निर्वाचन क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं, तो दूसरी तरफ मोहन सेंगर ने मैरिज हॉल और इंग्लिश स्कूल बनवाने जैसे कई वायदे करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।
इंदौर-3
इस सीट से बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है, क्योंकि उनके बेटे आकाश यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। विजयवर्गीय ने पहले कहा था कि वह अपने बेटे के लिए प्रचार नहीं करेंगे, लेकिन अब वह दिन-रात एक करके अपने बेटे की जीत सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विनी जोशी इस सीट पर आकाश के खिलाफ खड़े हैं। जोशी जमीनी नेता माने जाते हैं और उनकी छवि भी अच्छी है, वहीं स्थानीय बीजेपे नेता उनके क्षेत्र में विजयवर्गीय के प्रवेश से खुश नहीं हैं।
इंदौर-4
भगवा लहर के चलते इस निर्वाचन क्षेत्र को इंदौर का अयोध्या कहा जाता है। यहां बीजेपी के टिकट से मेयर मालिनी गौर चुनाव क्षेत्र में हैं, जिनके कार्यकाल में इंदौर को दो बार भारत के सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया। सत्ता विरोधी लहर के बावजूद उनकी सीट सेफ नजर आ रही है। यहां से कांग्रेस के सुरजीत सिंह चड्ढा खड़े हैं।
इंदौर-5
इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां बीजेपी के मौजूदा विधायक महेंद्र हार्डिया और कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल दोनों ही बहुत ही सौहार्दपूर्ण तरीके से चुनाव लड़ रहे हैं। हार्डिया की क्षेत्र में मजबूत पकड़ को देखते हुए चुनाव में उनका पलड़ा भारी माना जा रहा है। हालांकि सत्यनारायण पटेल भी इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं।
महू
बीजेपी ने इंदौर-3 की विधायक ऊषा ठाकुर को महू से टिकट दिया है, जो मुस्लिमों के खिलाफ अपने उग्र बयान के लिए जानी जाती हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता अंतर सिंह दरबार यहां से चुनाव लड़ रहे हैं, जो स्थानीय लोगों के साथ अच्छे संबंधों के चलते मजबूत नजर आ रहे हैं।
संवेर
इस सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी सहयोगी तुलसीराम सिलवाट बीजेपी के मौजुदा विधायक राजेश सोनकर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। तुलसीराम सिलवाट 2013 में चुनाव हार गए थे।
दैपालपुर
बीजेपी की तरफ से इस सीट पर मौजुदा विधायक मनोज पटेल खड़े हैं। उन्हें भी पांच साल तक गायब रहने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक जगदीश पटेल के बेटे विशाल पटेल को टिकट दिया है।
राऊ
राऊ में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर है. यहां से कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी पूर्व इंदौर विकास प्राधिकरण की चेयरमैन मधु वर्मा के खिलाफ खड़े हैं। पूरे राज्य की जिम्मेदारी होने के बावजूद जीतू पटवारी मतदाताओं से संपर्क साधने और प्रचार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।