बुंदेलखंड अंचल में भाजपा सरकार के खिलाफ फैले असंतोष के बीच भाजपा संगठन के एक प्रभावशाली नेता की जिद ने इस अंचल के पन्ना जिले में सभी प्रत्याशियों के सामने बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। दरअसल एक नेता की जिद ने पिछला चुनाव हार चुके अपने चहेते नेता बृजेन्द्र प्रताप सिंह को प्रभावशाली नेताओं व निर्वत्तमान मंत्री कुसुम महदेले को दरकिनार कर चुनावी मैदान में उतार दिया। ब्रजेन्द्र प्रताप को पार्टी ने पहले पवई से और फिर बाद में पन्ना से उम्मीदवार बनाया। इससे पार्टी की वरिष्ठ मंत्री कुसुम मेहदेले टिकट कटने से नाराज हैं।
नाराजगी इसलिए और ज्यादा है कि पन्ना में टिकट देने में भी उनकी मंशा का ख्याल नहीं रखा गया। पूर्व मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह व मेहदेले के बीच कभी भी पटरी नहीं बैठी। बृजेन्द्र का क्षेत्र भी पवई है। मेहदेले ने पार्टी से बगावत तो नहीं की लेकिन अपनी नाराजगी का सार्वजनिक तौर पर कर अपने समर्थकों को जरुर संदेश दे दिया। यही नाराजगी अब भाजपा पर भारी पड़ रही है। पार्टी के इस निर्णय से इस जिले के यादव , लोधी और ब्राहण मतदाता भाजपा से नाराज हैं।
सपा बसपा ने बिगाड़ा समीकरण
पन्ना से भाजपा की कुसुम मेहदेले की ताकत लोधी एवं यादव वोट रहे हैं। सवर्णों का सहयोग उन्हें भाजपा का परंपरागत वोट होने की वजह से मिल जाता था पर इस बार मेहदेले को टिकट न मिलने से लोधी समाज नाराज है और सपा एवं बसपा ने क्रमश: यादव समाज से दशरथ सिंह यादव एवं अनुपमा यादव को मैदान में उतार दिया है। इसकी वजह से इस बार भाजपा के पास यादव वोट भी नहीं है ऐसे में कांगे्रस के शिवजीत सिंह ‘राजा भैया’ को लाभ मिल सकता है।
पवई में तीन कोणीय मुकाबला
पवई क्षेत्र के भाजपा नेता बृजेन्द्र प्रताप सिंह को भाजपा ने पन्ना भेज दिया है बावजूद इसके कांगे्रस के वरिष्ठ नेता मुकेश नायक की मुश्किल कम नहीं हुई हैं। भाजपा ने उनके सामने सपा प्रत्याशी प्रहलाद सिंह लोधी को तोडक़र पार्टी का टिकट दिया है वहीं दूसरी ओर पवई से विधायक रहे अशोकवीर विक्रम सिंह भैया राजा स्वर्गवासी हो चुके हैं लेकिन उनका बेटा भुवन विक्रम सिंह सपा के टिकट पर मैदान में है। भुवन की वजह से नायक की परेशानी बढ़ा दी है और वे त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं।
गुन्नौर में कांटे का मुकाबला
पन्ना जिले की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गुन्नौर विस सीट पर इस बार भाजपा और कांगे्रस के बीच कांटे के मुकाबले के हालात हैं। भाजपा ने यहां अपने मौजूदा विधायक महेंद्र सिंह का टिकट काटकर पूर्व विधायक को प्रत्याशी बनाया है तो कांगे्रस ने पिछला चुनाव हारे शिवदयाल बागरी पर फिर भरोसा किया है। बागरी पिछला चुनाव मामूली अंतर से हारे थे। भाजपा विधायक महेंद्र सिंह का टिकट कटने से उनसे जुड़े लोगों में नाराजगी है। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। बसपा ने यहां से इंजीनियर जीवनलाल सिद्धार्थ को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। बसपा की मौजूदगी से भाजपा कांगे्रस के समीकरण गड़बड़ा गए हैं।