कर्ज में डूबे प्रदेश पर वादों के पूरे होने का रहेगा संकट

प्रदेश में आज हो रहे मतदान के बीच जनता के बीच इस बात को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर दो लाख करोड़ के कर्ज में डूबे प्रदेश को कैसे मुक्ति मिलेगी और सरकार में आने वाला दल अपने वादों को कैसे पूरा करेंगे। दरअसल मौजूदा हालात यह है कि प्रदेश सरकार अपने रोजना के खर्च के लिए भी कर्ज लेने को मजबूर है। इस हालात के लिए मौजूदा भाजपा सरकार का खराब वित्त प्रबंधन को माना जा रहा है। ऐसे में चुनावी जीत के लिए बीजेपी, कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में तमाम वादे किए हैं। लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल ये है कि करोड़ों रुपए की घोषणा और वादें आखिर वगैर पैसे के कैसे पूरे होंगे । कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष

राहुल गांधी ने किसानों के कर्जमाफी से लेकर ‘मेड इन एमपी’ के वाब दिखाए हैं, तो बीजेपी ने कांग्रेस के ‘वचन पत्र’ के जवाब में दो अलग-अलग ‘दृष्टि पत्र’ जारी कर लोक लुभावन वादे किए हैं। दरअसल, साल दर साल प्रदेश पर बढ़ रहे कर्ज के बाद राजनैतिक दल अपनी दृष्टि और वचन को पूरा कैसे करेंगे, ये अब सवाल बड़ा हो चला है। एमपी में किसानों के लिए कर्ज माफ़ी का ऐलान कांग्रेस ने बहुत पहले कर दिया था वहीं बीजेपी ने घोषणा पत्र में किसानों के लिए बोनस की बात कही है। वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में गरीबों को पांच लाख में आवास देने की घोषणा की है। इसमें किसानों के लिए दुर्घटना बीमा भी शामिल किया गया है। वहीं सपा ने भी यह ऐलान किया है कि किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाएगा।
कांग्रेस ने यह किए वादे
– 81 लाख किसानों के दो लाख तक की कर्ज माफी (75 हजार 8 सौ करोड़)
– सभी ग्राम पंचायत में गौशाला खोली जाएगी (10 हजार करोड़)
– विवेकानंद युवा शक्ति मिशन के तहत युवाओं रोजगार (4 हजार रुपये 3 सौ करोड़)
– सामाजिक सुरक्षा पेंशन 3 सौ से बढ़ाकर 1 हजार रुपए (4 हजार करोड़)
– 100 यूनिट बिजली पर बिल एक रुपए प्रति यूनिट की दर पर (4 हजार करोड़)
– महिला स्व-सहायता समूह पर बकाया लोन माफ करना (डेढ़ सौ करोड़)
– दूध पर किसानों को 5 रुपए प्रति लीटर बोनस (183 करोड़ सालाना)
भाजपा के दावे
ऐसा नहीं है कि सिर्फ कांग्रेस ने ऐसे ‘वचन’ दिए हैं। विकास कार्यो के नाम पर बार-बार कर्ज ले चुकी बीजेपी सरकार के भी अपने अलग तर्क हैं। सरकार की फिजूलखर्चा व खराब वित्त प्रबंधन से प्रदेश का खजाना पूरी तरह से खाली हो चुका है।
– छोटे किसानों के खाते में बोनस का पैसा सीधे देने, छात्राओं को स्कूटी देने का वादा
– नर्मदा और चंबल एक्सप्रेस बनाने,नर्मदा-मालवा प्रोजेक्ट पूरे करने का वादा
– ग्वालियर और जबलपुर मेट्रो शुरु करने का ऐलान पहले से ही
– 10 लाख स्वरोजगार के अवसर पैदा करने
– नए इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने का ऐलान कर चुकी है।
यह है वास्तविकता
इसके लिए भी करोड़ों की जरुरत होगी, लेकिन सरकार के आय स्रोत बताते हैं कि कांग्रेस का ‘वचन’ और बीजेपी की ‘दृष्टि’ पूरी होने में मुश्किल है। राज्य की आय- 2018-19 में स्टेट टैक्स और अन्य स्रोतों को मिलाकर कुल 65 हजार करोड़ की है। 40,728 करोड़ वेतन-पेंशन पर खर्च, 12,154 करोड़ ब्याज भुगतान पर खर्च होंगे, सभी खर्चे निकालकर सरकार के पास 11,994 करोड़ बचेंगे। सवाल यहीं है कि कम बजट में बीजेपी का दृष्टि पत्र और कांग्रेस वचन कैसे पूरा होगा।