2013 से अलग था 2018 का चुनाव, रैलियां करते रहे नेता पर खमोश रही जनता; मोदी लहर का भी टूटा रिकार्ड

2013 से अलग था 2018 का चुनाव, रैलियां करते रहे नेता पर खमोश रही जनता; मोदी लहर का भी टूटा रिकार्.

2013 से अलग था 2018 का चुनाव, रैलियां करते रहे नेता पर खमोश रही जनता; मोदी लहर का भी टूटा रिकार्ड

भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है और 11 दिसंबर को परिणाम घोषित किये जाएंगे। 2013 के मुकाबले 2018 में ज्यादा वोटिंग हुई है। इस बार 75 फीसदी वोटिंग हुई है। हालांकि इस बार का चुनाव 2013 के मुकाबले काफी अलग था। मध्यप्रदेश में ऐसा साइलेंट चुनाव पहली बार देखा गया है। इस बार चुनाव में मुद्दे कौन से थे लोगों की जुबान में चढ़े ही नहीं। चुनावी मौसम में ऐसा कोई स्लोगन (नारा) नहीं था जिसे याद किया जा सके। देश में जब चुनावी नारों की याद आती है तो तो सबसे पहले जय प्रकाश नारायण का नाम याद आता है। देश में इमरजेंसी के दौरान जयप्रकाश नारायण ने पटना में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था ‘सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है, भावी इतिहास तुम्हारा है।’ और ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।’ ये नारे आज भी याद किए जाते हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव में लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे नारे: 2014 के लोकसभा चुनाव में दिए गए नारों को आज भी याद किया जाता है। नरेन्द्र मोदी को एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने के बाद देश में नारों की बाढ़ आ गई थी। ‘हर-हर मोदी घर-घर मोदी।’ ‘अबकी बार मोदी सरकार’ और ‘अच्छे दिन आने वाले हैं।’ ये नारे बच्चों से लेकर बुजुर्गों की जुबान पर चढ़कर बोल रहे थे। वहीं, अगर बात मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों की जाए तो 2018 के विधानसभा चुनाव में कोई भी ऐसा नारा नहीं था जिसे याद किया जाए। वहीं, 2013 के विधानसभा में भाजपा में की तऱफ से नारा दिया गया था ‘अबकी बार, शिवराज सरकार’ जो लोगों की जुबान पर थे पर इस बार के चुनाव में ऐसा कोई नारा नहीं सुनाई दिया। इस कांग्रेस की तरफ से ‘वक्त है वदलाव’ का तो भाजपा की तरफ से ‘समृद्ध मध्यप्रदेश’ और ‘अबकी बार २०० पार’ का नारा दिया गया लेकिन दोनों ही दलों के नारे जनता की जुबान पर चढ़कर नहीं बोले। जिस नारे पर थोड़ी बहुत चर्चा हुई वो था, ‘माफ करो महाराज हमारा नेता तो शिवराज।’

shivraj singh

IMAGE CREDIT:खमोश रही जनता: इस बार के विधानसभा चुनाव में एक बार खास बात थी जनता की खामोशी, जनता को लुभाने के लिए इस बार सभा राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने अपनी ताकत झोंक दी। बड़े नेताओं ने रोड शो किया, रैलियां भी कीं, जमकर भाषण भी दिए लेकिन उनकों सुनने वालों में ज्यादातार पार्टी के कार्यकर्ता थे जनता तो ख़ामोश तमाशबीन बनकर सारा नजारा दूर से ही देखती रही। जो वोटर रैलियों की भीड़ में तब्दील होने से बचता रहा वहीं, वोटर पोलिंग बूथ पर टूट पड़ा। वोटर मतदान केन्द्रों पर इस तरह से टूटा की स्थापना के बाद से अभी तक यानी मध्यप्रदेश के 61 साल के सारे रिकॉर्ड टूट गए और प्रदेश में पहली बार 74.85 फीसदी की रिकॉर्ड वोटिंग हुई।

मोदी लहर में भी नहीं हुई थी इतनी वोटिंग: मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार कोई लहर नहीं थी जबकि इससे पहले के चुनाव में मोदी लहर थी। मोदी लहर में वोटिंग प्रतिशत पर करीब दो फीसदी की वृद्धि हुई थी। पर इस बार बिना किसी लहर के रिकार्ड मतदान हुआ। महिलाओं का मतदान 3.75 फीसदी बढ़ा तो कई ग्रामीण इलाकों में 80 फीसदी तक वोटिंग हुई। मध्यप्रदेश में मोदी लहर में 2 फीसदी वोटिंग बढ़ी थी।

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IMAGE CREDIT:सोशल मीडिया का भरपूर प्रयोग: 2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले में 2018 के विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया का जमकर प्रयोग हुआ। बड़े नेताओं के साथ-साथ प्रत्याशियों ने भी जमकर सोशल मीडिया में अपना प्रचार किया वहीं, सोशल मीडिया में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं के वीडियो भी वायरल हुए। हर नेता ने अपने कार्यक्रम और चुनावी रैलियों को जानकारी लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से दी। सोशल मीडिया में फिल्मों के फनी सीनों को एडिट कर नेताओं का चेहरा लगाकर वायरल किया गया तो। आरोप और प्रत्यारोप के लिए भा सबसे सशक्त माध्यम इस बार सोशल मीडिया ही था।