बेरोजगारी की मार से परेशान प्रदेश के युवाओं पर राज्य की भाजपा सरकार की देरी भारी पड़ रही है इसके बाद भी शिवराज सरकार ने बीते पांच सालों में स्कूल शिक्षा विभाग में कोई भी नई भर्ती करने में रुचि नहीं ली , लिहाजा प्रदेश के स्कलों को सत्तर हजार शिक्षकों व करीब तीन हजार प्राचार्यों की कमी से दो चार होना पड़ रहा है। सरकार की लापरवाही की वजह से प्रदेश भर में करीब साढ़े सात सौ मिडिल स्कूलों को हाईस्कूल में उन्नयन के बाद भी मिडिल स्कूलों के शिक्षकों के भरोसे रहना पड़ रहा है। इतना ही नहींं हेडमास्टरों को प्रभारी प्राचार्य
बनाकर काम चलाना पड़ रहा है। प्रदेश में यह स्थिति तब है जब कि शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। खास बात यह है कि इस स्थिति के बाद भी करीब सौ से अधिक प्राचार्यों को जिला मुख्यालयों में अटैच कर दिया गया है, ऐसे में स्कूलों का रिजल्ट कितना सुधरेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लाख दावे करे, किन्तु हर बार प्राचार्यों पर कार्रवाई कर शिक्षा विभाग अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। आलम यह है कि शिक्षकों की कमी अतिथि शिक्षकों से पूरी की जा रही है। यह अतिथि शिक्षक अर्हता को दरकिनार कर भर्ती किए गए हैं। ऐसे में रिजल्ट कैसे सुधरेगा।
प्राचार्य मुख्यालय में अटैच
सौ से ज्यादा प्राचार्य मुख्यालयों में अटैच हैं। अधिकारी इन्हें हटाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूलों को छोडक़र शेष स्कूलों में प्राचार्यों के 5,539 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 3,028 पद करीब तीन साल से खाली पड़़े हैं। यह मामला आरक्षण के कारण अटका हुआ बताया जा रहा है।
बीच सत्र में इन्हें किया अटैच
शाउमावि कौडिय़ा-नरसिंहपुर के विनय कुमार सिंह, मालनपुर-भिंड स्कूल के प्राचार्य संजीव कुमार शर्मा, प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान जबलपुर के आरपी चतुर्वेदी, शाउमावि नान्दनेर-नरसिंहपुर के प्राचार्य राजेश जगाती, शाउमावि भोमा-सिवनी के प्राचार्य विजय कुमार नेमा, शाउमावि अमलपुरा जिला खंडवा के प्राचार्य रमेश कुमार सेन, जीवाजीराव शाउमावि लश्कर-ग्वालियर की प्राचार्य डॉ. रेखा बाथम, शाउमावि गैरतलाई कटनी के प्राचार्य हेमंत खैरवाल, शाउमावि सेवड़ा-दतिया के प्राचार्य डॉ. परमाल सिंह गोयल, शाउमावि कायदी-बालाघाट के प्राचार्य लक्ष्मीचंद मानवटकर, हाईस्कूल छबारा-रायसेन के प्राचार्य आरएस तिवारी, शाउमावि सिंगपुर-दमोह के प्राचार्य एसके शर्मा, उत्कृष्ट शाउमावि पलेरा टीकमगढ़ के प्राचार्य ज्ञानप्रकाश अग्रवाल, शाकउमावि सीहोर के प्राचार्य चन्द्रभान तिवारी, शाकउमावि बकस्वाहा-छतरपुर सुरेन्द्र कुमार सक्सेना, शाउमावि भिण्ड के प्राचार्य रामराज सिंह सिकरवार, शाउमावि बेडिय़ा-खरगौन के प्राचार्य शैलेन्द्र कानुडे, शाउमावि खामखेड़ा- खरगौन कमलकुमार मण्डलोई, डीईओ कार्यालय जबलपुर से सुनील कुमार गुप्ता, शाउमावि इटारसी-होशंगाबाद की प्राचार्य सुश्री साधना विलथरिया, हाईस्कूल मगरखेड़ी-इंदौर से दीपक हलवे, शाउमावि विरसिंहपुर-सतना से विष्णु कुमार त्रिपाठी, हाईस्कूल चौरगढ़ी-सीधी से वरुणेन्द्र प्रताप सिंह, शाउमावि कैलवारा कटनी से अमर सिंह ठाकुर एवं शाउमावि करियावटी-ग्वालियर से प्राचार्य रंजीत सिंह चौहान को प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है।
जिलों में भी ऐसे ही हालात
जिलों में हालात और बदतर हैं। वहां कलेक्टोरेट, एसडीएम, तहसीलदार आफिस, जिला शिक्षा अधिकारी, ब्लाक शिक्षा अधिकारी, जिला परियोजना समन्वयक, विकास खंड स्त्रोत समन्वयसक सहित अन्य आफिसों मेें भी प्राचार्य अटैच हैं। एक जिले में औसत 15 प्राचार्य अटैच हैं। प्रदेश में इनकी संख्या 765 होती है यानि कि इन प्राचार्यों को स्कूलों में पहुंचाकर एक तिहाई पद भरे जा स सकते हैं।
प्रदेश में स्कूलों की तस्वीर
कुल स्कूल 12662
मिडल से 750
हाईस्कूल में उन्नयन
हायर सेकेंडरी स्कूल 3520
हाईस्कूल 3911
मिडिल स्कूल 30341
प्राथमिक स्कूल 83890
शिक्षकों के खाली पद 70000
प्राचार्यों के खाली पद 3028