सुचिता की दुहाई देने वाली भाजपा के मापदंड अपने कार्यकर्ताओं के लिए शायद अलग-अलग होते हैं। यही वजह है कि प्रदेश की शिवराज सरकार के मंत्री सुरेन्द्र पटवा को न तो सरकार से बाहर किया गया और न ही संगठन ने टिकट से वंचित किया। अब प्रदेश में नई सरकार के लिए कल मतगणना होनी है ऐसे में एक बार फिर न्यायालय ने उनके खिलाफ लंबित तीस मामलों में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इससे एक बार फिर पटवा के साथ ही भाजपा संगठन की जमकर किरकिरी हो रही है। यह वारंट पटवा के खिलाफ राजनीतिक मामलों के लिए गठित विशेष अदालत ने जारी किया है। बैंक से
संबंधित कई देनदारियों में सुरेंद्र पटवा ने 30 लोगों को करोड़ों रुपए के चेक दिए थे जो बाउंस हो गए थे। बता दें कि सुरेंद्र पटवा शिवराज सरकार में पर्यटन व संस्कृति राज्य मंत्री हैं और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे हैं। उन पर वर्तमान में करीब 34 करोड़ रुपये का कर्ज है। यही नहीं उन पर चेक बाउंस का मामला भी दर्ज है। पटवा ने एक फर्म से ब्याज पर कर्ज लिया था , जिसके भुगतान के लिए पटवा ने चेक दिए थे जो बैंक से वापस आ गए थे। पटवा का नामांकन भी विवादों में पड़़ गया था। पटवा पर आरोप था कि उन्होंने शपथ पत्र में बैंक और शिक्षा से संबंधित गलत जानकारी दी।
जारी हो चुका है नोटिस
इससे पहले बैंक ने पटवा पर बकाया 36 करोड़ रुपए के मामले में नोटिस जारी किया था। सुरेन्द्र पटवा सहित उनके परिवार के 5 लोगों के खिलाफ शोकाज नोटिस जारी किया गया था। मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने कर्जा तो लिया लेकिन उसे चुका नहीं रहे हैं। इसके बाद भी संगठन ने उन्हें विधानसभा का टिकट देकर उम्मीदवार बना दिया। हालांकि पार्टी के सर्वे में उनकी हालात अच्छी नहीं बताई गई थी। वर्तमान में उनके खिलाफ भोजपुर विधानसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद रहे सुरेश पचौरी को उनके खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है।