विधानसभा चुनाव / मंत्री की रेस में 17 विधायक, 12 को ही मिलेगी कुर्सी.

- भूपेश अकेले शपथ लेंगे, लेकिन मंत्री के नामों पर मंथन शुरू, लॉबिंग भी
मंगल भारत रायपुर. बलराम पांडे सलाहकार संपादक मंगल भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के साथ राजनैतिक विश्लेषण .
सोमवार को भले अकेले मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे, लेकिन उन्होंने अपनी कैबिनेट के गठन की कवायद भी शुरू कर दी है। संवैधानिक बाध्यता के चलते छत्तीसगढ़ में 13 मंत्री ही बनाए जाएंगे, ऐसे में मंत्रिमंडल का गठन भी बेहद कश्मकश भरा होगा।
इसके लिए भी फाॅर्मूला बनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि हर संभाग से तीन-तीन और सीएम बघेल के गृह संभाग से उनके अतिरिक्त एक ही मंत्री लिया जा सकता है। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नाम भी तय किए जाने हैं। बघेल का कहना है कि उनकी कैबिनेट में वरिष्ठता के साथ युवाओं, महिलाओं की भी हिस्सेदारी होगी। इसके बाद से इसके साथ ही चर्चाओं का दौर और विधायकों की दौड़ भी तेज हो गई है।
इधर, समर्थकों ने भी अपने नेताओं को मंत्री बनवाने के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है। इस हिसाब से भूपेश बघेल के शपथ समारोह में शक्ति प्रदर्शन दिखने की संभावना है। भास्कर आपको बता रहा हैं वो नाम जो नई कैबिनेट के सदस्य हो सकते हैं। दावेदारों में आठ पूर्व मंत्री है।
राजभवन में कहा- हालात बदल गए… ज्ञापन सौंपने नहीं, सरकार बनाने आए हैं
कांग्रेस विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भूपेश बघेल ने राजभवन में सरकार बनाने का दावा पेश किया। बघेल सभी 68 विधायकों का लिखित समर्थन के साथ पहुंचे। साथ में टीएस सिंहदेव, रविन्द्र चौबे, कवासी लखमा, अमितेष शुक्ला, शिव डहरिया समेत 30 से ज्यादा विधायक थे। इससे पहले विधायक दल की बैठक के निर्णयों की जानकारी लेने आैर दावा पत्र लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला राजभवन पहुंचे। राजभवन में भूपेश ने चुटकी भी ली कि आज परिस्थितियां बदल गई हैं। हम ज्ञापन सौंपने नहीं, सरकार बनाने का दावा पेश करने आए हैं। राज्यपाल आनंदी बेन की अनुपस्थिति में ओएसडी को दावा पत्र पेश किया।
टीएस सिंहदेव
क्यों: सरगुजा के राजा। सरगुजा संभाग से इस बार 14 सीटें जिताने में कारगर रणनीति बनाई। इनकी अगुवाई में बनाया गया घोषणा-पत्र ही कांग्रेस की जीत का आधार बना।
चरणदास महंत
क्यों: पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में प्रशासनिक अनुभव। चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे। एमपी में गृहमंत्री का अनुभव। इन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने के भी संकेत हैं।
सत्यनारायण शर्मा
क्यों: अनुभवी विधायक, दिग्विजय सिंह और अजीत जोगी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। मिलनसार व्यक्तित्व के चलते शर्मा का स्पीकर को तौर पर भी नाम लिया जा रहा है।
रविंद्र चौबे
क्यों: जनसंपर्क, पीडब्लूडी विभागों के कामकाज का अच्छा अनुभव रहा है। उनके संसदीय ज्ञान और तजुर्बे के चलते विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर भी नाम चर्चा में है।
धनेन्द्र साहू
क्यों: पार्टी के वरिष्ठ नेता। अजीत जोगी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पीसीसी अध्यक्ष भी रहे। प्रदेश में सियासी तौर पर शक्तिशाली माने जाने वाले साहू समाज से जनप्रतिनिधि हैं।
शिव डहरिया
क्यों: सतनामी समाज से अनुभवी विधायक। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, इसलिए दावेदारी।
अमरजीत भगत
क्यों: तेजतर्रार आदिवासी नेता। सरगुजा संभाग में 14 में से सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है।
खेलसाय सिंह
क्यों: अनुभवी विधायक खेलसाय सिंह भी सरगुजा संभाग से हैं। मंत्रिमंडल के लिए मजबूत दावेदारी।
लखेश्वर बघेल
क्यों: दूसरी बार विधायक। आदिवासी समाज में अच्छी पकड़। साफ-स्वच्छ छवि, मिलनसार व्यक्तित्व।
उमेश पटेल
क्यों: युवा चेहरा। स्व. नंदकुमार पटेल के बेटे हैं। हाईप्रोफाइल प्रत्याशी ओपी चौधरी को पराजित किया।
प्रेमसाय टेकाम
क्यों: जोगी सरकार में कृषि मंत्री। 6 बार के विधायक। सरगुजा में सक्रिय विधायक। आदिवासी समाज में पकड़।
अनिला भेड़िया
क्यों: लगातार दूसरी बार जीतीं। आदिवासी समाज से आती हैं। मंत्री पद के लिए दावेदारी।
कवासी लखमा
क्यों: लखमा लगातार चौथी बार विधायक बनकर आए हैं। घोर नक्सल प्रभावित इलाके से आते हैं। सदन में आक्रामक नेता की छवि। वर्तमान में उपनेता प्रतिपक्ष।
अरुण वोरा
क्यों: दुर्ग शहर से चुनाव जीतकर आए अरुण वोरा भी तजुर्बेकार विधायक हैं। हाईकमान के सबसे करीबी राष्ट्रीय महामंत्री प्रशासन मोतीलाल वोरा के बेटे हैं। सौम्य छवि है।
ताम्रध्वज साहू
क्यों: मुख्यमंत्री की दौड़ में रहे ओबीसी वर्ग के कद्दावर नेता। मंत्रिमंडल में जगह देकर उनकी नाराजगी दूर की जा सकती है। सांसद का पद छोड़कर विधायक चुनाव लड़ा।
अमितेष शुक्ल
क्यों: अनुभवी नेता। जोगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। शुक्ल परिवार के सदस्य। इस बार 58 हजार से ज्यादा वोट से चुनाव जीतेे। पार्टी आलाकमान से बेहतर संबंध।
मोहम्मद अकबर
क्यों: पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा। अनुभवी विधायक। मुख्यमंत्री के गृहनगर यानी कवर्धा से सर्वाधिक वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया। इनकी दावेदारी भी मजबूत है।
- भूपेश अकेले शपथ लेंगे, लेकिन मंत्री के नामों पर मंथन शुरू, लॉबिंग भी