तो इस कारण दिग्विजय के बेटे को नहीं मिला वित्त मंत्रालय, कमलनाथ के करीबियों को मिले अहम विभाग

मंगल भारत भोपाल.

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को नगरीय विकास विभाग का मंत्री बनाया गया है। सूत्रों का कहना है कि दिग्गिजय सिंह अपने बेटे के लिए वित्त मंत्रालय की मांग कर रहे थे लेकिन आकाकमान ने जयवर्धन को वित्त मंत्रालय देने से इकार कर दिया। जयवर्धन के वित्त मंत्रालय दिलाने की खबरों के साथ ही कहा जाने लगा था कि अगर दिग्विजय सिंह के बेटे को यह मंत्रालय दे दिया जाता है तो कहीं ना कहीं पर्दे के पीछे दिग्विजय सिंह का कद एक बार फिर से बढ़ जाएगा। वित्त मंत्रालय अगर जयवर्धन सिंह को मिलता तो सरकार का नियंत्रण भी दिग्विजय सिंह के पास ही होता।

तरुण भनोत को मिला मंत्रालय
अलाकमान की चर्चा के बाद अब यह मंत्रालय तरुण भनोत को मिल गया है। जानकारों का कहना है कि यह मंत्रालय कहीं ना कहीं अब यह मंत्रालय कमलनाथ के हाथ में ही रहेगा। इसके साथ ही कमलनाथ ने जनसंपर्क मंत्रालय भी अपने पास रखा है। कमलनाथ के पास कुल दस मंत्रालय हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के नेताओं के तमाम विरोध के बावजूद वे अपने समर्थक मंत्रियों को अहम विभाग देने में कामयाब साबित हुए।

 

क्यो नहीं मिला जयवर्धन को वित्त मंत्रालय
दिग्विजय बेटे जयवर्द्धन को वित्त दिलवाना चाहते थे लेकिन कांग्रेस के कई सीनियर लीडर जयवर्धन सिंह के इस मंत्रालय के लिए राजी नहीं हुए। इसी कारण से विभागों के बंटवारों पर देर हो रही थी जिसके बाद मंत्रियों के विभागों की सूची राहुल गांधी के पास भेजी गई थी। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय के बंटबारे में राहुल गांधी ने पार्टी के सीनियर नेता अहमद पटेल से बात की थी। पटेल व अन्य वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बाद जयवर्धन सिंह को नगरीय विकास एवं आवास विभाग देने पर सहमति बनाई। बाता दें कि पहले इस विभाग के लिए कमलनाथ के करीबी और जबलपुर पश्चिम से दूसरी बार विधायक चुने गए तरुण भनोत का नाम तय माना जा रहा था लेकिन सीनियर नेताओं की आपत्ति के बाद यह विभाग जयवर्धन को दिया गया और वित्त मंत्री के लिए तरुण भनोत को पसंद किया गया।

तीन दिन के मंथन के बाद हुए विभागों का बंटवारा
बता दें कि कमलनाथ कैबिनेट का गठन मंगलवार को हुआ था। मंगलवार को कमलनाथ कैबिनेट के लिए 28 विधायकों ने शपथ ली थी। लेकिन विभागों का बंटवारा नहीं हो सका। इसके लिए प्रदेश स्तर के नेताओं के साथ विभागों के बंटवारों के लिए कई दौर की बैठकें हुईं पर सहमति नहीं बन पाई जिसके बाद कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने हस्ताक्षेप किया औऱ फिर शुक्रवार रात मंत्रियों के विभागों के बंटवारा हो सका।