राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़कर कांग्रेस पार्टी ने तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपनी सरकार भले ही बना ली हो लेकिन मध्य प्रदेश सरकार में कमलनाथ बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं। उनकी सरकार में बगावत हो गई है। अगर मामला नहीं संभला तो एक बार फिर से भाजपा के शिवराज सिंह चौहान के हाथ मध्य प्रदेश की सत्ता आ सकती है। आइए जानें पूरा मामला क्या है।
मंत्री न बनाए जाने से 10 विधायकों ने की बगावत
कमलनाथ ने अपना मंत्रीमंडल घोषित कर दिया है। कई विधायकों को मंत्री पद दिया गया है लेकिन 10 ऐसे विधायक हैं जो काफी वरिष्ठ हैं और उनकी उपेक्षा कर दी गई है। इसी वजह से ये विधायक अब बगावत में उतर आए हैं और खुलेआम बयानबाजी कर विरोध कर रहे हैं।
गुस्साए विधायकों ने तीन दिया का दिया अल्टीमेटम
कांग्रेस विधायक केपी सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह मंत्री न बनाए जाने से बगावत पर उतर आए हैं। इसके अलावा बदनावर सीट से कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह ने तो सीधे कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगा दिया है। सुमावली से ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मदन शर्मा ने कंसाना को मंत्री नहीं बनाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। सुवासरा विधायक हरदीप सिंह डंग भी मायूस हैं। इसके अलावा भी चार विधायक हैं। सबने कांग्रेस को तीन दिन का अल्टीमेटम दे दिया है और सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दे डाली है।
बसपा और सपा ने भी खड़ा किया संकट, जानें आंकड़े
सपा और बसपा ने तो यूपी में कांग्रेस को किनारे कर दिया है। वहीं कांग्रेस समर्थित महागठबंधन से किनारा करके के चन्द्रशेखर राव के तीसरे मोर्चे से हाथ मिलाने जा रहे हैं। अखिलेश ने अपने एकमात्र विधायक को मंत्री न बनाए जाने की वजह से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी है। कांग्रेस के इस समय 114 विधायक हैं जबकि भाजपा के 109 हैं। नाराज विधायकों को मंत्रीपद का लालच देकर अगर भाजपा अपने पाले में ले आई तो आसानी से वो बहुमत पा लेगी और एक बार फिर सत्ता मामा शिवराज के हाथ में आ जाएगी।