ओबीसी पर मचमच, आंदोलन रोकने प्रशासन ने झोंकी ताकत

ओबीसी पर मचमच

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्य प्रदेश में

ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीति में उफान जारी है। अब इस मामले को लेकर मचमच की स्थिति बन गई है। हालात यह है कि प्रशासन ने आज रविवार को ओबीसी महासंघ के प्रदर्शन को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। महासंघ के नेताओं और उनके लोगों को शहर में ही प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। जो नेता भोपाल में आ भी गए थे, तो उन्हें भी हिरासत में लेकर सीमाई इलाके वाले थानों में भेजने का काम किया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेताओं ने भी उनके पक्ष में मोर्चा खोलकर सरकार व प्रशासन पर दमन करने का आरोप लगाया है। उधर महासंघ के दो नेताओं के आॅडियो व वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं, जिसमें महासंघ के नेताओं को रोकने के प्रयास स्पष्ट रुप से परिलक्षित हो रहे हैं। दरअसल पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण के निरस्त होने की वजह से ओबीसी महासंघ सरकार से नाराज है और इसी के चलते आज मुख्यमंत्री निवास के घेराव की घोषणा की गई थी। इसे रोकने के लिए बीते रोज भोपाल पुलिस कंट्रोल रुम से इस आंदोलन से जुड़े नेताओं को फोन लगाकर उन्हें भोपाल न आने की सलाह दी गई और कहा गया कि इस आंदोलन के लिए कोई अनुमति पुलिस द्वारा नहीं दी गई है। इससे संबंधित एक आडियो सोमवार सुबह से जमकर वायरल हो रहा है।  इसमें ओबीसी नेता डा आनंद राय से पुलिसकर्मी फोन पर उन्हें भोपाल न आने का कह रहा है। राय द्वारा इस दौरान उसे संविधान में दिए गए अधिकारों की बात बताई जा रही है। यही नहीं वे इस आडियो में कह रहे की आपने संविधान पड़ा है। राईट दू प्रोटेस्ट क्या है उसे पहले पढ़ लें, देश संविधान से चलेगा या फिर भाजपा के रुल बुक से चलेगा। सरकार अगले साल बदल जाएगी फिर क्या करोगे। यही नहीं वे गुस्से में कहते हैं कि भाजपा के बिल्ले डालकर नहीं चले। कांग्रेस व भाजपा के आंदोलन को रोकते हो आप। शिवराज व नरोत्तम मिश्रा को बोल देना की एससी , एसटी वर्ग का खून किसी से दबने वाला नहीं है और यह देश संविधान से ही चलेगा। आप अपना परिचय दीजिए। आप लीगल नोटिस दीजिए। संविधान में फोन का कोई कल्चर  नहीं है। इसके पहले बीती देर रात एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें ओबीसी एसटी एकता महासंघ के लोकेन्द्र गुर्जर कह रहे हैं कि भोपाल में प्रवेश करते ही कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया है। हमें नहीं पता कि वे हमारे साथ क्या करने वाले हैं। हमे वे जान से भी मार सकते हैं। उधर इस आंदोलन में शामिल होने के लिए जो लोग भोपाल आ रहे थे , उन्हें भोपाल की सीमा में प्रवेश करते ही हिरासत में लिया जा रहा है। यही नहीं कुछ लोगों को तो हिरसात में लेकर पड़ौसी जिला सीहोर ले जाया गया है।
सरकार प्रदर्शन को दबा रही है: तन्खा
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि भाजपा की मध्य प्रदेश सरकार ओबीसी नेताओं से डर रही है। शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर अपनी बात रखने का सबको अधिकार है। सरकार जब अपने आपको ओबीसी हितैषी बताती है तो फिर 107 के नोटिस देकर शांतिपूर्ण कार्यक्रम को रोकना क्यों चाहती है। भाजपा ओबीसी आंदोलन की आवाज को दबाना चाहती है। उनकी तकलीफ समझने की कोशिश कीजिए। ओबीसी संगठन के शांतिपूर्ण कार्यक्रम पर नोटिस दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें शांति पूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दीजिए। नहीं तो भाजपा के कोई भी कार्यक्रम को पूरे देश में अनुमति देना बंद करिए। दरअसल ओबीसी के लिए काम करने वाले एक दल से जुड़े धर्मेंद्र कुशवाह को भोपाल के टीटीनगर थाना क्षेत्र के सहायक पुलिस कमिश्नर ने 107 का नोटिस जारी किया है। नोटिस में दस हजार रुपए का बांड भरने के लिए कुशवाह को बुलाया गया है। नोटिस में इस बात का भी उल्लेख है कि उन्होंने बिना अनुमति लिए लोगों को आमंत्रित किया है, जिससे भीड़ जैसी स्थिति उत्पन्न होगी। इससे भोपाल शहर की शांति भंग होने की आशंका है। एसीपी की यह कार्रवाई किए जाने के खिलाफ कांग्रेस ओबीसी आंदोलन के समर्थन में खड़ी हो गई है।
शिव सरकार कर रही है ओबीसी का दमन: नाथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मामले में ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि ओबीसी महासभा द्वारा अपनी जायज मांगों को लेकर 2 जनवरी को सीएम हाउस के घेराव के पूर्व निर्धारित शांतिपूर्ण कार्यक्रम के पहले शिवराज सरकार उनके दमन पर उतारू हो गई है। ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों के मुताबिक उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है। नोटिस थमाए जा रहे हैं, थानों में बैठाया जा रहा है। पता नहीं शिवराज सरकार को ओबीसी वर्ग से इतना भय क्यों? ना सरकार ओबीसी वर्ग का हित चाहती है और ना उनकी सुनना।