ढाई लाख करोड़ से अधिक का होगा बजट

भोपाल.मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। इस बार प्रदेश का

बजट ढाई लाख करोड़ रुपए से अधिक का  होने का अनुमान लगाया जा रहा है। बजट में पूरी तरह से प्रदेश के आत्मनिर्भरता की झलक दिखने की संभावना है। इसकी वजह है सरकार द्वारा सभी विभागों से आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी जाना। सरकार की मंशा बजट के माध्यम से यह बताने की है कि मप्र ने आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। फिलहाल प्रदेश में बजट के लिए बैठकों का दौर चल रहा है। बजट भाषण के लिए विभागों से 15 जनवरी तक उपलब्धियों को भेजने के लिए  कहा गया है। उधर इस बार बजट में कर्मचारियों के लिए सरकार को अधिक राशि का प्रावधान करना होगा। माना जा रहा है कि इसकी वजह से महंगाई भत्ते के लिए इस बार वेतन मद में से 32 फीसदी हिस्सा रखा जा सकता है। सरकार इन दिनों कोरोना संकट के बाद भी पूरा फोकस निवेश लाने से लेकर अधोसंरचना विकास और फसल उत्पादन पर किए हुए है। सरकार की मंशा है कि नए वित्त वर्ष में कोरोना संकट के दौरान आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हों। चालू वित्त वर्ष में भी इसलिए सरकार ने अधोसंरचना विकास के कामों पर सर्वाधिक ध्यान दिया है। यही वजह है कि इस बार प्रदेश को केंद्र सरकार से करीब पांच हजार करोड़ रुपये की राशि अधिक मिली है। आमजन को राहत देने के लिए सरकार द्वारा छोटे कारोबारियों को रोजगार फिर से जमाने के लिए बैंकों से ब्याज मुक्त ऋण भी दिलाया जा रहा है। उधर , प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हितों के ध्यान में रखकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, चना, मसूर, सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी गई। इससे किसानों को सुविधा मिली और ग्रामीण अर्थव्यवस्था एक बार फिर रफ्तार पकड़ सकी है। इसी तरह से कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन को लेकर बनी समस्या को देखते हुए प्रदेश में करीब दो सौ संयंत्रों की भी स्थापना की गई है। प्रदेश में चार नए मेडिकल कालेज बनाने की प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी है। अटल प्रोग्रेस वे के आसपास औद्योगिक क्षेत्र विकास के लिए भूमि चिन्हित करने का काम जारी है। अगला वित्त वर्ष वैसे भी चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण रहने वाला है। प्रदेश में वर्ष 2023 में आम चुनाव होने हैं, जिसकी वजह से माना जा रहा है कि सरकार का इस बजट में पूरी तरह से आमजन पर फोकस रहने वाला है। गौरतलब है कि बीते साल मध्य प्रदेश का पहला ई-बजट पेश किया गया था। जो पूरी तरह से  आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश पर फोकस था। यह बजट कुल 2,41,375 करोड़ रुपए का था। बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया था और पुराने कर में भी बढ़ोतरी भी नहीं की गई थी। बजट में राजकोषीय घाटा 50,938 करोड़ अनुमानित था।
फसल नुकसान के आंकलन का निर्देश
प्रदेश में असमय हो रही बीते दो दिनों से बारिश के चलते चार संभागों में फसल को नुकसान होने की खबरें आ रही हैं। यही वजह है कि अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पानी व ओलों से हुए फसल नुकसान का सर्वे कर नुकसान का आकंलन कराने का फैसला किया है। इस आंकलन के लिए चौहान द्वारा कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि बारिश व ओले की वजह से सर्वाधिक नुकसान गेहूं और चने की फसल को हुआ है। इस आंकलन के बाद सरकार द्वारा किसानों को तय प्रावधानों के तहत आर्थिक मदद प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस नुकसान के आंकलन के लिए बनाई जाने वाली सर्वे टीमों में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अलावा राजस्व और कृषि विभाग के कर्मचारियों को शामिल कर संयुक्त दल बनाने के निर्देश दिए हैं। जिन संभागों में सर्वाधिक नुकसान की खबरें आ रही हैं, उनमें भोपाल के अलावा सागर , उज्जैन और ग्वालियर संभाग के नाम बताए जा रहे हैं। दरअसल विदिशा, राजगढ़, गुना सहित अन्य जिलों में ओलावृष्टि की वजह से गेहूं और चना की फसल प्रभावित हुई है। विदिशा के लटेरी क्षेत्र में फसल को अधिक नुकसान हुआ है। वहीं, भोपाल जिले में तेज हवा के साथ वर्षा होने से कुछ जगहों पर खेत में फसल बिछ गई। पूर्व कृषि संचालक जीएस कौशल का कहना है कि चना, अरहर और सब्जियों को बहुत नुकसान हुआ है। चना और अरहर में फूल आ गए थे, जो तेज बारिश से झड़ गए। वहीं, गेहूं की वो किस्म, जिनकी लंबाई अधिक होती है, वो खेतों में बिछ गई है। ये फसल भी प्रभावित होगी। ओलावृष्टि जिन खेतों में हुई है, वहां फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष बोवनी का काम मध्य दिसंबर तक चलता रहा है। ऐसी फसलों को नुकसान नहीं होगा। नुकसान का आंकलन कराया जा रहा है। जिन खेतों में फसलें प्रभावित हुई हैं, उनका पंचनामा तैयार किया जाएगा और राजस्व विभाग के तय प्रविधानों के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा। राज्य सरकार के प्रवक्ता गृह मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को सर्वे के निर्देश दे दिए हैं। किसी भी किसान को घबराने की जरूरत नहीं है। संकट की हर घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है। उधर, फसल नुकसान का जायजा लेने के लिए सांसद व विधायकों ने भी दौरे शुुरु कर दिए हैं।
खेला गया कमल सुविधा केंद्र
कृषि मंत्री कमल पटेल ने आपदा प्रभावित किसानों के लिए कमल सुविधा केंद्र खोलकर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। इसमें किसानों को शिकायत करने की सुविधा दी गई है। इस केन्द्र पर यदि फसल को हुए नुकसान का राजस्व विभाग के कर्मचारी सर्वे कर नहीं भेज रहे हैं तो सीधे फोन नंबर (07552558823) पर शिकायत की जा सकती है। कृषि मंत्री  ने राजगढ़ और गुना जिलों के कलेक्टर्स से चर्चा कर निर्देशित किया कि किसानों की शिकायत से पहले उनके खेतों में जाकर सर्वेक्षण दल द्वारा सर्वे कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। सर्वे की वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाए। पंचनामे पर किसान के हस्ताक्षर भी करवाने के निर्देश दिए गए हैं। उनका कहना है कि राजगढ़ प्रशासन ने रात में हुई ओलावृष्टि के दूसरे ही दिन फसल बीमा के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। उन्होंने अधिकारियों से  कहा है कि वे फसलों की क्षति का आंकलन ठीक ढंग से किया जाना तय करें ।
जल्द सर्वे कराकर मुआवजा दे सरकार :नाथ
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ ने  ट्वीट कर कहा-प्रदेश के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश , ओलवृष्टि से फसलें खराब होने की जानकारी सामने आयी है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि जल्द से जल्द सर्वे करवाकर किसानों को मुआवजा प्रदान कर राहत प्रदान की जावे।