करोड़ों खर्च…फिर भी गौशालाओं में भूख से मर रही गायें

  • हर महीने लाखों का चारा खा जाते हैं अफसर और गौशाला संचालक.

भोपाल.मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में सरकार ने गोवंश के संरक्षण के लिए 2214 गौशालाएं बनवाई है। इनमें से 1587 गौशालाएं सरकार चलाती है और 627 गौशालाएं निजी संस्थाएं अनुदान लेकर चला रही हैं। इन गौशालाओं को गायों की देखभाल के लिए करोड़ों का फंड मिल रहा है। इसके बाद भी भूख से गायों की मौत हो रही है। दरअसल हर महिने लाखों का चारा अफसर और गौशाला संचालक खा जाते हैं।
ऐसे में गायों को दान में मिलने वाले चारे के भरोसे रहना पड़ता है। मप्र में शिवराज सरकार में गौ संरक्षण प्राथमिकता में है। लेकिन अधिकारियों और गौशाला संचालकों की मिली भगत से गायों को चारे के लिए मिलने वाली राशि में जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक गायों को मिलने वाले फंड को गायों पर खर्च नहीं किया जा रहा है। कुछ जिलों की गौशालाओं की पड़ताल में सामने आया है कि गौशालाओं को मिलने वाले फंड को खर्च नहीं किया जा रहा है। उनको मिलने वाले फंड को गौशाला चलाने वाले खा जाते हैं। इस वजह से गौशालाओं की स्थिति खराब है। प्रदेश में 200 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़े प्रदेशभर में अलग-अलग जगहों पर चलने वाली गौशालाओं से हैं। इन मौतों की वजहों में भूख और बीमारी बताई जा रही है।
कहीं भूसा नहीं तो गौशालाएं पड़ी बंद
अशोकनगर के गांवों में संचालित गौशालाओं में व्यवस्थाओं के नाम पर कोई खास इंतजाम नहीं हैं। यहां बजट के अभाव में गायों को भूसा तक नहीं दिया जा रहा। स्थिति यह है कि गायों को ज्वार आदि की करब दे रहे हैं, जिनसे ठीक ढंग से उनका पेट नहीं भर पा रहा। इसके अलावा कुछ गौशालाओं से तो गौवंश को खेतों में चराने के लिए ले जाना पड़ रहा है। हालांकि गौशाला प्रबंधन का तर्क है कि उन्हें छह माह से गायों के लिए कोई बजट ही नहीं दिया गया। इस कारण से अब उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है। वहीं, जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि यह बजट आने में शासन के स्तर से ही देरी हुई है। उल्लेखनीय है कि जिले में इस समय 32 गौशालाएं संचालित हो रही हैं। इनमें ज्यादातर में गायों को भरपेट भोजन तक नहीं मिल पा रहा। गौशालाओं का संचालन स्वसहायता समूह कर रहे हैं। वहीं नर्मदापुरम में 22 गोशालाएं है, फिर भी गायें सड़क पर नजर आती हैं। जिले में गोवंश की संख्या 4 लाख से ऊपर है, लेकिन सिर्फ 1600 गोवंश ही गोशाला में हैं। बाकी पशुओं में से कुछ मात्रा में किसान और कुछ समझदार पशुपालक पशुओं को संरक्षण दे रहे हैं। जिले में कहने को तो 22 गौशाला संचालित हो रही हैं जिनमें सिर्फ 15 गौशाला में शासकीय स्तर पर मनरेगा के माध्यम से चल रही हैं साथ गौशाला में निजी स्तर पर काम चलाओ स्थिति में हैं। प्रशासन स्तर पर बताया जा रहा है कि अभी 32 गौशालाओं का निर्माण और होना है।
सवा चार लाख से अधिक गायें गौशालाओं में
प्रदेश की सरकारी और निजी गौशालाओं में सवा चार लाख से अधिक गायें रह रही हैं। फिलहाल प्रदेश की 1587 गौशालाएं सरकार चला रही हैं और इन गौशालाओं में 2 लाख 55 हजार गौवंश पल रहा है। वहीं प्राइवेट संस्थाएं 627 गौशाला चला रहीं हैं, जिनमें 1,73,874 गौवंश का पालन किया जा रहा है। इस तरह प्रदेश में कुल 4,28,874 गायें गौशालाओं में पल रही हैं। गौशालाओं में रहने वाली इन गायों के लिए सरकार प्रतिदिन 20 रुपए का फंड देती है। यानी सरकार गायों पर रोजाना 85 लाख रुपए से अधिक खर्च कर रही है। फिर भी गायें भूख और बीमारी से मर रही हैं। यह जांच का विषय है।
कहीं बजट तो कहीं देखरेख का अभाव
प्रदेश में कहीं बजट तो कहीं देखरेख के अभाव में गौशाला में पल रही गायों की स्थिति खराब है। छिंदवाड़ा में गौ माताओं की सुरक्षा और रक्षा के लिए गांव-गांव में तत्कालीन सरकार द्वारा गौशालाएं बनाई गई हैं, लेकिन इन गौशालाओं में गौ माताओं की दुर्दशा हो रही है। छिंदवाड़ा की बिछुआ ब्लाक के कपूरखेड़ा गांव में बनी गौशाला का देखदेख सही तरीके से न होने के कारण गाय की मौत हो रही है। एक सप्ताह पहले कपूरखेड़ा से लगे हुए बिछवी गांव की गौशाला में गाय का शव पड़ा मिला था। जब क्षेत्र में बदबू आने लगी तो ग्रामीणों ने विरोध किया। जिसके बाद मृत गाय के शव को दफनाने ले जाया गया। वहीं सीहोर जिले में अधिकतर गोशालाओं को महिलाओं के स्व-सहायता समूह के भरोसे है। वहीं कई गोशालाएं बजट के आभाव में अब तक शुरू ही नहीं हो सकी हैं। जिले में स्वीकृत गोशालाओं में से एक तिहाई गोशाला दो साल में भी तैयार नहीं हो पाई है, वहीं जो हेंडओवर हो गई है, वह बजट के अभाव में बदहाली का शिकार हैं।
कहां जा रहा है पैसा
प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री गौसेवा योजना शुरू की है। इस योजना में 960 गौशालाओं का निर्माण किया जा चुका है। इस पर कुल 256.77 करोड़ रुपए खर्च किए गए। प्रदेश सरकार प्रति गाय 20 रुपए खर्च कर रही है। चालू साल 2021-22 में कुल 81 करोड़ खर्च किए गए। अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि सरकार ने अलग बोर्ड बना दिया। पर्याप्त बजट भी दिया जा रहा है फिर क्या वजह है कि गाय बेमौत मारी जा रही हैं। शायद उस बजट का सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। उससे भी बड़ी बात यह है कि निगरानी के लिए बोर्ड बना दिया गया है लेकिन गौ शालाओं की निगरानी ईमानदारी से नहीं हो रही है। जिसकी वजह से गौशाला संचालक मनमानी कर रहे हैं और गाय काल के गाल में समा रही हैं।