5 दिन बाद भी किसानों के खाते में नहीं पहुंची फसल बीमा की रकम

  • किसी को 200 तो किसी को हजार रुपए बीघा के मान से मिली है दावा राशि

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। 12 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैतूल में आयोजित प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में प्रदेश के 40 लाख से ज्यादा किसानों के खातों में साढ़े सात हजार करोड़ रुपए से अधिक फसल बीमा की राशि ट्रांसफर की थी, लेकिन आज तक कई किसानों के खाते में बीमा की राशि नहीं पहुंची है। इससे किसान हैरान परेशान हैं। वहीं किसान इसलिए भी असमंजश में हैं कि किसी को 200 रुपए तो किसी को 1000 रुपए बीघा के मान से दावा राशि मिली है।
जानकारी के अनुसार, खरीफ 2020 और रबी 2021 के प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि राज्य सरकार ने एक साथ बीमा कंपनियों से किसानों के खातों में जमा कराया है। दावा किया गया था कि पहली बार किसी भी किसान को एक हजार रुपए से कम बीमा राशि नहीं मिलेगी। इसके लिए नियम में संशोधन किया गया है। यदि बीमा राशि कम बनती है तो अंतर की राशि राज्य सरकार मिलाकर किसान को न्यूनतम एक हजार रुपए देगी। लेकिन प्रदेश के कई जिलों के कई किसानों को आज तक फसल बीमा की राशि ही नहीं मिल पाई है।
एक ही जिले में अलग-अलग मान
सरकार के दावे के बावजूद एक जिले में ही अलग-अलग मान से बीमा राशि दी गई है। उज्जैन जिले के खाचरौद तहसील अन्तर्गत ग्राम जीरामीटा के किसान जीवन सिंह अपने खाते में फसल राशि आने का चार दिन से इंतजार कर रहे हैं। वे कहते हैं कि गांव के कुछ किसानों के खातों में राशि तो आई है लेकिन किसी को 200 रुपए तो किसी को हजार रुपए बीघा के मान से दावा राशि मिली है।
रतलाम जिले के दामेड़ी के किसान शंकरलाल पटीदार के खाते में भी दावा राशि नहीं आई है। किसान निर्मल सिंह का कहना है कि मंदसौर में मात्र 2,000 रुपए बीघा मिला है। क्या 2 हजार रुपए में खेती के नुकसान की भरपाई हो जाएगी, हमारा हक कब मिलेगा। किसानों से ही जानकारी मिल रही है कि आक्याजागीर, घिनोदा, चपाखेड़ा, चापानेर, मोकडी, मड़ावदा, सेंटर के किसानों के मोबाइल पर मैसेज तो आए लेकिन ज्यादातर के खाते में 1000 रुपए से कम आए हैं। उज्जैन जिले के अमीन कहते हैं कि उन्हें बीमा दावा नहीं मिला है। खाचरोद के जीवन सिंह कहते हैं कि बीमा दावा राशि बहुत कम मिल रही है। उन्होंने तीस बीघा में सोयाबीन लगाया था।

प्रकृति की मार से फसल खराब हो गई। दोबारा बोवनी की और इसके लिए एक बीघा के लिए 20 हजार रुपए लागत आई। अगर हमें दो हजार रुपए बीघा दावा राशि मिली तो इसमें हमारी लागत भी नहीं निकलेगी।  7,618 करोड़ की राशि अंतरित की: उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में देश  में फसल क्षति की सबसे बड़ी सहायता राशि का वितरण किया है। यह बीमा राशि खरीफ 2020 और रबी 2020-21 की है। सीएम ने 49 लाख दावों में 7,618 करोड़ रुपए की राशि का सिंगल क्लिक से अंतरित की है। बावजूद, किसान अपने खातों में राशि नहीं आने को लेकर चिंतित हैं। शासन ने निर्णय लिया है कि प्रीमियम देने वाले किसान को न्यूनतम एक हजार रुपए दावा राशि दी जाएगी। इसे ऐसे समझें कि किसी किसान की दावा राशि बीमा कंपनी ने 500 रुपए तय की है तो सरकार उसमें और 500 रुपए मिलाकर देगी। ऐसे किसानों को बाद में राशि मिलेगी।
मंत्री का दावा सबको मिलेगी क्षतिपूर्ति
वहीं कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि सोयाबीन फसल के लिए जिस किसान ने प्रीमियम भरा है, उसे फसल क्षतिपूर्ति मिलना तय है। सरकार किसानों के साथ खड़ी है। वे चिंता नहीं करें, एक-एक किसान के खाते में राशि आएगी। हमने यह भी तय किया है कि जिस किसान की दावा राशि एक हजार से कम है, उन किसानों के खातों में बकाया राशि सरकार डालेगी। बीमा कंपनी से ऐसे किसानों की लिस्ट मांगी है। प्रदेश के किसानों की फसलों का बीमा एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन द्वारा किया गया है। यह बीमा कंपनी भारत सरकार की है। इसलिए कृषि विभाग ने स्पष्ट किया है कि फसल बीमा एक ही कंपनी ने किया है।
इस कारण नहीं पहुंची राशि
जानकारों का कहना है की कुछ विसंगतियों के कारण किसानों के खाते में राशि नहीं पहुंच पा रही है। इसमें किसी किसान के खाते का चेक बाउंस हो जाना। खाताधारी ने बीमा कराने के बाद खाता बंद कर दिया हो। एसबीआई हर पांच साल में केसीसी का नया खाता खोलता है। जिससे समस्या आती है। खाता बदल जाने से किसान को  परेशान होना पड़ता है। 50 लाख किसानों का डाटा एंट्री करने में समय लग रहा है। बीमा दावा राशि दिल्ली मुख्यालय से किसानों के खातों में डाली जा रही है, जिससे समय लग रहा है। जिन किसानों ने प्रीमियम नहीं जमा किया उन्हें राशि नहीं मिलगी। जिस किसान के पास बीमा प्रीमियम पॉलिसी है, उसे लेकर कंपनी से संपर्क किया जाए।  बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर या कंपनी के जिला कार्यालय में जानकारी ली जा सकती है। जिस बैंक के माध्यम से फसल बीमा कराया हो, उस बैंक में संपर्क किया जा सकता है। जिले में उप संचालक कृषि और कलेक्टर को जानकारी दी जा सकती है।