बयानों और कागजों में दफन है मध्य प्रदेश का बहुचर्चित ‘हनी ट्रैप’ मामला

आईटी इन्वेस्टिगेशन विंग और ईडी को नहीं मिली सफलता
-आरोपी महिलाएं जमानत पर…छानबीन एजेंसियों ने साधी चुप्पी


भोपाल. राजनीतिक
र प्रशासनिक वीथिका में भूचाल लाने वाले हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप मामले में आईटी इन्वेस्टीगेशन विंग और ईडी को अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है। जबकि इस मामले में करोड़ों रुपए के लेन देन हुए थे। लेकिन लेनदेन का मामला बयानों और कागजों में दफन होकर रह गया है। यही नहीं आरोपी महिलाएं जमानत पर हैं, वहीं छानबीन एजेंसियों ने चुप्पी साध ली है। वैसे देखा जाए तो केवल हनी ट्रैप ही नहीं बल्कि कई हाई प्राफाइल घपले-घोटालों ऐसे हैं जिसमें जांच आगे नहीं बढ़ पाई। इसमें सैकड़ों करोड़ रुपए के ई-टेंडर घोटाला और अधिकारियों के ठिकानों पर छापामारी के दौरान मिली बेनामी और अघोषित संपत्ति के मामलों की छानबीन के मामले शामिल हैं। इन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छानबीन नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। अलग-अलग समय पर हुए ये सभी मामले लंबे समय तक मीडिया की सुर्खियों में रहने के साथ सियासी बयानबाजी के केंद्र में भी बने रहे हैं।
हनीट्रैप में लाखों-करोड़ों रुपए के लेनदेन
सूत्रों के मुताबिक मप्र की सियासत में हड़कंप मचाने वाले हनी ट्रैप मामले में पांच महिलाओं ने करीब 20 लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनके आपत्तिजनक वीडियो बनाए और इन्हें वायरल करने की धमकी देकर उनसे करीब 15 करोड़ रुपए की वसूली की है। किसी से 50 लाख तो किसी से तीन करोड़ रुपए तक की वसूली की गई। लाखों-करोड़ों रुपए के लेनदेन की जानकारी सामने आने के बाद मामले की छानबीन आयकर इन्वेस्टीगेशन विंग को भी सौंपी गई थी। इसके अलावा मामले में ईडी ने भी दिलचस्पी दिखाई थी जिसमें मामले की पुलिस जांच रिपोर्ट, वीडियो-आॅडियो के रूप में मौजूद साक्ष्य और दस्तावेज आदि का पुन: परीक्षण भी कराया गया था। यह मामला सितंबर 2019 में इंदौर नगर निगम के तत्कालीन सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह द्वारा पलासिया थाने में की गई शिकायत के बाद सामने आया। इसमें इंजीनियर ने कहा था कि कुछ महिलाएं उन्हें अश्लील वीडियो वायरल करने के नाम पर ब्लैकमेल कर तीन करोड़ रुपये मांग रही हैं। लेकिन आयकर इन्वेस्टीगेशन विंग और ईडी की जांच आगे नहीं बढ़ पाई
न स्टाफ, न अमला कैसे हो काम
दरअसल प्रदेश में अभी प्रवर्तन निदेशालय के नेटवर्क और स्टाफ का विस्तार प्रस्तावित है। इंदौर के अलावा भोपाल सहित कतिपय बड़े शहरों में कार्यालय खोलने की तैयारी है। साथ ही स्टाफ भी बढ़ाया जाएगा। अभी ईडी में स्टाफ की कमी भी बताई जा रही है। ऐसे में ईडी को जांच करने में सफलता नहीं मिल रही है।
 ई-टेंडर घोटाले में भी नहीं मिली सफलता
करीब एक साल पहले ई-टेंडर घोटाले की छानबीन के तहत भोपाल, बैंगलुरू  और हैदराबाद के करीब डेढ़ दर्जन ठिकानों पर ईडी की छापामारी से हड़कंप मचा था। इस दौरान प्रदेश के सीएस रहे गोपाल रेड्डी का नाम भी आया था। ईडी ने उनसे पूछताछ भी की थी। मामले में कई हाई प्रोफाइल लोगों के नाम सामने आए थे। यह घोटाला अप्रैल 2018 में उस समय सामने आया था जब जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय टेंडरों में टेम्परिंग का खुलासा हुआ। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी। बाद में इस घोटाले की छानबीन में ईडी की सक्रियता भी सामने आई। लेकिन जांच में कोई विशेष सफलता नहीं मिल पाई है। इस तरह सहायक आबकारी आयुक्त रहे आलोक कुमार खरे का मामला सुर्खियों में रहा। लोकायुक्त पुलिस की छापामारी में अनुपातहीन करोड़ों रुपए की प्रापर्टी बरामद हुई थीं। जांच में तथ्य सामने आया था कि नौकरी के दौरान खरे को 90 लाख रुपए की आय हुई थी लेकिन भोपाल, इंदौर ग्वालियर, छतरपुर और रायसेन स्थित ठिकानों पर छापे में करोड़ों रुपए की संपत्ति मिली थी। इनमें तीन मकान, 70 एकड़ भूमि, 21 लाख रुपए नकद, भोपाल के एक मॉल में एक दुकान, करीब एक किग्रा सोने के जेवर और अन्य संपत्ति से जुड़े कागजात भी थे।