वैट कम कर पेट्रोल-डीजल सस्ता कर सकती है सरकार

  • बजट में जनता को कई बड़ी सौगातें देने की तैयारी
  • भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्य प्रदेश विधानसभा के 7 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र पर सभी की नजरें हैं। 9 मार्च को पेश होने वाले राज्य के बजट में इस बार सरकार ने जनता को कई सौगातें देने की तैयारी कर रखी थी। जनता को उम्मीद है कि राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स (वैट) में छूट देकर राहत दे सकती है।
    वर्तमान परिस्थितियों पर गौर करें तो रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति संकट की आशंका से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 9 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि देश में चुनावी मौसम की राहत बरकरार है। लेकिन चुनाव के बाद देशवासियों की जेब पर भार बढ़ सकता है। जानकारों ने चुनाव समाप्त होते ही बड़ी तेजी की पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने  की आशंका जताई है। ऐसे में मप्र के लोगों को अपनी सरकार से उम्मीद है कि वह वैट कम कर पेट्रोल-डीजल सस्ता कर सकती है।
    पेट्रोल और डीजल पर बड़ी राशि खर्च
    गौरतलब है कि नवंबर 2021 में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट में चार-चार प्रतिशत की छूट दिए जाने के बाद भी प्रदेश में एक लीटर पेट्रोल 107.23 रुपये और डीजल 90.87 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। पेट्रोल और डीजल पर जनता की बड़ी राशि खर्च होती है। इसलिए आमजन महंगाई के इस दौर में राहत चाहता है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी यह मांग उठाई है। वह महंगाई पर नियंत्रण के लिए विधानसभा सत्र के दौरान सदन में भी मांग रखेगी। वहीं जनता भी लगातार महंगाई पर नियंत्रण की मांग कर रही है, जो पेट्रोल एवं डीजल के दाम कम किए बगैर संभव नहीं है।
    अध्यक्ष ने बुलाई सर्वदलीय बैठक: सात मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के मद्देनजर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में शांतिपूर्ण सदन चलाने पर चर्चा हो सकती है। दो दिन पहले ही पूर्व विधायकों के सम्मेलन में अध्यक्ष ने सदन में वाद-विवाद की जगह संवाद पर जोर दिया था। वहीं शनिवार को अध्यक्ष ने सदन सहित विधानसभा परिसर में भ्रमण कर सत्र की तैयारियों का जायजा लिया। बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होगी। विधानसभा में राज्य सरकार का 2022-23 के लिए वार्षिक बजट नौ मार्च को पेश होगा। उसी दिन संसदीय उत्कृष्ट पुरस्कार 2021 का वितरण किया जाएगा। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला शामिल हो रहे हैं। जिसकी तैयारियां अंतिम दौर में हैं। उल्लेखनीय है कि सत्र सात से 25 मार्च तक चलेगा। 19 दिवसीय इस सत्र के दौरान 13 बैठकें प्रस्तावित हैं।
    प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व पेट्रोल-डीजल से ही
    ज्ञात हो कि पेट्रोल-डीजल से ही प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व आता है। इसलिए टैक्स में छूट देना सरकार के लिए भी आसान नहीं है, पर अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं, उससे पहले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव भी होना है। जिसे देखने हुए उम्मीद की जा रही है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर छूट दे सकती है। सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में जनवरी 2022 तक वैट से 12 हजार 877 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया है। इसमें बड़ी राशि पेट्रोल-डीजल से प्राप्त हुई है।
    छूट के बावजूद 21 प्रतिशत ज्यादा कमाई
    पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स में चार-चार प्रतिशत की छूट देने के बाद भी इस बार पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में 21 प्रतिशत ज्यादा राशि इकट्ठी हुई है। केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी पांच रुपए और डीजल पर दस रुपए कम किए थे। तब प्रदेश में पेट्रोल के दाम 118.83 रुपए लीटर और डीजल के दाम 107.86 लीटर थे। इसके बाद राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स वैट में चार-चार प्रतिशत की राहत दी। जिससे प्रदेश में पेट्रोल के दाम 11.97 रुपए और डीजल के 16.95 रुपये प्रति लीटर कम हो गए थे।
     बजट में विधायकों की बल्ले-बल्ले
    राज्य के बजट में इस बार विधायकों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। राज्य सरकार ने बजट तैयार करने से पहले सभी विधायकों से 15 करोड़ रुपए तक के विकास कार्यों के प्रस्ताव मांगे थे। विधायकों ने शिक्षा-स्वास्थ्य के साथ सड़कों से जुड़े सबसे ज्यादा प्रस्ताव सरकार को भेजे हैं। विधायकों को उम्मीद है कि इस बार के बजट में उनके विधानसभा क्षेत्र की जनता की मुराद पूरी होगी और 2023 के चुनाव में जाने से पहले प्रदेश में विकास के बड़े काम शुरू हो सकेंगे। बहरहाल अगले साल विधानसभा का चुनाव है और उससे पहले इस बजट में सरकार हर विधानसभा क्षेत्र के विकास का बजट पेश करने की तैयारी में है। जिन सीटों से भाजपा के विधायक जीत कर आए हैं उन पर काफी काम होने की संभावना है,  ताकि अगले 1 साल में विकास कार्यों के जरिए जनता को अच्छे दिनों का एहसास कराया जा सके। राज्य सरकार का यह बजट जहां प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर डोज होगा, तो वहीं दूसरी तरफ सरकार का 2023 के इलेक्शन पर फोकस होगा।