प्रदेश सरकार का कमाऊ पूत बना पीईबी

  • 10 साल में परीक्षा फीस के नाम पर बेरोजगारों से कमाया 544 करोड़ का मुनाफा

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भर्ती एवं प्रवेश

परीक्षाओं में फर्जीवाड़े को लेकर देशभर में प्रदेश की किरकिरी करा चुकी सरकारी एजेंसी व्यापमं अब प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड सरकार का सबसे कमाऊ पूत बना हुआ है। परीक्षा फीस के नाम पर पीईबी बेरोजगारों से करोड़ों रुपए की कमाई कर रहा है। पीईबी द्वारा आयोजित परीक्षा में भाग लेने के बाद नौकरी मिलने की कोई गारंटी नहीं है, लेकिन परीक्षा फीस के नाम पर पीईबी की कमाई जरूर होती है। 10 साल में परीक्षा फीस के नाम पर पीईबी ने बेरोजगारों से 544 करोड़ रूपए का मुनाफा कमाया है।  यह जानकारी कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के लिखित सवाल के जवाब में तकनीकी शिक्षा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने विधानसभा में दी।  मंत्री यशोधरा ने सदन को बताया कि पिछले 10 साल में पीईबी ने फीस के नाम पर बेरोजगारों से 1046 करोड़ रुपए वसूले। जबकि पीईबी का सभी तरह का खर्च सिर्फ 502 करोड़ हुआ। पीईबी के 5 अलग-अलग बैंक खातों में 404 करोड़ से अधिक की राशि जमा है। सबसे ज्यादा राशि इंडसइंड बैंक में 153 करोड़ रुपए की है। वर्ष 2017 में पीईबी ने 15 परीक्षाएं लीं, जिनमें 36 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए। पीईबी ने सबसे ज्यादा फीस पटवारी, पुलिस, जेल प्रहरी और शिक्षक भर्ती की परीक्षा के नाम पर वसूली।
आधी फीस करने पर भी फायदे में रहेगा पीईबी
पटवारी के सवाल के जबाब में सरकार द्वारा विधानसभा में पीईबी की कमाई के जो आंकड़े पेश किए हैं, उसके अनुसार यदि परीक्षा फीस में 50 फीसदी कटौती की जाती है, फिर भी व्यापमं फायदे में रहेगा, क्योंकि पीईबी सभी तरह की परीक्षाएं, निजी एजेंसियों के जरिए आयोजित करोती है। जिसके एवज में हर साल करोड़ों रुपए का भुगतान होता है। पिछले 10 साल की फीस वसूली के अनुसार पीईबी हर साल 56 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहा है, जबकि हर साल औसत खर्च 50 करोड़ है। पटवारी ने कहा कि प्रदेश में आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षाओं में हर साल लाखों बेरोजगार शामिल होते हैं। इससे प्रदेश में बेरोजगारी का भी पता चलता है।
तीन महीने में होगी आरजीपीवी के दोषी अफसर पर कार्रवाई

विधायक मेवाराम जाटव ने सवाल पूछा कि क्या आरजीपीवी में नियमों को दरकिनार करते हुए करीब 170 करोड़ रुपए का भुगतान किए जाने के संबंध में दो सदस्यीय समिति ने जांच कर रिपोर्ट नवंबर, 2021 में संचालनालय को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर आरजीपीवी द्वारा दोषी अधिकारी के खिलाफ कब तक कार्रवाई की जाएगी? इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री मिश्रा ने कहा कि दोषियों के खिलाफ तीन महीने में कार्रवाई की जाएगी।