बिना बिल-टेंडर के पंचायतों ने फूंक डाले 220 करोड़

विधानसभा में पेश लोकल फंड  ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा
-डीजल-पेट्रोल के साथ ही निर्माण कार्यों में की गई धांधली

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। विधानसभा में पेश

हुई लोकल फंड आॅडिट (स्थानीय निधि संपरीक्षा) की रिपोर्ट में प्रदेश की पंचायतों में करीब 220 करोड़ रूपए की अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। यह अनियमितता 1000 से ज्यादा ग्राम पंचायतों के  ऑडिट में बड़ी धांधली सामने आई है। जनपदों व ग्राम पंचायतों के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों व सदस्यों ने डीजल-पेट्रोल के नाम पर अनाप-शनाप भुगतान उठाए। साथ ही किराए का वाहन लगाकर पैसा ले लिया। इसका न ही कोई बिल है और न ही कोई अनुबंध। इतना ही नहीं, बिना टेंडर या कोटेशन लिए ही भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन कर 36 करोड़ रुपए से अधिक की खरीदी की गई साथ ही 146 ग्राम पंचायतों में बिना बिल के ही 15 करोड़ 10 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। लोकल फंड आॅडिट की रिपोर्ट के अनुसार ये तमाम गड़बडिय़ां 2018 के पहले के छह से आठ सालों में की गई। हैरान करने वाला तथ्य यह भी है कि 21 जनपदों की 750 के करीब ग्राम पंचायतों ने 169.02 करोड़ के काम कराए, लेकिन जब जांच की गई तो इसकी न तो तकनीकी और न ही प्रशासनिक स्वीकृति के दस्तावेज मिले। जब पंचायतों से कार्य पूरा होने के कागज मांगे गए तो वे भी उपलब्ध नहीं कराए गए।
कागजों पर खर्च डाले लाखों के डीजल
रिपोर्ट में डीजल के अनियमित भुगतान का घालमेल 22 जनपदों में सामने आया है। केवलारी में एक वाहन किराए पर लिया और दो का पैसा। सीतामऊ में डीजल खर्च दिखाकर 5 लाख का भुगतान ले लिया। जबकि लॉग बुक में जिक्र ही नहीं। बीना के एपीओ रामलखन नामदेव ने सवा लाख डीजल अधिक खर्च दिखाकर पैसा उठाया। निवाड़ी में 10 लाख रुपए वाहन किराए का ले लिया गया। पोहरी में 21 लाख से अधिक का किराए के नाम पर भुगतान निकाला गया।
टेंट, भोजन, फोटोकॉपी पर करोड़ों खर्च
ऑडिट ने 38 करोड़ 96 लाख रुपए के लेन-देन पर भी सवाल खड़े किए हैं। इस राशि से टेंट, भोजन, फोटोकॉपी, ग्रिटिंग कार्ड, फाइल बैग, डायरी, फर्नीचर, बिजली के बिल, यात्रा व्यय, स्टेशनरी की खरीदी, कंप्यूटर के रखरखाव, शौचालय निर्माण के साथ बैंकों से कारोबार की अनियमितता शामिल हैं। वहीं कुसुमी, बीना, निवाड़ी, खाचरौद, राघौगढ़, सेवढ़ा, बदरवास, नरवर, पोहरी और पिछोर जनपदों में पांचवें और छठवें वेतनमान का मनमर्जी से पैसा निकाला गया। यह गड़बड़ी भी 2005-06 से लेकर 2017-28 के बीच की है। सेवढ़ा में छठवें वेतनमान का एरियर बताकर 21 लाख 18 हजार रुपए का अनियमित भुगतान लिया। कुल एक करोड़ 26 लाख रुपए का घपला सामने आया है।