निकायों, सार्वजनिक उपक्रम और अर्धशासकीय संस्थानों में कर्मचारियों का टोटा
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में नगरीय
निकायों, ग्रामीण स्थानीय निकायों, सार्वजनिक उपक्रम और अर्धशासकीय संस्थानों में कर्मचारियों का भारी टोटा हो गया है। प्रदेश में पांच साल पहले सभी प्रकार के कर्मचारियों की संख्या 7 लाख 39 हजार 771 थी ,जो अब घटकर 6 लाख 61 हजार 1 रह गई है। यानी करीब 78 हजार पद खाली पड़े हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण इन संस्थानों के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। कर्मचारियों की संख्या घटने का असर राजस्व वसूली और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी पड़ रहा है। सरकारी विभागों में इन कर्मचारियों के स्थान पर आउटसोर्सिंग के जरिए निजी कंपनियों के कर्मचारियों से काम करवाने की प्रथा बढ़ी है। इससे स्थायी कर्मचारियों को रखने की आवश्यकता भी नहीं पड़ रही है। प्रदेश के विकास प्राधिकरणों और विश्वविद्यालयों में भी कर्मचारियों की कमी हो गई है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में वर्ष 2017 में 6372 कर्मचारी थे तो वहीं अब इनकी संख्या 4496 रह गई है। प्रदेश के विकास प्राधिकरणों और विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों में 2017 में 1687 कर्मचारी थे अब यहां 784 कर्मचारी शेष रह गए है। सार्वजनिक उपक्रमों और अर्द्ध शासकीय संस्थानों में भी कर्मचारी तेजी से कम हुए है। वर्ष 2017 में यहां 59 हजार 634 कर्मचारी थे तो वहीं अब इनकी संख्या 45 हजार 559 रह गई है। वहीं प्रदेश के सरकारी विभागों में स्कूल शिक्षा विभाग में सर्वाधिक 2 लाख 4 हजार 717 कर्मचारी है। दूसरे स्थान पर गृह विभाग है, यहां 97 हजार 926 कर्मचारी है। तीसरे स्थान पर अनुसूचित जाति कल्याण विभाग है, जिसमें 52 हजार 870 कर्मचारी शेष बचे है। प्रदेश के कुल कर्मचारियों का 62 फीसदी कर्मचारी इन्हीं तीन विभागों के है। मध्य प्रदेश पुलिस में निरीक्षक से लेकर आरक्षक तक के 22 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। यह जानकारी हाल ही में पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को भेजी है। इसमें जिला पुलिस बल, विशेष सशस्त्र बल, पुलिस प्रशिक्षण सहित अन्य में स्वीकृत पदों के विपरीत खाली पदों की जानकारी दी गई है। प्रदेश पुलिस में 6 हजार पदों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस प्रक्रिया के दौरान ही पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को यह बताया है कि उसके साढ़े 22 हजार से ज्यादा पद इस वक्त खाली पड़े हुए है। इस जानकारी के जरिए पुलिस मुख्यालय भविष्य में खाली पड़े पदों के विपरित पुलिस भर्ती को लेकर जोर दे सकता है। जानकारी के अनुसार जिला पुलिस बल में रक्षित निरीक्षकों के 4 पद खाली हैं। वहीं निरीक्षकों के 208 पद, सूबेदारों के 77 पद, एसआई के 391 पद, एएसआई के 1243 पद खाली है। इसी तरह जिला पुलिस में 11 हजार 463 पद आरक्षक और 2291 पद प्रधान आरक्षकों के खाली हैं। वहीं विशेष सशस्त्र बल में निरीक्षकों के 73 पद खाली हैं। जबकि एसआई के 245, एएसआई के 106, प्रधान आरक्षक के 449 और आरक्षक के 1757 पद खाली हैं। पुलिस प्रशिक्षण में भी खाली पदों की संख्या बहुत ज्यादा हो चुकी है। यहां पर रक्षित निरीक्षक के दो पदों के साथ ही निरीक्षकों के 70 पद, सूबेदारों के 11, एसआई के 31 पद, प्रधान आरक्षक के 409 और 616 आरक्षक के पद खाली हैं। जबकि अन्य शाखाओं में निरीक्षक के 264 पद, एसआई के 279 पद, प्रधान आरक्षक के 1066 पद और आरक्षक के 1248 पद खाली हैं।
नियमित कर्मचारियों की संख्या 3.02% बढ़ी
प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित कर्मचारियों की संख्या पिछले एक साल में बढ़ गई है। प्रदेश के शासकीय विभागों में नियमित रूप से कार्यरत कर्मचारियों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा 3.02 प्रतिशत बढ़ी है। सरकारी विभागों में पिछले पांच साल से नियमित पदों पर कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2017 में जहां 4 लाख 47 हजार 262 कर्मचारी थे तो वर्ष 2020 में इनकी संख्या बढ़कर 5 लाख 54 हजार 991 हो गई थी। वहीं वर्ष 2021 में नियमित कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 72 हजार 288 हो गई है।
निकायों में कर्मचारियों की कमी चिंताजनक
प्रदेश के शासकीय विभागों में भले ही नियमित कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन नगरीय स्थानीय निकायों और ग्रामीण स्थानीय निकायों में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। नगरीय निकायों में वर्ष 2017 में कुल कर्मचारियों की संख्या 85 हजार 961 थी। वहीं यह संख्या बीते वर्ष में घटकर 32 हजार 933 रह गई है। ग्रामीण स्थानीय निकायों में तो कर्मचारियों की संख्या और भी तेजी से घटी है। वर्ष 2017 में ग्रामीण स्थानीय निकायों में एक लाख 38 हजार 855 थी। अब यहां केवल 4941 कर्मचारी शेष रह गए है। इस हिसाब से ग्रामीण स्थानीय निकायों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी कम हुई है।