मप्र में… यूपी व उत्तराखंड मॉडल पर भाजपा लड़ेगी चुनाव

  • फामूर्ला तैयार, अनफिट बैठने वाले माननीयों के टिकट काटने की तैयारी

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। अपने गढ़ को

सुरक्षित बनाए रखने के लिए भाजपा ने अभी से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरी ताकत के साथ अभी से शुरू कर दी हैं। इसके लिए संगठन द्वारा एक फार्मूला तैयार किया गया है, जो भी मौजूदा विधायक इस पर खरा नहीं उतरेगा , उसका टिकट काट कर नए चेहरे को मौका दिया जाएगा। इसके साथ ही संगठन ने मप्र में भी उप्र और उत्तराखंड में जिस चुनावी मॉडल पर चलकर दोबारा सत्ता में वापसी की है उस पर मप्र में भी अमल करने का फैसला कर लिया गया है। यही वजह है कि संगठन व सत्ता  मिलकर अब हर विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायकों के उत्तराधिकारी की तलाश कर रही है।  इसकी वजह है चुनाव के समय नए चेहरों के लिए की जाने वाली मशक्कत से मुक्ति पाना।  इसके लिए रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है। इसमें सबसे बेहद महत्वपूर्ण चुनाव प्रचार-प्रसार के तौर तरीकों से लेकर टिकट बंटवारे तक का फॉर्मूला है। दरअसल अभी से यह तैयारी राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर प्रदेश संगठन द्वारा की जा रही है। अगर पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो अब तक जो फॉर्मूला तय किया गया है, उस पर अमल किया गया तो मौजूदा आधा सैकड़ा पार्टी विधायकों के टिकट कटना तय है। यही नहीं यह फार्मूला उन पार्टी नेताओं पर भी लागू होगा , जो बीता चुनाव हार चुके हैं। इसकी वजह से उन नेताओं की चुनाव लड़ने की मंशा पर भी पानी फिरना तय माना जा रहा है जो मंत्री रहने के बाद भी पिछला चुनाव हार गए थे।

श्रीमंत समर्थकों को टिकट मिलना तय
पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन द्वारा टिकट के लिए तय किए गए फार्मूला के दायरे से श्रीमंत समर्थकों को बाहर रखा जाएगा। इनमें वे नाम भी शामिल हैं,जो उपचुनाव में भले ही खेत रहे हैं। इसकी वजह से उनके समर्थक मौजूदा सभी विधायकों और उपचुनाव हारने वाले विधायकों को भी प्रत्याशी बनाया जाना तय है। पार्टी इस बार अपने उन नेताओं को मौका देने के पक्ष में है जो लंबे समय से संगठन स्तर पर या फिर अपने इलाकों में पार्टी के लिए लगातार सक्रिय रहकर जनता के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं , लेकिन किसी न कियी कारण से अब तक टिकट नहीं पा सके हैं। टिकट वितरण में संघ की पसंद व न पसंद का भी विशेष तौर पर ध्यान रखा जाना तय है। पार्टी टिकट तय करने समय  जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन का भी विशेष ध्यान रखेगी। माना जा रहा है कि टिकट के लिए नाम तय करने से पहले जिले स्तर से संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के लिए नामों का पैनल मंगाया जा सकता है।

एक सैकड़ा स्थानों पर होगा व्याख्यान माला का आयोजन
भाजपा द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे जन्मशताब्दी समारोह के तहत 15 अप्रैल से 15 मई तक प्रदेश भर में कई तरह के आयोजन किए जाएंगे। इसकी समिति की बैठक में रुपरेखा तय कर ली गई है। इसके तहत प्रदेश के सभी संभागीय शहरों सहित 100 स्थानों पर व्याख्यान मालाएं आयोजित करने का फैसला किया गया है। इसके अलावा भोपाल, ग्वालियर, इंदौर एवं जबलपुर में बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। बैठक में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण करने के अलावा ठाकरे जी के नाम पर प्रतिवर्ष पुरस्कार दिये जाने, उनके जीवन पर केंद्रित  साहित्य एवं पुस्तकें प्रकाशित किए जाने, उनके साथ में काम करने वाले लोगों का सम्मान किए जाने संबंधी निर्णय भी लिए गए। इन आयोजनों के लिए जिले स्तर पर आयोजनों के लिए प्रत्येक जिले में पार्टी के नेताओं की 21 सदस्यीय समितियों के गठन का भी निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि प्रदेश स्तर पर इसके लिए गठित संगठन की समिति की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन हैं , जबकि हेमंत खंडेलवाल सचिव हैं। इस समिति की बीते रोज बैठक हुई जिसमें प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के अलावा समारोह समिति के सदस्य, संभाग संयोजक, जिला अध्यक्ष एवं सचिव शामिल हुए।

ऐसे नेताओं के नाम पर भी नहीं होगा किया जाएगा विचार
संगठन इस बार ऐसे नेताओं के नाम पर टिकट के लिए विचार नहीं करने का तय कर चुकी है जो , बीते साढ़े चार साल तक संगठन और सरकार की गतिविधियों से खुद को पूरी तरह से दूर किए रहे हैं। इस फार्मूला पर  मौजूदा और पूर्व विधायकों को भी परखा जाएगा। यही वजह है कि विधायक दल की बैठक हो या संगठनात्मक बैठकें विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में जनता से सीधा संवाद रखने और सक्रियता बनाए रखने के लगातार निर्देश दिए जाते रहे हैं। इसके अलावा समय- समय पर अपने बयानों की वजह से  संगठन और सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी करने वाले नेताओं का टिकट कटना भी तय माना जा रहा है। पार्टी पहले से ही वयोवृद्ध हो चुके नेताओं को चुनाव से दूर रखने का फैसला कर चुकी है , जिसकी वजह से कई नेताओं का इसकी जद में आना तय है, तो वहीं गंभीर बीमारी से जूझ रहे विधायकों के टिकट कटना भी तय माने जा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है जो नेता बीते चुनाव में अधिक मतों से हारे हैं या फिर मंत्री रहने के बाद भी चुनाव नहीं जीत सके हैं उनसे भी पार्टी इस बार चुनाव में परहेज करेगी।  मप्र में… यूपी व उत्तराखंड मॉडल पर भाजपा लड़ेगी चुनाव