कांग्रेस के पास नेता और कार्यकर्ता हैं… लेकिन सक्रियता नहीं

  • यादव ने सौंपी आगामी चुनाव की बिंदुवार कार्ययोजना

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश कांग्रेस

की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। इसकी वजह है पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव की दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से चली करीब 45 मिनट की मुलाकात। इसमें उनके द्वारा कहा गया कि कांग्रेस के पास नेता और कार्यकर्ता हैं, लेकिन सक्रियता नहीं है। यादव ने इसके अलावा प्रदेश में कांग्रेस कमेटी के कामकाज की शिकायत करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में जिस तरह से काम किया जा रहा है उस हिसाब से 2023 का विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ पाना मुश्किल बना हुआ है। उन्होंने इस मुलाकात में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की एकला चलो की नीति की शिकायत करते हुए उसमें बदलाव की मांग करते हुए पार्टी के सभी नेताओं को साथ लेकर चलने की वकालत भी की।
यादव पार्टी के बेहद वरिष्ठ नेता हैं इसके बाद भी वे बीते दो साल से प्रदेश में कांग्रेस संगठन द्वारा उपेक्षित चल रहे हैं। यादव भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद रिक्त हुई खंडवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के यादव प्रबल दावेदार थे। वे सीट रिक्त होने के बाद से ही इलाके में पूरी तरह से सक्रिय हो गए थे, लेकिन अंतिम समय में उन्हें चुनाव लड़ने से इंकार करना पड़ गया था। इसके बाद से ही उनकी प्रदेश संगठन को लेकर जमकर नाराजगी बनी हुई है। यही नहीं प्रदेश संगठन द्वारा उनके समर्थक माने जाने वाले दो जिलाध्यक्षों को भी हटा दिया गया था। इसके बाद से उन्हें न तो संगठन की बैठकों में बुलाया जाता है  और न ही पार्टी के कार्यक्रमों में तबज्जो दी जा रही है, जिसकी वजह से उनके द्वारा सोनिया गांधी से मिलने के लिए समय मांगा गया था। कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें बीती शाम का वक्त दिया था।

सूत्रों का कहना है कि मुलाकात के दौरान यादव ने मध्यप्रदेश के संगठन को इलेक्शन मोड में लाने के लिए एक कार्य योजना भी सोनिया गांधी को सौंपी है। इस कार्ययोजना में यादव ने कांग्रेस संगठन को प्रदेश में कैसे सक्रिय किया जाए, इसको लेकर कई बिंदुओं में जानकारी दी है। बताते हैं कि चर्चा में मध्यप्रदेश के कांग्रेस संगठन में क्या चल रहा है और क्या होना चाहिए? इस मुद्दे पर खास फोकस रहा। यादव ने कहा कि कांग्रेस के पास नेता और कार्यकर्ता हैं, लेकिन सक्रियता नहीं है मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए वक्त कम है, लिहाजा पार्टी को मैदान में उतरना होगा और बूथ स्तर तक सक्रिय होना होगा।
जनता की आवाज और जनहित के मुद्दों को उठाना होगा। मौजूदा कांग्रेस की नीति एकला चलो की है। यादव ने अपने अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहित कई नेताओं के नाम लिए और कहा कि जो भी सक्रिय होते हैं, उन्हें दबाने के प्रयास तेजी से शुरू कर दिए जाते हैं। उन्होंने इसके लिए खंडवा लोकसभा सीट से अपने टिकट को भी इसी से जोड़कर बताया है। यादव ने सोनिया गांधी से कहा कि प्रदेश, कांग्रेस संगठन अभी चुनाव के लिए तैयार नहीं है। जिस हिसाब से तैयारी है, उसके तहत 2023 का विधानसभा चुनाव ताकत के साथ लड़ पाना मुश्किल है।
दिग्विजय ने भी की बात
बीते रोज नई दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यादव से फोन पर बात की। एका एक घटे इस घटनाक्रम ने नए समीकरणों के उभरने के संकेत दिए हैं, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही कुछ बड़े पदों पर बदलाव की अटकलें हैं। दिग्विजय ने उन्हें डिनर पर भी आमंत्रित किया था, लेकिन वे शाम को भोपाल आ गए। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने मालवा-निमाड़ दौरे के दौरान दिग्विजय यादव के घर बोरावा भी गए थे। खंडवा में उन्होंने यादव की ओर इशारा करते हुए कहा था कि इन युवाओं को अब मौका मिलना चाहिए।
खंडवा-बुरहानपुर जिलाध्यक्षों पर भी चर्चा
यादव ने सोनिया गांधी से मुलाकात में संगठनात्मक चुनाव के साथ खंडवा लोकसभा उप चुनाव को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि उप चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने खंडवा और बुरहानपुर जिले के शहर और ग्रामीण अध्यक्षों को हटा दिया था। चार महीने बाद भी इन जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इसका असर आगामी दिनों में होने वाले चुनाव पर पड़ेगा।कांग्रेस के पास नेता और कार्यकर्ता हैं,… लेकिन सक्रियता नहीं