52 फीसदी कम पर चाहते हैं… ठेकेदार शराब दुकानों के टेंडर

  • सरकार ने कम की 45 फीसदी रिजर्व प्राइस, फिर भी नहीं हो सकी 22 दुकानों की नीलामी

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। शासन द्वारा जैसे-जैसे रिजर्व प्राइस कम की गई वैसे-वैसे ठेकेदार उसमें और कमी करते जा रहे हैं। यही वजह है कि शासन द्वारा रिजर्व प्राइस में 45 फीसदी की कमी किए जाने के बाद भी अब भी राजधानी में 9 ग्रुप की 22 दुकानों  की नीलामी नहीं हो सकी। इन दुकानों के लिए जो टेंडर ठेकेदारों द्वारा डाले गए उनमें रिजर्व प्राइस से 52 फीसदी तक का उल्लेख किया गया था। इसकी वजह से अब इन दुकानों का संचालन आबकारी अमले को खुद करना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि यह स्थिति अकेले भोपाल में बनी है , बल्कि इसी तरह की स्थिति कुछ ग्रुपों के लिए इंदौर और जबलपुर जैसे शहरों में भी बनी हुई है। इसके पहले गत वित्तीय वर्ष में भी कुछ यही स्थिति बनी थी, जिसके बाद विभाग को कुछ दिनों तक दुकानों का संचालन करना पड़ा था। इधर, इंदौर में दो ग्रुप और जबलपुर में भी एक ही ग्रुप शेष बचा है। शेष रह गये ग्रुपों के लिए आज फिर   ऑनलाइन बोली की प्रक्रिया की जा रही है। दरअसल, 31 मार्च को देर रात तक दुकानों को लेकर कवायद की जाती रही, इसकी वजह है ग्रुपों के लिए आॅनलाइन जो टेंडर आये थे, वो रिजर्व प्राइस से 20 से लेकर 42 फीसदी तक कम के थे। ऐसे में इन पर शासन स्तर पर निर्णय लेते हुए देर रात रिर्जव प्राइस से 45 फीसदी तक कम आये टेंडरों को स्वीकृति दे दी गई , जिसकी वजह से भोपाल जिले के एक दर्जन ग्रुपों के ठेके हो गए , लेकिन 9 ग्रुप बच गये थे। इन बचे हुए ग्रुपों के लिए आरपी से 48 से 55 फीसदी तक कम की दर डाली गई, जिसकी वजह से विभाग को बिट्टन मार्केट, लालघाटी-2, सुभाष नगर-2, न्यूमार्केट-2, हमीदिया रोड, पीएनटी चौराहा, जहांगीराबाद, शाहपुरा, बस स्टेंड, सीहोर नाका-2, न्यूमार्केट-1, स्टेट बैंक चौराहा, लालघाटी-1, सीहोर नाका-1, टीन शेड, सुभाष नगर-1, पीरगेट, ऐशबाग, शाहजहांनाबाद-2, बरखेड़ा बोंदर, पुराना किला और बरखेड़ी की दुकानों का संचालन करना पड़ रहा है। इनके संचालन के लिए हर दुकान पर एक एडीओ के साथ ही आबकारी आरक्षक और दो होमगार्डों को तैनात किया गया है।
40 करोड़ अधिक की हुई आय
वित्तीय वर्ष 21-22 के लिए विभाग  के लिए 10 हजार 340 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था। जिसके मुकाबले विभाग ने 10 हजार 380 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया है। यह 40 करोड़ रुपए अधिक है। वित्तीय वर्ष 22-23 के लिए  12 हजार करोड़ का लक्ष्य रखा गया है।
उमा ने लिखा पार्टी हाईकमान को पत्र , किए कई ट्वीट
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मप्र की नई शराब नीति को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि मेरी आपसे मप्र भाजपा सरकार की शराब नीति के बारे में बात हुई थी और मैंने कुछ तथ्य, शराब नीति की खामियों के बारे में बताया था। छत्तीसगढ़ एवं दिल्ली प्रदेश में हमारी ही पार्टी इसी प्रकार की  शराब नीति का विरोध कर रही है। पूरे देश में हमारी पार्टी की शराब नीति एक जैसी होनी चाहिए। नई शराब नीति में सारे नैतिक नियमों का उल्लंघन करते हुए ज्यादा शराब बेचने की नीति बनाई गई हैं। मैंने एवं प्रदेश के अनेक जनप्रतिनिधियों ने करीब डेढ़ साल में  कई सुझाव मुख्यमंत्री जी को दिए। हरेक सुझाव की अनदेखी करते हुए, इस नई शराब नीति के घोषणा के बाद सरकार एवं पार्टी की छवि बहुत खराब हुई है। मेरा आपसे अनुरोध हैं कि आप इस संबंध में उचित मार्गदर्शन करें। इसके बाद उनके द्वारा एक के बाद एक चार ट्वीट भी किए गए। उन्होंने पहले ट्वीट में लिखा की कल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही हैं। यह नारी शक्ति की पूजा का पर्व है। दूसरे ट्वीट में कहा कि आज हमने मध्यप्रदेश में नई शराब नीति लागू की है। इसमें लोगों को ज्यादा शराब कैसे पिलाई जा सके, अहातों में ज्यादा शराब कैसे परोसी जा सके, इस व्यवस्था को निश्चित किया है। प्रदेश में सर्वत्र नारी शक्ति द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। तीसरे में उनके द्वारा कहा गया है कि छत्तीसगढ़ एवं दिल्ली की भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाइयां इसी प्रकार की शराब नीति के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं। इसके बाद चौथे ट्वीट में उनके द्वारा कहा गया कि मैं मप्र की महिलाओं और बेटियों के साथ हूं। बेटों के लिए भी चिंतित हूं। उनकी इज्जत एवं जान पर खेलकर हम राजस्व कमा रहे हैं। इस पर शर्मिंदा भी हूं।
परेशान होते रहे ठेकेदार
वित्त वर्ष के पहले ही दिन एक अप्रेल को शराब ठेकेदारों को बेहद परेशान होना पड़ा। इसकी वजह रही वित्तीय वर्ष का पहला दिन होने की वजह से पोर्टल का बेहद धीमी गति से चलना , जिसकी वजह से न तो लायसेंस जनरेट हुए और न ही चालान ही बन पाए। इसकी वजह से ठेके लेने वाले नये दुकानदारों को माल ही नहीं मिल पाया। इसके बाद भी  दुकानें तो खुलीं , लेकिन उनमें माल ही नहीं था।  जिसकी वजह से कई दुकानों में तो चीप रेंज की शराब ही बेंची जा सकी। इस मामले में अफसरों का तर्क है कि वित्तीय वर्ष के पहले दिन यही स्थिति रहती है।
ठेकेदारों की दुकानों पर महंगी मिली शराब
नई आबकारी नीति के तहत प्रदेश में देशी और अंग्रेजी शराब की कीमतों में 20 फीसदी की कमी गई है। पहले दिन शुक्रवार को आबकारी विभाग की 22 दुकानों पर शराब की कीमतों में इस नई दर पर शराब बेंची गई , जबकि ठेकेदारों ने दुकानों पर पुराने रेट पर शराब बेची। आबकारी विभाग की दुकानों पर शराब के सीमित ब्रांड ही मिल रहे थे। आबकारी अमले ने 31 मार्च की रात ही नीलामी से बच गई दुकानों की शराब अपने कब्जे में ले ली। दिन भर इस माल की बिक्री होती रही है। नया माल जारी नहीं हो सका। मालूम हो कि शराब ठेकेदारों द्वारा पिछले चार दिन से सस्ती शराब बेची जा रही है, इस कारण उनका अधिकांश माल खत्म हो गया है, जो माल बच गया था, उसे 20 प्रतिशत कम पर बेचा गया।