33 करोड़ के सरकारी हैलीकॉप्टर का ढाई करोड़ में सौदा

भोपाल की ही एक कंपनी ने सर्वाधिक राशि का दिया ऑफर



भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। राज्य सरकार के 33 करोड़ रुपए वाले हैलीकॉप्टर को आखिरकार ढाई करोड़ रुपए में बेचने का सौदा कर ही लिया गया है। अब इस सौदे पर कैबिनेट की मुहर लगना ही शेष रहा गया है। इस सौदे के तहत खरीददार कंपनी को सरकार हेलिकॉप्टर बेल-430 और उसके स्पेयर्स पार्टस भी देगी। यह हेलिकॉप्टर 1998 में खरीदा था। इसे बेचे जाने के लिए सरकार द्वारा 10 साल से खरीददार की तलाश की जा रही थी।
इस मामले में सरकार द्वारा जो ऑफसेट प्राइज तय की गई थी, उस हिसाब से कोई खरीददार ही सामने नहीं आया। खास बात यह है की इसे भोपाल की ही कंपनी ने खरीदा है। इसके लिए 31 मई को हेलिकॉप्टर की नीलामी की गई है, जिसमें एफए इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी ने 2.57 करोड़ रुपए में बोली लागाकर इसे खरीदा है। इस हेलिकॉप्टर को बेचे जाने के प्रस्ताव के अनुमोदन आगामी कैबिनेट की बैठक में किए जाने की संभावना है। गौरतलब है की इस बेल-430 हैलीकाफ्टर को 1998 में 18 करोड़ रुपए में खरीदा गया था, जो 2002 में इंदौर से राघौगढ़ की उड़ान के दौरान यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसके बाद इसे ठीक कराने पर राज्य सरकार ने 2006 में 15 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इसे कनाडा में ठीक कराया गया था। इसके बाद भी वह उड़ान के दौरान बीच-बीच में दिक्कत करता रहा। इसके बाद इसकी उड़ान 2013 में प्रदेश सरकार ने बंद कर दी। इसके बाद सरकार इस्तेमाल के लिए 2011 में 65 करोड़ में दूसरा हेलिकॉप्टर खरीद लिया था।
भोपाल के कबाड़ी ने खरीदा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हवाई बेड़े में शामिल बैल-430 हेलिकॉप्टर को बेचने के लिए नीलामी की गई थी, जिसमें भोपाल के कारोबारी नईम ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर खरीद लिया। नईम ने बोली मुंबई की एक एविएशन कंपनी को पछाड़ दिया। नईम ने कंपनी से 31 लाख से ज्यादा बोली लगाई। सरकार का ये हेलिकॉप्टर 20 साल पुराना है। सरकार इसे पिछले 10 साल से बेचने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसे बेच नहीं पा रही थी। इस बेचने के लिए सरकार द्वारा कुल सात बार टेंडर जारी किए हैं। इसमें से शुरूआती 4 टेंडरों में कोई नहीं आया। 5वीं बार जारी हुए टेंडर में मुंबई की दो एविएशन कंपनियों थंबी एविएशन और सिनचेन एविएशन ने हिस्सा लिया, लेकिन हेलीकॉप्टर की हालत देखकर दोनों कंपनियां वापस चली गई। हालांकि, सरकार ने दोनों एविएशन कंपनियों की अर्नेस्ट मनी ढाई-ढाई लाख रुपए राजसात कर ली। इसके बाद 6वीं बार के टेंडर में गुजरात की एविएशन कंपनी ने टेंडर डाला, इस कंपनी ने 25 फीसदी राशि यानी 50 लाख रुपए भी जमा कर दी, लेकिन हेलिकॉप्टर देखने के बाद इस कंपनी ने भी हाथ पीछे खींच लिए। सरकार ने इस कंपनी की भी राशि राजसात कर ली। 7वीं बार में मुंबई की डेक्कन चार्टर्ड एविएशन और भोपाल के नईम ने टेंडर डाला। डेक्कन चार्टर्ड कंपनी ने 430 हेलिकॉप्टर की बोली 2 करोड़ 26 लाख लगाई, वहीं नईम ने 2 करोड़ 57 लाख रुपए की बिड लगाई। नईम की ज्यादा बोली होने पर टेंडर उसे दिया गया। इस हेलिकॉप्टर ने आखिरी उड़ान 2013 में भरी थी। ये पहला डबल इंजन वाला हेलिकॉप्टर था। 2003 में अनुराधा पौडवाल को ले जाते समय इसका एक्सीडेंट हुआ था, उसके बाद से इसे कम ही उड़ाया गया।
वर्ष 2016 में आंकी गई थी वैल्यू
सरकार ने वर्ष 2016 में इसकी कीमत का आंकलन कराया तो दस करोड़ रुपए निकली। इसी आधार पर इसको बेचने के लिए आॅफर बुलाए गए, लेकिन किसी भी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। फिर इसकी कीमत 9 करोड़ रुपए रखी गई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। वर्ष 2019 में इसकी कीमत घटाकर 2.66 करोड़ रुपए रखी गई। इसमें दो कंपनियों ने रुचि दिखाई। कीमत लगाने के बाद भी ये नहीं आईं। सरकार ने वर्ष 2019 में इसकी कीमत दो करोड़ रुपए आंकी, इसके बाद फिर से आकलन कराया गया तो इसकी कीमत बढ़कर 2.24 करोड़ रुपए आंकी गई, क्योंकि स्टोर में इसके अन्य पार्ट्स और मिले। इससे इसकी कीमत बढ़ी है। सरकार ने आंकी गई इस कीमत पर कंपनियों के आॅफर बुलाए तोएक कंपनी ने रुचि दिखाते हुए 2.57 करोड़ बोली लगाई है। यह उड़न खटोला भले ही न बिका हो, लेकिन बिना बिके हुए अभी तक सरकार को इससे पांच लाख रुपए का लाभ हो चुका है। सरकार ने जब इसके आॅफर बुलाए थे उस दौरान दो कंपनियों ने रुचि दिखाई। एक कंपनी दो लाख 70 हजार रुपए धरोहर राशि जमा कर दी थी, लेकिन यह हेलीकॉप्टर लेने नहीं आई। इससे यह राशि जब्त कर ली गई। इसी प्रकार एक अन्य कंपनी के ढाई लाख रुपए भी जब्त किए जा चुके हैं।