मिशन 2023 की रणनीति पर… लगेगी मुहर, दो दिन चलेगी बैठक

भाजपा दो दिनों तक प्रदेश कार्यसमिति और कोर ग्रुप की बैठक में करेगी मंथन.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव किस रणनीति पर लड़ेगी, इसका खाका 4 और 5 सितंबर को होने वाली कार्यसमिति और कोर ग्रुप की बैठक में तय कर उसपर मुहर लगाएगी। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आज भोपाल में हो रही है। इसमें नगरीय निकाय चुनाव परिणामों पर चर्चा के साथ अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के रोडमैप को तैयार किया जाएगा। एक दिवसीय कार्यसमिति की बैठक के बाद संगठन के आला नेताओं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैठेंगे। इस बैठक में संगठन में चुनावी दृष्टिकोण से दायित्व बदलने और कुछ नेताओं को नए दायित्व देने पर चर्चा होगी। इसमें पार्टी के प्रशिक्षण वर्ग की तारीख तय होगी। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश के निर्देशों पर विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर गाइडलाइन बनी है। गौरतलब है कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक पहले 26 अगस्त को पचमढ़ी में होनी थी। इसके पहले भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों, जिला प्रभारियों समेत मोर्चा, प्रकोष्ठों के नेताओं का दो दिवसीय प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाना तय किया गया था , लेकिन इस बीच हुई भारी बारिश के चलते इसे टाल दिया गया था। प्रशिक्षण शिविर अब कब होगा यह पांच सितम्बर की बैठक में तय किया जाएगा। वहीं चार सितम्बर को होने वाली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पिछले तीन महीने के संगठन के कामों की समीक्षा की जाएगी और अगले महीनों में संगठन के चलने वाले अभियानों की रूपरेखा तय होगी।
संगठन विस्तार और बूथ सशक्तिकरण पर जोर
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा संगठन के विस्तार और बूथ सशक्तिकरण पर खासा ध्यान दे रही है। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सीएम शिवराज सिंह के अलावा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत अन्य नेता हिस्सा ले रहे हैं। प्रदेश से जुड़े केन्दीय मंत्रियों के भी बैठक में आने की उम्मीद है। इस बैठक के बाद शिव प्रकाश के नेतृत्व में संगठन के आला नेताओं की बैठक होगी। इसमें कोर ग्रुप के सदस्य भी शामिल रहेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अगले सप्ताह से आदिवासी इलाकों में जाएंगे। धार, झाबुआ, खरगोन, बड़वानी आदि जिलों में उनके दौरे होंगे। इन क्षेत्रों में पार्टी नेता-कार्यकर्ताओं की बैठक होगी। मेयर का चुनाव हारने वाली सिंगरौली और कटनी में कार्यकर्ताओं के बीच जाएंगे। सिंगरौली में आप और कटनी में भाजपा की बागी ने जीत दर्ज की है।
मिशन 2023 के हिसाब से ही सारे कदम
पार्टी की लाइन अब सीधे तौर पर विधानसभा चुनाव 2023 का मिशन है। इसके लिए पार्टी ने दलित, आदिवासी और ओबीसी वोटबैंक को प्राथमिकता पर रखना तय किया है। इसके तहत इनके प्रभाव वाले इलाकों को लेकर अलग से पूरी स्क्रूटनी होगी। इन वोट बैंक के हिसाब से भी टीमों तैयार किया जाएगा। इनके मुद्दों को लेकर काम होगा। भाजपा के बूथ विस्तारीकरण में भी इस पर फोकस किया गया है। वहीं पार्टी अपने सांसद से जल्द ही इस बात की जानकारी लेगी कि उनके संसदीय क्षेत्र में केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार की योजनाओं का कितने प्रतिशत क्रियान्वय हो रहा है। अगर कहीं कमी है तो उसे दूर करने के लिए सांसद द्वारा क्या किया गया है। जानकार बताते हैं कि सांसदों की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस संबंध में प्रशासनिक कसावट लाएंगे। संगठन ने यह संकेत भी दिए हैं कि जिनका कार्यकाल पूरा होने वाला है पर काम अच्छा रहा है, उन्हें रिपीट किया जा सकता है। नगर निकाय और पंचायत चुनाव में कई जिला अध्यक्षों के परफार्मेंस पर सवाल उठाए गए हैं। खासतौर पर मालवा निमाड़ और विन्ध्य क्षेत्र के जिले इसमें आगे है। कई जिला अध्यक्षों के विरुद्ध पार्टी के कैंडिडेट का विरोध करने के भी आरोप लगे हैं और इसकी शिकायत प्रदेश संगठन तक पहुंची है। भाजपा संगठन में यह व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति ही पद पर दो कार्यकाल से अधिक समय तक नहीं रह सकता। इसलिए यह भी तय है कि कई जिलों के जिला अध्यक्ष जो लगातार दो बार से अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, संगठन उन्हें पद से मुक्त कर नई जिम्मेदारी सौंप सकता है। भाजपा के 57 संगठनात्मक जिलों में अधिकांश जिला अध्यक्षों का कार्यकाल नवम्बर 2022 में खत्म हो रहा है। नवम्बर 2019 में संगठनात्मक चुनाव के बाद 33 नए जिला अध्यक्षों की पहली सूची 5 दिसम्बर 2019 को जारी हुई थी। इसके बाद 24 जिला अध्यक्षों की सूची अलग-अलग जारी हुई। जिला अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है जो इसी साल खत्म हो रहा है। पार्टी में केंद्र और राज्य स्तर पर संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया एक साथ चलती है। ऐसे में 2022 का साल संगठनात्मक चुनाव का है। वैसे 2017 में जिला अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म होने पर हटाने की बजाय 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कार्यकाल बढ़ा दिया था।
शिवप्रकाश के निर्देशों पर गाइडलाइन बनी
विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने नई रणनीति बनाते हुए उन 100 सीट पर खास तौर फोकस किया है, जहां पार्टी पिछली बार हारी थी। इनमें ज्यादातर मालवा-निमाड़, ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड क्षेत्र की हैं। इन सीटों को जीतने के लिए माइक्रो प्लानिंग बनाई गई है। प्रत्येक सीट पर चुनाव होने तक सांसद और विधायकों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। संगठन की निगरानी में इन नेताओं के नियमित दौरे होंगे, जो बूथ मैनेजमेंट की मॉनिटरिंग करेंगे। भाजपा की बैठक 4 सितंबर को होगी। इसमें पार्टी के प्रशिक्षण वर्ग और प्रदेश कार्यसमिति की तारीख तय होगी। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश के निदेर्शों पर विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर गाइडलाइन बनी है। राज्यसभा सांसदों, प्रदेश के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश पदाधिकारियों को भी इन सीटों पर जाना पड़ेगा।
कमजोर कडिय़ों को किया जाएगा दुरूस्त
मप्र भाजपा ने निकाय चुनाव के कुछ अर्से पहले ही संभाग, जिला और बूथ स्तर पर नेटवर्क को बढ़ाया था। पार्टी की जिला समितियां, मोर्चे-विभाग और अन्य विंगों की राज्य, संभाग व जिलों की समितियां भी निकाय चुनाव के कुछ अर्से पूर्व ही घोषित की गई थी। इसके अलावा बूथ विस्तार अभियान के तहत चुनाव के कुछ समय पूर्व ही नई टीम गठित की गई थी। लेकिन, इस चुनाव में जिलों से लेकर बूथ तक अनेक नेताओं के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। बूथ स्तर पर भी टीमों को लेकर संगठन संतुष्ट नहीं है। इस कारण पूरे प्रदेश की पूरी स्थिति को जांच कर ही अब आगे कदम उठेंगे। भाजपा का बूथ नेटवर्क काफी मजबूत हो चुका है, लेकिन इसमें जिन नेताओं के खिलाफ शिकायतें हैं उनको बदला जा सकता है। भाजपा ने भोपाल से भी जिलों में नेताओं को फीडबैक लेने भेजा था। इसके चलते भी जिलों से आई रिपोर्ट के आधार पर अब आगे एक्शन तय होगा। अनेक जगह पर प्रत्याशियों ने स्थानीय बड़े नेताओं के खिलाफ शिकायतें की हंै। इन शिकायतें की सत्यता को भी देखा जा रहा है।
कैबिनेट विस्तार-निगम मंडल पर होगी बात
प्रदेश कोर कमेटी की इस बैठक में ब्यूरोक्रेसी के रवैये को लेकर बात होना तय है। इसके अलावा मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल में नियुक्तियों पर विस्तार से बात होगी। । गौरतलब है कि विजयवर्गीय, मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया, बृजेंद्र सिंह यादव और गोपाल भार्गव कुछ दिनों से प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी के रवैए को लेकर मुखर हैं। मंत्रियों ने खुलकर अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। इसके चलते तय माना जा रहा है कि कोर कमेटी में ये मुद्दा सदस्य उठाएंगे। कुछ कलेक्टरों को लेकर बात होगी। इसके अलावा निगम मंडलों में नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी।