कांग्रेस सरकार को घेरने की तैयारी में, भाजपा भी देगी करारा जवाब.
भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र विधानसभा का मानसून सत्र कल यानि की 13 सिंतबर से शुरू हो रहा है। इस पांच दिवसीय सत्र में विधानसभा चुनाव की झलक देखने को मिलेगी। यानी कांग्रेस जहां विभिन्न मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने की जोरदार तैयारी कर चुकी है, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा भी कांग्रेस को करारा जवाब देने को तैयार है। यानी पांच दिवसीय मानसूत्र सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं। कांग्रेस चुनावी प्लेटफार्म पर सरकार को घेरने की प्रैक्टिस विधानसभा में करेगी। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सभी विधायकों को पूरी तैयारी के साथ विधानसभा में आने का निर्देश दिया है। पांच दिवसीय यह सत्र छोटा जरूर है ,पर इसमें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की झलक साफ दिखाई देगी। वहीं हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव परिणामों पर भी खासा द्वंद्व होना तय माना जा रहा है। विपक्षी दल कांग्रेस के तेवर अभी से तीखे नजर आ रहे हैं तो भाजपा अपने विजयी अभियान को सदन में पूरी ताकत से रखेगी। विधानसभा का यह सत्र पहले 25 जुलाई से प्रस्तावित था पर नगरीय निकाय चुनाव के चलते इसका समय बढ़ाकर 13 सितम्बर कर दिया था।
एक दिन पहले समाप्त हो सकता है सत्र
माना यह भी जा रहा है कि यह पांच दिवसीय सत्र चार दिनों का भी हो सकता है। इसके पीछे कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 17 सितम्बर को मध्यप्रदेश यात्रा बताया जा रहा है। पीएम 17 सितम्बर अपने जन्म दिन पर पालपुर कूनो पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री और विधायक यहां मौजूद रहेंगे। लिहाजा संभव है कि सत्र 16 तक ही चले। सत्र भले ही छोटा हो पर इसके बेहद हंगामाखेज होने के आसार हैं।
विपक्ष ने बनाई सरकार को घेरने की रणनीति
मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 13 सितंबर से 17 सितंबर तक चलेगा। पहले यह सत्र 25 जुलाई से 29 जुलाई के बीच होने वाला था, लेकिन निकाय चुनाव के कारण इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई थी। अगले साल मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने मैदानी तैयारियां पूरी कर ली है। दोनों ही दल मतदान केंद्र स्तर पर पकड़ मजबूत बनाने में जुटे हैं। भाजपा बूथ सशक्तीकरण अभियान के माध्यम से प्रत्येक मतदान केंद्र स्तर पर विभिन्न गतिविधियां संचालित कर रही हैं तो जवाब में कांग्रेस ने यूथ जोड़ो-बूथ जोड़ो अभियान प्रारंभ किया है। इसमें प्रदेश युवा कांग्रेस सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में युवाओं की टीम तैयार कर रही है, जो मतदान केंद्र प्रबंधन के साथ युवाओं को पार्टी से जोड़ने का काम करेगी। इसकी शुरूआत अमरकंटक से 30 अगस्त से की गई है। निगरानी के लिए विधानसभा प्रभारी भी नियुक्त किए जा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं भोपाल से विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि बाढ़ आपदा से लोगों को अब भी परेशानी हो रही है। दूरदराज के क्षेत्रों को तो छोड़िए राजधानी भोपाल में ही अभी बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा नहीं दिया गया है। शर्मा ने कहा है कि कांग्रेस विधानसभा में यह मुद्दा उठाएगी।
सदन में गूंजेगा बाढ़ आपदा का मुद्दा
मानसून सत्र में बाढ़ आपदा का मुद्दा गूंजेगा। कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि बाढ़ आपदा से लोग अभी भी परेशान हैं। दूर दराज के इलाकों को तो छोड़िए राजधानी भोपाल में ही अभी बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला है। पीसी शर्मा की मानें तो कांग्रेस विधानसभा में इस मुद्दे को उठाएगी। वहीं कांग्रेस की इस रणनीति पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का बयान सामने आया है। उमा शंकर गुप्ता ने कांग्रेस को ही कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री और मंत्री केबिन से बाहर तक नहीं निकलते थे। अभी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद पीड़ितों से जाकर मुलाकात कर रहे है। बीते दिनों मध्य प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में भारी बारिश हुई थी जिससे भोपाल, विदिशा, रायसेन, मुरैना, भिंड समेत कई जिलों में बाढ़ के हालात बन गए थे। इसके बाद सीएम शिवराज ने खुद बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा किया था। सीएम ने अधिकारियों को प्रभावित इलाकों का सर्वे करने और पीड़ितों को राहत देने के निर्देश दिए हैं। सीएम शिवराज ने तीन दिन पहले ही विदिशा जिले के बाढ़ पीड़ितों को 11 करोड़ से ज्यादा की सहायता राशि आॅनलाइन ट्रांस्फर की थी।
निकाय चुनाव परिणामों से कांग्रेस उत्साहित
गौरतलब है कि इस बार नगरीय निकाय चुनाव कांग्रेस को संजीवनी दे गए हैं। पिछले बार बड़े शहरों में सारे मेयर उसी के थे, पर इस बार उसका एकाधिकार नहीं रह पाया है। कांग्रेस से वह काफी आगे हैं पर कांग्रेस ने पांच नगर निगम जीतकर उसने बड़े शहरों में भी अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है। नगरपालिकाओं और नगर परिषदों में भाजपा की एकतरफा जीत हुई है पर कांग्रेस का प्रदर्शन भी यहां पिछली बार से सुधरा है। वह भाजपा पर पार्षद खरीदकर कई जगह अध्यक्ष बनाने के आरोप भी लगा रही है। उसके यह आरोप विधानसभा में और तीखें होंगे और विधानसभावार वह ऐसे आरोपों को उठाकर सरकार को घेरने का पूरा प्रयास करेगी। वहीं भाजपा भी नगरीय निकाय चुनावों में मिली भारी जीत से उत्साहित है। बड़े शहरों में भले ही इस बार उसका परफॉर्मेन्स पहले जैसा नहीं रहा हो पर यहां मेयर का चुनाव छोड़ दें ,तो अधिकांश निगमों में पार्षद उसी के ज्यादा जीते हैं। यह बात उसे सुकुन देने वाली है। वह इसे प्रमुखता से बता भी रही है। तय है कि विधानसभा में नगरीय निकाय चुनावों पर तीखी बहस सत्ताधारी दल और विपक्ष में होगी। यहीं से दोनों दल जनता के बीच अपनी चुनावी संग्राम के मुद्दों का भी संदेश देंगे।
कामकाज की दृष्टि से भी सत्र बेहद महत्वपूर्ण
विधानसभा का यह सत्र कामकाज की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। 13 से 17 सितम्बर तक चलने वाले इस सत्र में सदन की पांच बैठकें प्रस्तावित हैं। इस सत्र में सात महत्वपूर्ण विधेयक भी प्रस्तुत किए जाएंगे। इनमें भू राजस्व संहिता संशोधन, नगरपालिक विधि द्वितीय संशोधन विधेयक भी शामिल हैं। इस सत्र में 2022-23 के लिए पहला अनुपूरक बजट भी प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा वर्षा से किसानों को हुए नुकसान, कानून व्यवस्था समेत अन्य मुद्दों पर कांग्रेस स्थगन, ध्यानाकर्षण भी लाएगी। पांच दिवसीय सत्र को कांग्रेस छोटा बताकर इसे 25 दिन का करने की मांग कर रही है। नेता प्रतिपक्ष डा. गोविन्द सिंह इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिख चुके हैं। उनका कहना है कि इतने कम दिनों पर जनहित के मुद्दों पर चर्चा होना संभव नहीं है। उनका आरोप है कि सरकार सत्र चलाना ही नहीं चाहती वह केवल खानापूर्ति करना चाहती है