नड्डा, शाह और संघ का मप्र भाजपा को मंत्र
5 नेताओं को आलाकमान ने सौंपी मिशन 2023 की जिम्मेदारी.
आलाकमान ने मिशन 2023 के लिए मप्र भाजपा को 51 फीसदी वोट के साथ 200 विधानसभा सीटों को जीतने का जो टारगेट दिया है, उसके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार मप्र की सत्ता और संगठन को चुनाव जीतने का मंत्र दे रहे हैं। इस मंत्र पर अमल करने के लिए 5 नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करेगी।
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी
भोपाल (डीएनएन)। मिशन 2023 के लिए पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत के नेतृत्व में संघ और विहिप ने भाजपा के लिए मैदानी जमावट की रणनीति बनाई, उसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भोपाल आए और 20 घंटे की अपनी यात्रा में उन्होंने 200 सीटों को जीतने का मंत्र दिया। फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंचे और जेपी नड्डा ने उन्हें चुनावी रणनीति सौंपी। इन सबके बाद गत दिनों मप्र भाजपा की कोर कमेटी और कार्यसमिति की बैठक में मिशन 2023 की रणनीति पर विचार विमर्श कर आगे की कार्ययोजना बनाई गई। इन बैठकों में निर्णय लिया गया कि शासन, प्रशासन और संगठन में बदलाव कर भाजपा चुनाव में उतरेगी। इसके लिए आगामी दिनों में भाजपा की चिंतन बैठक अमरकंटक में हो सकती है। पार्टी नवंबर से पहले चिंतन बैठक कर सकती है। इसमें पार्टी आगामी 2023 विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तय करेगी। चुनावी रणनीति के लिए आलाकमान ने राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को सौंप दी है।
बैठक में नगर निगम में चुनाव हारने, गुटबाजी और पार्टी विरोधी काम करने वाले पदाधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर भी चर्चा हुई। बैठक में पदाधिकारियों ने चुनाव हारने वाली जगहों के जिला अध्यक्षों को हटाने की बात कही। भाजपा 7 नगर निगम हारी है। इसके अलावा नगर पालिका और नगर परिषद में भी कई जगह अध्यक्ष नहीं बनवा पाई। कुछ जगह पर को फीडबैक ठीक नहीं मिला है। वहीं, समन्वय के साथ काम नहीं करने वाले ऐसे 18 जिला अध्यक्षों को हटाने की कार्रवाई कर सकती है। प्रदेश के निगम मंडलों, सरकारी वकीलों, जनभागीदारी समिति और सरकार में सभी खाली राजनीतिक पदों पर नियुक्तियां जल्द होंगीं। मप्र में भले ही अभी विधानसभा चुनाव में सवा साल का समय बाकी हो लेकिन सियासी दलों की नजर में मप्र अभी से अहम हो गया है। भाजपा और कांग्रेस ने मिशन 2023 के लिए अभी से जमावट तेज कर दी है। हाल ही में भाजपा और कांग्रेस में हुई राजनीतिक नियुक्तियों और सियासी जमावट ने जता दिया है कि मप्र भाजपा और कांग्रेस के लिए कितना महत्वपूर्ण है। भाजपा ने मिशन 2023 की जिम्मेदारी अपने पांच नेताओं संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को सौंपी है। ये पांचों रणनीति बनाकर समन्वय के साथ आलाकमान द्वारा दिए गए लक्ष्य का पाने के लिए कार्य करेंगे। मुख्यमंत्री जहां शासन और प्रशासन के सहारे विकास की गंगा बहाकर जनता को भाजपा के पक्ष में करेंगे, वहीं वीडी शर्मा संगठन को चुस्त-दुरूस्त कर केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करवाएंगे। साथ ही हर विधानसभा क्षेत्र में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेंगे।
2023 में 200 के पार का लक्ष्य
जिस तरह दूध का जला मट्ठा फूंक-फूंककर पीता है, उसी तर्ज पर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों मात खाई भाजपा अभी से मिशन 2023 की तैयारी में जुट गई है। आलाकमान ने अबकी बार 200 के पार का लक्ष्य निर्धारित कर चुनावी रणनीति बनाने के लिए शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव इसमें उनकी मदद करेंगे। भाजपा के ये पांचों नेता अभी से आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाकर संगठन को काम पर लगाएंगे। गौरतलब है कि 2003, 2008 और 2013 में कांग्रेस को 75 सीटों के नीचे समेटने वाली भाजपा 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से पिछड़ गई। कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटें मिली। इस कारण 15 साल बाद मप्र में कांग्रेस की सरकार बनी। जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत (41.6 प्रतिशत) और कांग्रेस (41.5 प्रतिशत) से अधिक था। हालांकि 15 माह बाद ही कांग्रेस की सरकार गिर गई और एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई है। अब भाजपा की रणनीति यह है कि वह 2023 में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करना चाह रही है। इसके लिए अभी से रणनीतिक जमावट की जा रही है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी अभी से मिशन 2023 की तैयारी में इसलिए जुटी हुई है कि आलाकमान ने आगामी विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीटें जितने का लक्ष्य निर्धारित किया है। गौरतलब है की 2018 में भी भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अबकी बार 200 के पार का नारा दिया था। मप्र विधानसभा चुनाव तक भाजपा की तरफ से इस नारे को खूब हवा दी गई और दावा किया गया कि भाजपा इस बार सीटों की आंकड़ा 200 पार करेगी। 28 नवबंर 2018 को हुई बंफर वोटिंग के बाद लगा की भाजपा का दावा हकीकत में बदल सकता है, लेकिन भाजपा 109 पर सिमट कर रह गई। दरअसल, भाजपा ने यह लक्ष्य इसलिए निर्धारित किया है कि क्योंकि मप्र विधानसभा की 230 सीटों में से 207 ऐसी सीटें हैं जिनको भाजपा कभी ना कभी जीत चुकी है। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि 2018 में भाजपा ने इसी आधार पर 200 पार का नारा दिया था, लेकिन पार्टी बहुमत के आंकड़े (116)को भी नहीं छू पाई। इसके पीछे वजह थी रणनीतिक कमजोरी और अतिविश्वास। इसलिए भाजपा आलाकमान ने इस बार 3 साल पहले से ही चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
कांग्रेस के मजबूत किलों पर फोकस
2023 में 200 के पार के लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी पॉलिटिकल रोड मैप तैयार करेगी। इसके जरिए भाजपा प्रदेश के कमजोर इलाकों पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने का काम करेगी। यानी भाजपा विपक्षी कांग्रेस के मजबूत माने जाने वाले किलों में सेंध लगाने की तैयार कर रही है। इसलिए पार्टी हर स्तर पर मंथन कर रणनीति बना रही है। इसी कड़ी में प्रदेश भाजपा संगठन ने मिशन 2023 की तैयारियां शुरू कर दी है। मप्र भाजपा की कोर कमेटी और कार्यसमिति की बैठक में मिशन 2023 की रणनीति पर विचार विमर्श कर आगे की कार्ययोजना बनाई गई। इन बैठकों में निर्णय लिया गया कि शासन, प्रशासन और संगठन में बदलाव कर भाजपा चुनाव में उतरेगी। इसके लिए आगामी दिनों में भाजपा की चिंतन बैठक अमरकंटक में हो सकती है। वहीं सत्ता और संगठन को कसने के बाद अब भाजपा मिशन 103 पर काम करने में जुट गई है। बता दें कि मध्यप्रदेश की 230 विधानसभाओं में से अभी भाजपा के कब्जे में 127 सीट हैं। वहीं कांग्रेस के कब्जे में 96 सीटें हैं। चार पर निर्दलीय विधायक हैं, जबकि बसपा के पास दो और सपा के कब्जे में एक सीट है। भाजपा की नजर अब इन 103 सीटों पर है। इन सीटों पर कब्जा करने के लिए भाजपा अभी से रणनीति बना रही है। रणनीति के तहत भाजपा हर घर में प्रदेश सरकार की योजनाओं की जानकारी पहुंचाना चाहती है। इसकी जिम्मेदारी इस बार मंत्रियों का दी गई है।
मप्र में दो मंत्रियों के समूह सरकारी योजनाओं से हितग्राहियों को जोडऩे का काम करेंगे। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दो-दो मंत्रियों को तीन- चार जिलों की ग्रुप में जिम्मेदारी दी है। ये मंत्री अपने प्रभार के जिले के साथ इन जिलों में जाकर हितग्राहियों से मिलकर सरकारी योजनाओं की जानकारी और फीडबैक लेंगे। दो – दो मंत्रियों के समूह आवंटित जिलों का दौरा करेंगे। जिले में विकास कार्यों की गुणवत्ता, पात्र व्यक्तियों को हितग्राही मूलक योजनाओं के लाभ की उपलब्धता की स्थिति का जायजा लेंगे। मंत्रीगण गरीब बस्तियों में जाकर वहां की स्थिति देखेंगे ।इसके साथ ही वे बुद्धिजीवियों से भी चर्चा करेंगे। जन सामान्य को जागरूक करने, योजनाओं की जानकारी देने के साथ-साथ योजनाओं के क्रियान्वयन व शासकीय गतिविधियों में कमी या दोष पाए जाने पर आवश्यक कार्यवाही भी मंत्री समूह द्वारा की जाएगी। मंत्री नरोत्तम मिश्रा, सुरेश धाकड को श्योपुर, सीधी, बैतूल की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं गोपाल भार्गव, ओमप्रकाश सखलेचा को आगर मालवा, खंडवा, सिंगरौली, झाबुआ की, तुलसी सिलावट, भारत सिंह कुशवाह को भिंड, शिवपुरी, शाजापुर, रायसेन की, विजय शाह, प्रद्युम्न सिंह तोमर को मंडला, अनूपपुर, उमरिया की, जगदीश देवड़ा, इंदर सिंह परमार को ग्वालियर, बुरहानपुर, हरदा की, बिसाहू लाल सिंह, रामखेलावन पटेल को धार, रतलाम, मंदसौर की, यशोधरा राजे सिंधिया, उषा ठाकुर को विदिशा, कटनी, नीमच की, भूपेंद्र सिंह, मीना सिंह को अशोक नगर, मुरैना, सतना, शहडोल की, प्रेम सिंह पटेल, ओपीएस भदोरिया को निवाड़ी, पन्ना, नरसिंहपुर की, कमल पटेल, गोविंद सिंह राजपूत को देवास, दमोह, उज्जैन की, बृजेंद्र सिंह यादव राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को जबलपुर, छिंदवाड़ा, राजगढ़, बालाघाट की, विश्वास सारंग, बृजेंद्र प्रताप सिंह को सिवनी, छतरपुर, खरगोन की, अरविंद भदौरिया, रामकिशोर कावरे को डिंडोरी, गुना, अलीराजपुर, रीवा की, प्रभु राम चौधरी, मोहन यादव को टीकमगढ़, होशंगाबाद, इंदौर, बड़वानी और महेंद्र सिंह सिसोदिया हरदीप सिंह डंग को भोपाल, सीहोर, दतिया, सागर जिले की जिम्मेदारी दी गई है। दो-दो मंत्रियों के समूह में जिलों की जिम्मेदारी सिर्फ 17 सितंबर पीएम मोदी के जन्मदिन से शुरु हो रहे मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान तक ही रहेगी। 17 सितंबर से 31 अक्टूबर तक मंत्रियों के समूह इन जिलों में काम करेंगे। इसके बाद मंत्री अपने प्रभार के जिलों में पहले की तरह जिम्मेदारी संभालेंगे। यह व्यवस्था इसी अभियान के क्रियान्वयन और निगरानी के लिए बनाई गई है। सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर बनाए गए मंत्रियों के ग्रुप के कामकाज की रूपरेखा भी मंत्रियों के समूह ही तय करेंगे। मंत्रियों के चार प्रकार के समूह बनाए गए हैं जो मंत्रियों के कामकाज की रूपरेखा तैयार करेंगे।
मंत्रियों की इमेज डेवलपमेंट पर फोकस
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में सजग और सतर्क नजर आ रहे हैं। इसलिए उन्होंने अभी से 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने अपने मंत्रियों को जनता की कसौटी पर कसने की तैयारी कर दी है। उन्होंने मंत्रियों से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि अब बैठने से नहीं काम चलेगा। सरकार अब हर माह मंत्रियों के कार्यों का आकलन करेगी। मंत्रियों में काम के प्रति प्रतिस्पर्धा लाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज ने रेटिंग प्रणाली की व्यवस्था की है। हर महीने विभाग के काम काज को लेकर रेटिंग जारी की जाएगी। खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों पर गाज भी गिर सकती है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान की कोशिश यह है कि 2023 में 2018 वाली स्थिति न बने। इसलिए उन्होंने शासन और प्रशासन को पब्लिक फ्रेंडली बनाने के लिए कमर कस ली है। इसी के तहत उन्होंने मंत्रियों और उनके विभागों की रेटिंग करवाने की व्यवस्था शुरू की है। मुख्यमंत्री मप्र में सुशासन के सहारे 2023 का विधानसभा चुनाव जीतना चाहते हैं। इसके लिए प्रशासन के साथ ही शासन को भी चुस्त और दुरूस्त होना पड़ेगा। इसके लिए उन्होंने मंत्रियों को अधिक से अधिक समय जनता के बीच रहने और अपने विभागों के माध्यम से विकास कार्य कराने का निर्देश दिया है। मंत्री उनके निर्देश का पूरी तन्मयता से पालन करे इसके लिए उन्होंने रेटिंग प्रणाली की व्यवस्था की है। लेकिन इस प्रणाली ने मंत्रियों को चिंता में डाल दिया है। वजह यह है कि मंत्रियों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे ऐसा क्या करें की उनकी रेटिंग अन्य मंत्रियों से बेहतर हो। गौरतलब है कि हर सोमवार को मंत्री अपने विभाग के अफसरों के साथ काम काज की समीक्षा करेंगे। मंत्री मासिक रिपोर्ट कार्ड में अफसरों से उपलब्धियों के बारे में पूछेंगे। विभागीय योजनाओं के साथ-साथ केंद्र की योजनाएं कहां तक पहुंची है। इस पर भी संबंधित विभाग के मंत्री नजर रखेंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के पास हर विभाग की प्रगति रिपोर्ट प्रतिदिन पहुंचती है। इसी के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विभाग के कामकाज पर नजर रखेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी चौथी पारी में रेटिंग प्रणाली लाने के पीछे वजह यह है कि वह चाहते हैं कि उन्हीं की तरह मंत्री भी मंत्रालय से लेकर जनता के बीच सक्रिय रहें। आरएसएस के एक स्वयंसेवक कहते हैं कि शिवराज की रेटिंग प्रणाली से विकास को तो गति मिलेगी ही, साथ 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में रहेगी। वह कहते हैं कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार की सबसे बड़ी वजह रही है 13 मंत्रियों की हार। वह कहते हैं कि शिवराज की तीसरी पारी में मंत्रियों की कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं रही थी। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के मंत्रिमंडल में उन्हें मिलाकर कुल 32 मंत्री थे। जिनमें से 27 ने चुनाव लड़ा था। 14 अपनी सीट बचाने में सफल रहे। भाजपा के लिए सदमे की बात यह हुई थी कि उसके 13 मंत्री तक अपनी सीट नहीं बचा सके हैं। अगर ये मंत्री अपनी सीट जीत जाते तो विधानसभा का नजारा अलग ही होता। भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बना सकती थी। यहां जिक्र करना जरूरी हो जाता है कि भाजपा ने टिकट आवंटन के समय फूंक-फूंक कर कदम रखे थे और अपने 5 मंत्रियों के टिकट भी काटने का साहस दिखाया था। जिससे लग रहा था कि टिकट उन्हें ही दिया गया है जिनमें जीतने की क्षमता है। लेकिन, 13 मंत्री तो हारे ही, साथ ही जो जीते भी हैं उनमें कई संघर्ष करके जीत पाए हैं। इसलिए शिवराज चाहते हैं कि 2023 में ऐसी स्थिति न बने इसलिए वे अभी से अपने मंत्रियों को सक्रिय रखना चाहते हैं।
भाजपा-कांग्रेस में होंगे कई बदलाव
पंचायत और निकाय चुनाव निपटने के बाद मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए चौसर बिछने लगी है। भाजपा और कांग्रेस की कोशिश है कि 2023 में उनकी सरकार बने। ऐसे में मिशन 2023 के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस में जमावट शुरू हो गई है। भाजपा में सत्ता और संगठन में बदलाव की तैयारी चल रही है, वहीं कांग्रेस भी संगठन में कसावट करने में जुटी हुई है। भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, तो कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ मिशन 2023 की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सभी का फोकस इस बात पर है कि 2023 में उनकी सरकार बने। अभी हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल का दौरा कर 20 घंटे में 200 सीटों का खाका तैयार किया है। वहीं आगामी दिनों में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत मप्र भी आएंगे और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए जनाधार जुटाएंगे।
मप्र में विधानसभा चुनाव के लिए अभी लगभग सवा साल का अरसा बाकी है। लेकिन प्रदेश में अभी से सत्ता का संग्राम छिड़ गया है। 2018 में विधानसभा हारने के बाद 2020 में सत्ता पलट के बाद सरकार बनाने में सफल हुई भाजपा की कोशिश है कि 2023 में 51 फीसदी वोट के साथ सरकार बनाए। वहीं 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस 15 माह बाद ही सत्ता से बेदखल होने के बाद 2023 में फिर से अपनी सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई है। इसके लिए दोनों पार्टियां संगठन को मजबूत करने के साथ ही सारे समीकरणों को साधने की जमावट कर रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा कई रणनीतियों पर काम कर रही है। वहीं कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ ने मोर्चा संभाल रखा है। चुनावी रणनीति के तहत दोनों पार्टियां अपने-अपने संगठन में बदलाव की तैयारी कर रही हैं। प्रदेश में भाजपा सरकार में भी कई बदलाव होने की संभावना दिख रही है। भाजपा और कांग्रेस का फोकस इस बात पर है कि 2023 में उनकी सरकार बने। अभी हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल का दौरा कर 20 घंटे में 200 सीटों का खाका तैयार किया है। वहीं आगामी दिनों में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत मप्र भी आएंगे और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए जनाधार जुटाएंगे।
सत्ता-संगठन में होंगे बड़े बदलाव!
मप्र में कांग्रेस को सत्ता से हटाकर भाजपा जब से सत्ता में आई है सरकार और संगठन में शह-मात का खेल चल रहा है। इस कारण भाजपा में अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय बोर्ड से बाहर होने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भोपाल दौरे पर आए थे। मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने आए गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश के टॉप लीडर्स के साथ वन टू वन मीटिंग की है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की खुलकर सराहना की है। शिवराज की तारीफ को लेकर प्रदेश में सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इसके साथ ही सवाल यह भी है कि आखिर अमित शाह ने टॉप लीडर्स से वन टू वन मीटिंग क्यों की है। शिवराज सिंह चौहान को हाल ही में भाजपा संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया गया है। उनकी जगह पर मप्र से दलित नेता सत्यनारायण जटिया को जगह मिली है। इसके बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया है। इन अटकलों के बीच केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने शिवराज सिंह चौहान की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि सिमी जैसे आतंकी संगठन को मप्र की धरती से शिवराज सिंह चौहान ने उखाड़ फेंका है। उन्होंने नक्सलवाद, माफिया के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने में बिल्कुल भी कोताही नहीं बरती है। वहीं, लगातार दो डिजिट में कृषि के क्षेत्र में जीडीपी का होना चौहान के परिश्रम की पराकाष्ठा को दर्शाता है। केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने मप्र सरकार के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा है कि नक्सलवाद को समाप्त किया है। कानून-व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन लाने का कार्य शिवराज सरकार ने किया है। एक जमाने में मालवा सिमी का गढ़ था। सिमी को समूल उखाड़ फेंकने का कार्य किया है। वहीं, अपने भोपाल दौरे के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के टॉप लीडर्स के साथ वन टू वन मीटिंग की है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ लगभग आधे घंटे तक उन्होंने मीटिंग की है। संगठन मंत्री हितानंद शर्मा से भी अलग से बात की है।
दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय बोर्ड से बाहर होने के बाद प्रदेश में कई तरह की अटकलें चल रही हैं। साथ ही यह भी चर्चा है कि 2023 में भाजपा किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ की है। इसके साथ ही उन्होंने अभी बदलाव के अटकलों पर विराम लगा दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने सरकार और संगठन के कामकाज को लेकर फीडबैक लिया है। पहली बार अमित शाह भोपाल में 20 घंटे तक रुके हैं। गौरतलब है कि मप्र में आने वाले दिनों में संगठन में बदलाव की चर्चा जोरों पर है। इसके साथ ही निगम मंडलों में कुछ नियुक्तियां लटकी हैं, उसे लेकर भी चर्चाएं हुई हैं। निकाय चुनाव में हार के कारणों पर भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी नेताओं से चर्चा की है।
आदिवासियों पर पूरा फोकस
भाजपा का आदिवासियों पर भी पूरा फोकस है। आदिवासी बहुल सीटों के लिए भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। ऐसे माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सुलोचना रावत को मौका दिया जा सकता है। क्योंकि वह आदिवासी बहुल जोबट सीट से उपचुनाव जीती हैं, जबकि यह सीट 2018 में कांग्रेस को मिली थी। इसके अलावा अन्य क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने के प्रयास किए जाएंगे। शिवराज मंत्रिमंडल में अभी 4 पद खाली हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही शिवराज कैबिनेट में दो से तीन मंत्रियों को और बढ़ाया जाएगा। वहीं चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसी मंत्री को बाहर करने की संभावना फिलहाल नहीं है। इन सभी विषयों पर शाह से चर्चा हुई। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों से जीत दर्ज कर जिस तरह से ग्राम पंचायतों से लेकर जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष जैसे पद हासिल किए है, उसे राजनीति के जानकार भाजपा के बढ़े जनाधार से जोड़ रहे है। शाह के सामने यह पूरा विश्लेषण किया गया।
माना जा रहा है निकाय चुनाव के बाद शाह नए तरीके से रणनीति बनवाएंगे। क्योंकि इन चुनावों के बाद भाजपा में फिर से समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। पिछली बार सभी 16 नगर निगमों में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा को इस बार 9 नगर निगमों में ही मेयर के चुनाव में सफलता मिली है। जीत का शेयर उसका प्रदेश में भले ही ज्यादा हो पर जहां हारे वहां हार के कारणों की समीक्षा में संगठन के आला नेता जुट गए हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा किसी भी चुनाव में उतरने से पहले ही हर काम पर बारीक नजर रखती है। अमित शाह की नजर में भी 2018 में भाजपा के लिए आया यह गैप होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा अब इस गैप को भरने की कवायद में जुटी है। दरअसल, भाजपा में अमित शाह संगठन को चलाने में सबसे मजबूत माने जाते हैं, यही वजह है कि भाजपा ने उनके जरिए ही मप्र में फिर से 2013 का कमाल दोहराना चाहती है, क्योंकि अमित शाह इस मामले में माहिर है।