अबकी बार पदाधिकारी भी टिकट की कतार में.
भोपाल। मप्र में विधानसभा चुनाव को भले ही सवा साल का समय बाकी है, लेकिन नेता अभी से टिकट की जुगाड़ में लग गए हैं। भाजपा में वर्तमान विधायकों के साथ ही पूर्व विधायक टिकट के लिए प्रयासरत तो हैं ही, वहीं पदाधिकारी भी टिकट की कतार में लग गए हैं। दरअसल,जैसे-जैसे चुनाव के दिन घटते जा रहे हैं टिकट को लेकर आस जता रहे दावेदारों में बैचेनी बढ़ गई है। टिकट के दावेदार अपने आकाओं से अपने चयन को लेकर संपर्क साध रहे हैं। गौरतलब है की 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को केवल 107 सीटें मिली थी। उसके बाद हुए उपचुनाव में जीत-हार के बाद पार्टी के विधायकों की संख्या 127 हो गई है। अभी हालही में भाजपा के एक आंतरिक सर्वे में करीब 60 विधायकों की स्थिति चिंताजनक मिली है। ऐसे में टिकट के दावेदारों में पदाधिकारी भी शामिल हो गए हैं। उन्हें उम्मीद है की 2023 के समर में पार्टी उन्हें मैदान में उतार सकती है।
दर्जनभर से अधिक पदाधिकारी दावेदार
भाजपा संगठन की गाइडलाइन जो भी हो लेकिन अंदरखानों में पदाधिकारियों का तर्क है कि पार्टी फोरम पर सभी को टिकट मांगने का हक है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि फिर संगठन का काम कौन आगे बढ़ाएगा। हालांकि टिकट को लेकर संगठन का हमेशा से एक ही फॉर्मूला रहा है जिताऊ चेहरा। इस नजरिए से भाजपा संगठन में करीब दर्जनभर से अधिक ऐसे पदाधिकारी हैं जिनकी नजरें अपने क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर टिकी हुई हैं। प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी, रणवीर सिंह रावत, उपाध्यक्ष सीमा सिंह, मुकेश चतुर्वेदी, आलोक शर्मा, मंत्री राहुल कोठारी, रजनीश अग्रवाल और मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर भी आगामी चुनाव में टिकट की हसरतें पाले हुए हैं। मप्र में मिशन 2023 की मैदानी तैयारी के लिए सत्ता-संगठन के दिग्गज चाक-चौबंद व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने में जुटे हैं। वोट शेयर बढ़ाने और बूथ मजबूती के लिए हाईकमान भी मॉनीटरिंग कर रहा है। इसी बीच प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं विधायक नागेंद्र सिंह ने ऐलान कर दिया है कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा में वह पहले नेता हैं। जिन्होंने कहा है कि पार्टी किसी नए चेहरे को आगे लाए।
कई और भी चुनाव लड़ने को तैयार
उपरोक्त दावेदारों के अलावा कई और नेता भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि संगठन ने हाल ही में महामंत्री कविता पाटीदार और उपाध्यक्ष सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा में भेजा है। पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने तत्कालीन कार्यालय मंत्री आलोक संजर को भोपाल से टिकट दिया था। पार्टी के कार्यालय मंत्री राघवेंद्र शर्मा विधानसभा चुनाव में अपने गृह जिले की सीट पर दावेदारी जता चुके हैं। यही स्थिति प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल और नागरिक आपूर्ति निगम अध्यक्ष रह चुके पार्टी प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी की भी है। प्रदेश मंत्री पूर्व विधायक ललिता यादव एवं महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेडे भी अपने स्तर पर टिकट के लिए हरसंभव प्रयास में हैं। ललिता पिछली बार चुनाव हार चुकी हैं जबकि लता ने 2018 में टिकट के लिए जोर शोर से दावेदारी की थी। इनके अलावा प्रदेश संगठन के 57 जिलाध्यक्षों में ऐसे कई नेता हैं जो मन में विधानसभा चुनाव लड़ने की हसरतें लेकर बैठे हैं। खुलकर दावेदारी के लिए उन्हें बस मौके का इंतजार है।
भोपाल में सबसे अधिक दावेदार
अभी तक टिकट मांगने वाले जिन पदाधिकारियों का नाम सामने आए हैं उनमें से अधिकांश की दावेदारी भोपाल की सीटों पर है। पार्टी में मुख्यालय और इंदौर संभाग प्रभारी प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी इस बार भोपाल की हुजूर अथवा भोपाल की किसी अन्य सीट के लिए प्रयासरत हैं। गोविंदपुरा अथवा दक्षिण पश्चिम पर भी उनकी नजर है। संगठन के प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी भी दक्षिण पश्चिम अथवा मध्य से दावा करने की तैयारी में हैं। उधर पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने भी इस सीट से अपना दावा नहीं छोड़ा है। मध्य क्षेत्र के पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह की दावेदारी और तैयारी भी है। पिछली बार यहां से चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह का स्वास्थ्य अभी ठीक नहीं है। भोपाल जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी की सक्रियता भी उन्हें टिकट की दौड़ में बनाए हुए है। इधर प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर भी अपने गृह क्षेत्र भितरवार सीट पर नजरें टिकाए हैं। सबनानी, पाराशर और पचौरी प्रदेश अध्यक्ष के करीबी माने जाते हैं। भोपाल महापौर रहे प्रदेश उपाध्यक्ष आलोक शर्मा और सीमा सिंह भी इस बार पूरी तैयारी से हैं। उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक जीतू जिराती व मुकेश चतुवेर्दी भी पार्टी के इशारे पर मिशन 2023 की तैयारी में हैं।
निकाय और पंचायत चुनावों के प्रदर्शन के आधार पर टिकट
पार्टी सूत्रों के अनुसार इस बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर मौजूदा विधायकों के भाग्य का फैसला होगा। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि जिन विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी ने निकाय और पंचायत चुनावों में खराब प्रदर्शन किया है, उन्हें टिकट नहीं मिल सकता है। इसके अलावा, एक विधायक के प्रदर्शन के बारे में पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी एक निर्णायक कारक होगी। भाजपा ने पूर्व में घोषणा की थी कि पार्टी नेताओं के रिश्तेदारों को पंचायत चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया जाएगा। हालांकि बाद में पार्टी ने जीत की उम्मीदों को प्राथमिकता दी और स्वेच्छा से अपने नेताओं के बेटों, बेटियों और पत्नियों को टिकट दिया। पदाधिकारी ने कहा कि राजनीति में नियम तोड़े जाने के लिए बनाए जाते हैं। यह केवल एक विधायक का प्रदर्शन है जो सत्ता विरोधी लहर को कम कर सकता है।