78 माह बाद भी नहीं हुआ स्कूलों का कायाकल्प

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। सरकार ने प्रदेश के जर्जर


स्कूलों का कायाकल्प करने के लिए लोकनिर्माण विभाग को काम सौंपा था, लेकिन आज करीब 78 साल बाद भी अधिकांश स्कूलों की स्थिति जस की तस है। निर्माण एजेंसियों के कार्य की धीमी गति ने स्कूल शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ा दी है। विभाग द्वारा स्वीकृत एक हजार करोड़ रुपये के कार्य पांच साल बाद भी पूर्ण नहीं हो पाए हैं। जबकि इसके लिए लोक शिक्षण संचालनालय इस अवधि में 17 पत्र लिख चुका है। कमिश्नर लोक शिक्षण संचालनालय अनुभा श्रीवास्तव का कहना है कि संबंधित शाखा के अधिकारियों से जानकारी लेंगे कि स्वीकृत कितने निर्माण है और अभी तक क्यों पूर्ण नहीं हो पाए हैं। जल्द ही इस संबंध में विस्तार से समीक्षा की जाएगी।
लोक शिक्षण संचालनालय की निर्माण शाखा की मानें तो वर्ष 2017-18 में 130 छात्रावास एवं 650 हायर सेकेण्डरी एवं हाईस्कूल स्वीकृत किए गए थे। तय शर्तों के अनुसार 78 माह की अवधि में यह भवन बनकर तैयार होना थे। बाकायदा प्रत्येक भवन में बच्चों की सीट संख्या अनुपात के आधार पर 1 करोड़ 37 लाख से 1 करोड़ 75 लाख की लागत की राशि निर्माण एजेंसी को दी गई है। शाखा के अफसरों का कहना है कि इस अंतराल में निर्माण एजेंसी पीआईयू को 17 पत्र लिखे जा चुके हैं। अनेक बार बैठकों में संवाद हुआ है। उसके बाद भी शत-प्रतिशत निर्माण पूर्ण नहीं हो पाए हैं।
6 साल बाद भी काम पूरे नहीं
पीडब्ल्यूडी की विंग पीआईयू (प्रोजेक्ट एम्पलीमेंटेशन यूनिट) को निर्धारित 78 माह की समय-सीमा में यह कार्य कंपलीट करना थे। स्कूल शिक्षा विभाग को उम्मीद थी कि मौजूदा सत्र की शुरूआत से पूर्व यह कार्य कंपलीट हो जाएंगे। कारण है कि नियमित कक्षाएं लगने के पूर्व नवीन भवनों में बच्चों को बैठाया जाना था। लोक शिक्षण संचालनालय की निर्माण शाखा का कहना है कि पांच साल की लंबी अवधि निकलने के बाद भी 110 निर्माण कार्य ऐसे हैं, जो अपूर्ण पड़े हैं। 50 छात्रावासों की स्थिति यह है कि कहीं पिलर खड़े तो कहीं बेसमेंट, और कक्ष और बनकर तैयार हैं, लेकिन छत नहीं डाली गई है। इसी प्रकार 60 स्कूलों को पूर्ण नहीं किया गया है। जबकि गुजर चुके सत्र में फरवरी माह में भी पीआईयू को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया था कि अप्रैल में नवीन शिक्षण सत्र से पूर्व यह कार्य पूर्ण किया जाए। ताकि जून तक इन सभी विद्यालयों का आधिपत्य लिया जाए और जुलाई से बच्चे इन नवनिर्मित भवनों में नियमित रूप से पढ़ सकें। प्रोजेक्ट डायरेक्टर पीआईयू लोक निर्माण विभाग आरके मेहरा का कहना है कि तात्कालिक तौर पर तो बनाना मुश्किल है कि यह निर्माण कार्य क्यों समयावधि में पूर्ण नहीं हो पाए है। उधर जानकारों का कहना है कि स्वीकृत कार्यों में 17 निर्माण ऐसे हैं जो राशि जारी होने के बाद निरस्त करने पड़े हैं। अधिकारियों का कहना है कि कुछ जगहों पर स्थल का अभाव रहा तो कहीं चिन्हित जगह पर अतिक्रमण के कारण विवाद की स्थिति रही। इस संबंध में कलेक्टरों को भी पत्र लिखे गये, लेकिन जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सभी पहलुओं पर विचार करते हुए यह कार्य निरस्त करने पड़े हैं।