भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश में मदरसों के मामले पर राज्य
सरकार नरम रुख अपना रही है। सरकार ने पंजीकृत मदरसों में सरकारी अनुदान लेने वाले विद्यार्थियों के भौतिक सत्यापन के लिए पिछले महीने कलेक्टरों को निर्देश जारी किए थे, लेकिन सरकार गैर पंजीकृत मदरसों पर कार्रवाई को लेकर चुप्पी साधे है, जबकि गड़बड़ी की आशंका इन्हीं मदरसों में ज्यादा है। खास बात यह है कि निर्देशों में न तो गैर पंजीकृत मदरसों के भौतिक सत्यापन की बात नहीं कही गई है और न ही पंजीकृत मदरसों के सत्यापन करने की समय सीमा तय की गई है। मप्र में मदरसों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है। पिछले साल तक प्रदेश में पंजीकृत मदरसों की कुल संख्या करीब 2650 थी। प्रत्येक पंजीकृत मदरसे को राज्य सरकार से 25 हजार रुपए वार्षिक अनुदान मिलता है। प्रदेश में अपंजीकृत मदरसों, उनके शिक्षण या फंडिंग का कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं है। शासन ने लोक शिक्षण संचालनालय के माध्यम से हाल में सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि सरकार से सहायता प्राप्त करने के उद्देश्य से मदरसों में फर्जी तरीके से बच्चों का पंजीयन कराने की शिकायतें संज्ञान में आई हैं। प्रदेश के मदरसों में पंजीकृत बच्चों का भौतिक सत्यापन किया जाए और जिन मदरसों में फर्जी तरीके से बच्चों का पंजीकरण किया गया है, उनका पंजीकरण निरस्त किया जाए। उनका अनुदान रोक दिया जाए और प्रावधानों के तहत उचित कानूनी कार्रवाई की जाए। निरीक्षण के दौरान पंजीकृत मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा की जांच की फाइल फोटो जानी है। साथ ही मदरसों में छात्रों का सत्यापन भी किया जाना है।
निरीक्षण के बाद एक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में लोक शिक्षण संचालनालय को सौंपी जानी है। जिला कलेक्टरों को एक प्रपत्र भी भेजा गया है, जिसमें निरीक्षण दल द्वारा कक्षा पहली से आठवीं तक मदरसों, पंजीकृत छात्रों की संख्या, मानचित्र और अनमैप्ड छात्रों का विवरण लिखना होगा। राज एक्सप्रेस के पास इस प्रपत्र की प्रति मौजूद है। पिछले महीने जारी निर्देश में प्रदेश में गैर पंजीकृत मदरसों के सत्यापन या उनके खिलाफ कार्रवाई की बात नहीं कही गई है। जारी निर्देशों में यह समय सीमा भी तय नहीं की गई है कि मदरसों में बच्चों का फर्जी ढंग से पंजीकरण कराकर सरकारी सहायता लेने वाले मदरसों का सत्यापन का काम कब तक पूरा किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश में 500 से अधिक गैर पंजीकृत मदरसे संचालित हो सकते हैं और उनके पास फंडिंग के कई स्रोत हो सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि गैर पंजीकृत मदरसों के खिलाफ प्राथमिकता से कार्रवाई करने की जरूरत है, क्योंकि सरकार को मालूम नहीं है कि इन मदरसों में बच्चों को क्या शिक्षा दी जा रही है और इनकी फंडिंग का स्रोत क्या है? सरकार के पास गैर पंजीकृत मदरसों की संख्या, उनमें छात्रों की संख्या और पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम का कोई डेटा नहीं है।
निरीक्षण में 56 कागजी मदरसे मिले
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने अगस्त में मीडिया से चर्चा में कहा था कि फरवरी और मार्च में मदरसों में पढऩे वाले हिंदू बच्चों के बारे में शिकायतें मिली थीं। ऐसी भी शिकायतें थीं कि मदरसे सरकारी अनुदान लेने के लिए केवल कागजों पर चल रहे हैं। निरीक्षण के दौरान ऐसे 56 मदरसे मिले थे। यह बात सामने आई की हजारों की संख्या में हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ने जाते हैं।