विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की छठी रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब और यूएई में 2,000 से अधिक भारतीय जेलों में बंद हैं. इसके अलावा नेपाल में इस समय 1,317 भारतीय, मलेशिया में 338 और चीन की जेलों में 173 भारतीय कैद हैं.
नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने संसदीय पैनल को सूचित किया है कि वर्तमान में 86 देशों की जेलों में 10,152 भारतीय कैद हैं.
विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की मंगलवार (1 अप्रैल) को जारी छठी रिपोर्ट के अनुसार, चीन, कुवैत, नेपाल, कतर, सऊदी अरब और यूएई सहित 12 देश ऐसे हैं, जहां भारतीय कैदियों की संख्या 100 से अधिक है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को दोनों सदनों में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि सऊदी अरब और यूएई में विचाराधीन (undertrial) कैदियों सहित सबसे ज़्यादा भारतीय जेलों में बंद हैं. यह संख्या 2,000 से अधिक है.
वहीं, बहरीन, कुवैत और कतर जैसे दूसरे खाड़ी देशों में भी बड़ी संख्या में भारतीय जेलों में बंद हैं. इन देशों में भारी संख्या में ब्लू कॉलर भारतीय कामगार रहते हैं. इसके अलावा नेपाल में इस समय 1,317 भारतीय जबकि मलेशिया में 338 भारतीय नागरिक जेलों में बंद हैं. चीन की जेलों में भी 173 भारतीय कैद हैं.
इस रिपोर्ट में एनआरआई, पीआईओ, ओसीआई और प्रवासी श्रमिकों सहित विदेशों में बसे भारतीय समुदाय पर चर्चा की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, इन 12 देशों में से नौ देश पहले से ही सजा दे दिए गए कैदियों के स्थानांतरण पर मौजूदा समझौतों के अंतर्गत आते हैं. इन समझौतों के तहत किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को जेल की सजा काटने के लिए उसके गृह देश में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाती है.
हालांकि, इसके बावजूद पिछले तीन वर्षों में केवल आठ कैदियों को भारत की जेल में वापस लाया जा सका है, जिसमें ईरान और यूनाइटेड किंगडम से तीन-तीन, तथा कंबोडिया और रूस से दो कैदी शामिल हैं.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, ‘इस समझौते के तहत कैदियों के स्थानांतरण के लिए कैदी, मेज़बान देश और स्थानांतरित करने वाले देश की सहमति आवश्यक है. गृह मंत्रालय इस समझौते के तहत कैदियों के स्थानांतरण की देखरेख करने वाला नोडल प्राधिकरण है और वर्तमान में कई मामलों पर कार्रवाई कर रहा है.’
मंत्रालय ने बताया, ‘इन मामलों में प्रक्रिया के कई चरण शामिल होते हैं, इनमें स्थानांतरित करने वाले देश की सहमति प्राप्त करना, आवश्यक दस्तावेज़ों को उपलब्ध कराना, संबंधित राज्य सरकार की टिप्पणियां प्राप्त करना, उस विशिष्ट जेल की पहचान करना जहां कैदी को रखा जाना है, और विदेशी देश से भारत में स्थानांतरण के लिए संबंधित राज्य सरकार द्वारा अनुरक्षण (escort) व्यवस्था करना शामिल है.’
विदेश मंत्रालय ने पैनल को बताया कि ऐसे अनुरोधों को पूरा करने के लिए कोई सख्त समयसीमा तय नहीं की जा सकती.
कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा इन कैदियों की रिहाई के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में पूछे जाने पर मंत्रालय ने कहा कि विदेशी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों की रिहाई और स्वदेश वापसी के मुद्दे पर विदेश स्थित भारतीय मिशन संबंधित स्थानीय प्राधिकारियों के साथ नियमित रूप से बातचीत करते हैं.
मंत्रालय ने पैनल को बताया कि विदेश में बंद कैदियों में से कई विचाराधीन कैदी होते हैं, इसलिए विदेशों में कैद भारतीयों को भारतीय मिशन ज़रूरत पड़ने पर कानूनी सहायता प्रदान करते हैं. मिशन और पोस्ट वकीलों का एक स्थानीय पैनल भी रखते हैं.
उन्होंने कहा, ‘संबंधित भारतीय दूतावास द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए किसी भी भारतीय कैदी से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.’