सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की औपचारिक सूचना पाकिस्तान को देने के एक दिन बाद सरकार ने शुक्रवार को त्वरित कार्रवाई करते हुए सिंधु बेसिन की नदियों के जल को अल्प, मध्यम और दीर्घ अवधि में उपयोग करने के लिए उपलब्ध विकल्पों पर विचार किया.
नई दिल्ली: सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की औपचारिक सूचना पाकिस्तान को देने के एक दिन बाद सरकार ने शुक्रवार को त्वरित कार्रवाई करते हुए सिंधु बेसिन की नदियों के जल को अल्प, मध्यम और दीर्घ अवधि में उपयोग करने के लिए उपलब्ध विकल्पों पर विचार किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान न जाए.’
सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय पहलगाम आतंकवादी हमले, जिसमें 22 अप्रैल को 26 नागरिक मारे गए थे, के बाद पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए कदमों में से एक था.
नई दिल्ली में एक बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जल शक्ति मंत्री पाटिल, बिजली मंत्री मनोहर लाल को अधिकारियों ने सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद सरकार के पास उपलब्ध विकल्पों के बारे में जानकारी दी.
बताया जा रहा है कि अधिकारियों ने उन विकल्पों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो सिंधु बेसिन की नदियों के जल का उपयोग करने के लिए अल्पावधि, मध्यम अवधि और दीर्घावधि में अपनाए जा सकते हैं. सरकार जलमार्ग परिवर्तन सहित संभावित उपायों के सभी कानूनी और तकनीकी पहलुओं पर विचार कर रही है, जो निकट भविष्य में किए जा सकते हैं.
हालांकि बैठक के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन पाटिल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘सिंधु जल संधि पर मोदी सरकार द्वारा लिया गया ऐतिहासिक फैसला पूरी तरह से उचित और राष्ट्रहित में है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान न जाए.’
भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल की बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को कराची में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे. संधि के प्रावधानों के अनुसार, सिंधु की ‘पूर्वी नदियों’ – सतलुज, व्यास और रावी – का सारा पानी भारत के ‘अप्रतिबंधित उपयोग’ के लिए उपलब्ध होगा. पाकिस्तान को ‘पश्चिमी नदियों’ – सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलेगा.
सिंधु जल संधि को निलंबित करने के निर्णय से दिल्ली को सिंधु नदी के जल का उपयोग करने के संबंध में अधिक विकल्प मिलेंगे.
पहलगाम हमले के एक दिन बाद बुधवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने सिंधु जल संधि को स्थगित रखने का फैसला किया. गुरुवार को भारत ने औपचारिक रूप से पाकिस्तान को सूचित किया कि वह सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोक रहा है.
पाकिस्तान सरकार ने विवादास्पद नहर परियोजना को रोकने का निर्णय लिया
समाचार एजेंसी पीटीआई ने इस्लामाबाद से बताया कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के निर्णय के बाद पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को विवादास्पद नहर परियोजना को रोकने का निर्णय लिया.
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और पाकिस्तान पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने फरवरी में पाकिस्तान पंजाब प्रांत के सूखे क्षेत्र की सिंचाई के लिए महत्वाकांक्षी चोलिस्तान परियोजना का उद्घाटन किया था.
हालांकि, इसने सिंध प्रांत में हंगामा खड़ा कर दिया, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों, जिनमें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) भी शामिल है, जो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के साथ केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, ने इस परियोजना का विरोध करना शुरू कर दिया.
दोनों पक्षों के बीच तनाव के बीच भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की, जिसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी से मुलाकात की और वे नहर परियोजना को रोकने पर सहमत हो गए.
उन्होंने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि परियोजना तब तक स्थगित रहेगी जब तक कि कॉमन इंटरेस्ट्स काउंसिल (सीसीआई) में इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन जाती, जो कि प्रांतों के बीच विवादों से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय अंतर-प्रांतीय निकाय है.
पाकिस्तानी अख़बार डॉन ने रिपोर्ट की है कि बिलावल के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि दोनों पक्षों ने देश की स्थिति और नदियों से संबंधित भारत की घोषणाओं पर विस्तार से विचार किया.
उन्होंने कहा, ‘आज हमने पीपीपी और पीएमएल-एन के बीच आपसी सहमति से बैठक में निर्णय लिया है कि जब तक सीसीआई में आपसी सहमति से कोई निर्णय नहीं हो जाता, तब तक कोई और नहर का निर्माण नहीं किया जाएगा और संघीय सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रांतों के बीच आम सहमति के बिना नहरों पर आगे कोई प्रगति नहीं होगी.’