एक बार फिर से शुरु की जा रही है कवायद
मंगल भारत। मनीष द्विवेदी:- मध्य प्रदेश की बेपटरी हो रही स्कूली शिक्षा की वजह से मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने एक बार फिर सालों से शहरों में जमें शिक्षकों को गांव में भेजने के निर्देश दिए हैं। हालांकि मंत्री ने यही निर्देश पिछले साल जून 2024 में भी दिए थे। सालभर निकल जाने के बाद भी उनके निर्देशों पर अमल नहीं हो सका। दरअसल तीन साल पहले प्रदेश सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग की नई तबादला नीति को स्वीकृति प्रदान की थी । यह व्यवस्था साल 2023-24 से पूरी तरह लागू करनी था। नई तबादला नीति के तहत शिक्षा विभाग में सभी संवर्गों के लिए स्थानांतरण प्रक्रिया 31 मार्च से 15 मई के बीच पूरी करना है। लेकिन दो साल पहले वरिष्ठ पदों पर प्रभार देने व विधानसभा के चुनाव होने के कारण नई तबादला नीति पर क्रियान्वयन को टाल दिया गया था। बीते साल वर्ष 2024 में जून के महीने में मंत्री ने इसे सख्ती से लागू करने की बात कही, लेकिन मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। तीन दिन पहले हुई स्कूल शिक्षा विभाग की वीडियो कांफ्रेंसिंग में मंत्री ने एक बार फिर सालों से शहरों में जमे शिक्षकों को गांव में भेजने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि शहरों में जिन स्कूलों का रिजल्ट लगातार कम आ रहा है, उन स्कूलों के शिक्षकों को प्रशासकीय आधार पर गांव में भेजा जाएगा। मंत्री के इन निर्देशों पर कितना अमल हो पाता है. यह आने वाला समय ही बताएगा।
ऑनलाइन ही लिए जाएंगे आवेदन
स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले के लिए आवेदन ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। उत्कृष्ट स्कूल, मॉडल स्कूल और सीएम राइज स्कूलों में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होंगे। साथ ही प्राचार्य, सहायक संचालक या उससे वरिष्ठ पदों के स्वैच्छिक स्थानांतरण आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे, लेकिन उनका निराकरण ऑफलाइन भी किया जा सकेगा। रिलीविंग और ज्वाइनिंग की कार्यवाही ऑनलाइन होगी।
दस साल तक ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में करानी होगी पढ़ाई
विभाग की नई शिक्षा नीति के तहत नवनियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में कम से कम तीन वर्ष और अपने संपूर्ण सेवाकाल के न्यूनतम 10 साल कार्य करना होगा। दस वर्ष या इससे अधिक अवधि तक एक ही संस्था विशेषकर शहरी क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षक विहीन और शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पदस्थ किया जाएगा। हालांकि उक्त नियम का स्कूल शिक्षा विभाग पालन नहीं करवा पा रहा है। नवनियुक्त शिक्षकों की पदस्थापना के एक साल बाद ही कुछ के ट्रांसफर भी कर दिए जाते हैं।
तबादला नीति में इन्हें मिलेगी छूट
ऐसे शिक्षक जिनकी सेवानिवृत्ति में तीन वर्ष शेष हैं और गंभीर बीमारी या विकलांगता से पीडि़त हैं, उन्हें इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाएगा। स्थानांतरण में वरीयता क्रम निर्धारित किया गया है। नई नीति के अनुसार शिक्षकों को निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की निजी पदस्थापना में पदस्थ नहीं किया जाएगा।
तीन साल तक नहीं होगा कोई तबादला
स्कूल शिक्षा विभाग की नई नीति में एक बार स्वैच्छिक स्थानांतरण होने के बाद विशेष परिस्थिति छोड़क़र तीन वर्ष तक स्थानांतरण नहीं किया जा सकेगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई शाला शिक्षक विहीन न हो जाए। प्रथम श्रेणी अधिकारियों के स्थानांतरण समन्वय मुख्यमंत्री के अनुमोदन से किए जाएंगे।
प्रभारी मंत्रियों की नहीं रहेगी भूमिका
प्रदेश में शिक्षकों के तबादले में प्रभारी मंत्रियों की चलती थी। नई नीति में प्रभारी मंत्रियों की इसमें कोई भूमिका नहीं रहेगी। अब सब कुछ ऑनलाइन ही होगा। शिक्षकों की पोस्टिंग उपलब्ध सीटों के आधार पर ही होगी।
तबादलों की जल्द जारी होगी तारीख
स्कूल शिक्षा विभाग की अलग से ट्रांसफर पालिसी बनाई गई है, लेकिन तीन साल से इस पर अमल नहीं हो पाया है। अब जल्द ही स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने वाला है। ऐसे में मई के पहले सप्ताह में ट्रांसफर की तिथि घोषित करने की तैयारी की जा रही है।