शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला.
भोपाल/मंगल भारत। मध्य प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बेहतर और बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग लगातार काम कर रहा है। इसी कड़ी में उच्च शिक्षा विभाग ने पोस्ट ग्रेजुएशन के सभी स्टूडेंट्स के लिए संविधान की पढ़ाई अनिवार्य कर दी है। जिसके तहत अब हर विषय वर्ग के स्टूडेंट्स को संविधान का पाठ पढ़ाया जाएगा। ताकि स्टूडेंट्स देश के संविधान की न केवल जानकारी रख सकेंगे बल्कि उसके प्रावधानों को भी जान सकेंगे।
उच्च शिक्षा विभाग ने अधिसूचना की जारी
उच्च शिक्षा विभाग ने इसको लेकर एक अधिसूचना जारी कर स्नातकोत्तर (पीजी) के सभी पाठ्यक्रमों में संविधान, मानवीय मूल्य और नैतिक शिक्षा की पढ़ाई अनिवार्य कर दी है। बता दें कि नई अधिसूचना के बाद विज्ञान, गणित और वाणिज्य संकाय वालों को भी संविधान का पाठ पढऩा होगा। संविधान, मानवीय मूल्य और नैतिक शिक्षा को वैल्यू एडेड पाठ्यक्रम के तौर पर एक अलग प्रश्न पत्र में शामिल किया जा रहा है। अधिकारियों की मानें तो विस्तृत संविधान का कितना हिस्सा और उसका कौन सा प्रविधान पढ़ाया जाएगा यह अध्ययन मंडल बाद में तय करेगा। अध्ययन मंडल इन तीनों विषयों को मिलाकर कर एक पाठ्यक्रम तैयार करेगा।
दूसरे अथवा चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा संविधान
इस अधिसूचना के अनुसार स्नातकोत्तर चार सेमेस्टर का होगा। संविधान वाले वैल्यू एडेड विषय को दूसरे अथवा चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा। ऐसा इसलिए कि अगर कोई विद्यार्थी एक वर्ष का स्नातकोत्तर करता है तो उसे भी यह पढ़ा दिया जाए। दो वर्ष पढ़ाई का विकल्प चुनने वालों को यह चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा। यह पाठ्यक्रम दो क्रेडिट अंक का होगा, जिसमें विद्यार्थियों के लिए उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा।
संविधान रक्षा को लेकर विपक्ष के अभियान तेज
मध्य प्रदेश सरकार का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब देश में संविधान की रक्षा को लेकर बहस और आंदोलन हो रहे हैं। विपक्षी दल संविधान में संभावित बदलावों और नागरिक अधिकारों के हनन की आशंका को लेकर व्यापक अभियान चला रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में मध्य प्रदेश में संविधान को शिक्षा के केंद्र में लाने का यह कदम न केवल शैक्षणिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। द मूकनायक से बातचीत में अधिवक्ता और विधि विशेषज्ञ मयंक सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संविधान केवल कानून के छात्रों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हर नागरिक को इसकी बुनियादी समझ होनी चाहिए। संविधान हमारे अधिकारों और कर्तव्यों का मूल स्रोत है, इसलिए स्नातकोत्तर स्तर पर सभी संकायों के विद्यार्थियों को इसका अध्ययन कराना एक सकारात्मक कदम है।