53 जिलों के लोगों को अब भी नल जल योजना पूरी होने का इंतजार

दो साल में एक भी जिला नहीं बन सका नल जल प्रमाणित.

प्रदेश में जल जीवन मिशन का काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। इसकी वजह से लोगों को नल से जल नहीं मिल पा रहा है। ठेकेदार और अफसर मौज काट रहे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों के लोग गर्मी के मौसम में पानी के लिए भटक रहे हैं। यह हाल उस योजना के हैं, जिसे छह साल पहले लागू किया गया था। हालत यह हैं कि इस योजना को इस साल के अंत तक पूरा करना है, लेकिन जिस तरह से काम हो रहा है, उससे लग रहा है कि अभी इसे पूरा होने में दो से तीन साल और लग सकते हैं। वैसे भी प्रदेश का रिकार्ड है कि नब्बे फीसदी काम तय समय से कई सालों बाद ही पूरे होते हैं। फिर यह काम राजधानी में ही क्यों न हो रहे हों। प्रदेश में यह ऐसी योजना है , जिसको लेकर सदन में सत्ता और विपक्ष दोनों के सदस्य एक साथ सरकार को घेर चुके हैं। 55 जिलों वाले मप्र में दो साल पहले दो जिलों को जल प्रमाणित जिला घोषित किया गया था, इसके बाद से एक भी जिला जल प्रमाणित घोषित नहीं हो सका है। जुलाई, 2022 में सबसे पहले बुरहानपुर को हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित किया गया। इसके 11 महीने बाद जून, 2023 में निवाड़ी प्रदेश का दूसरा हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित हुआ। निवाड़ी को हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित हुए इस माह दो साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन इसके बाद से अब तक तीसरा जिला हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित नहीं हो सका है। लगातार हो रही देरी के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा कोविड का बहाना बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि दो साल कोविड के कारण जल जीवन मिशन का काम नहीं हो सका। अफसरों का दावा है कि इंदौर जिले के शत-प्रतिशत घरों में नलों से पानी की सप्लाई की टेस्टिंग हो चुकी है। इंदौर जल्द ही हर घर प्रमाणित जिला घोषित कर दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में 51 हजार से ज्यादा गांवों में नल से जल की सप्लाई की जानी है। जल जीवन मिशन में गांवों की भौगोलिक स्थिति और जल स्रोतों की उपलब्धता के आधार पर दो तरह की योजनाओं पर काम चल रहा है। एकल नल जल योजना और समूह नल जल योजना। प्रदेश के 27 हजार 990 गांवों में एकल नल जल योजनाओं से पानी की सप्लाई की जानी है। शेष गांवों में समूह नल जल योजनाओं पर आधारित प्रोजेक्ट चल रहे हैं। एकल नल जल योजना का काम तेज गति से चल रहा है। इसमें कोई रुकावट नहीं आ रही है। इस योजना का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, जबकि समूह नल जल योजना में कई तरह की रुकावटें आ रही हैं। समूह नल जल योजनाओं का काम अटका होने के कारण कई जिले हर घर प्रमाणित घोषित नहीं हो पा रहे हैं। इनमें भोपाल जिला भी शामिल है।
केन्द्र बढ़ाई समय सीमा
देश के प्रत्येक गांव के हर घर में नल से पानी की सप्लाई के लिए केंद्र सरकार ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन लॉन्च किया था। इसकी डेडलाइन मार्च, 2024 तय की गई थी। निर्धारित अवधि में मप्र समेत अधिकतर राज्यों में यह काम पूरा नहीं हो पाया। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन की अवधि वर्ष 2028 तक बढ़ा दी है।
विधानसभा में भी गूंज चुका है मामला
विधानसभा में भाजपा विधायक हरदीप सिंह डंग ने भी अपने विधानसभा क्षेत्र में जल जीवन मिशन के तहत काम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अजय सिंह ने कहा इस मामले में प्रदेश स्तर पर जांच कराई जानी चाहिए। मेरे क्षेत्र में भी पानी की टंकी बनी लेकिन पाइप नहीं लगे और जहां पाइप लगे हैं, वहां नल ही नहीं हैं। उन्होंने तो इस योजना की तारीफ करते हुए यह तक कहा था कि प्रदेश में इस योजना का बंटाधार हो रहा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने भी इस मुद्दे पर प्रदेश स्तर पर जांच कराने तक की मांग की थी। पक्ष और विपक्ष के विधायकों द्वारा जल जीवन मिशन को लेकर सवाल उठाए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की बात सुनकर लगता है कि इस ओर ध्यान देना चाहिए।
इस साल के अंत तक का लक्ष्य तय
प्रदेश में जल जीवन मिशन में 27 हजार 990 गांवों में एकल नल जल योजनाओं के माध्यम से पानी की सप्लाई की जाएगी। यह काम 90 प्रतिशत पूरा हो गया है। पीएचई विभाग ने दिसंबर, 2025 तक एकल नल जल योजनाओं का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है। जल जीवन मिशन में प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र के करीब एक करोड़ 11 लाख घरों तक एकल और समूह नल जल योजनाओं के जरिए नलों से जल पहुंचाया जाना है। इनमें से 80 लाख से ज्यादा घरों में नलों से पानी की सप्लाई शुरू हो गई है। बता दें कि मप्र में जल जीवन मिशन शुरुआत से सवालों के घेरे में रहा है। मिशन में भ्रष्टाचार, पाइप लाइन बिछाने के बाद सड़कों का रेस्टोरेशन नहीं किए जाने और ठेकेदारों द्वारा काम पूरा नहीं किए का मुद्दा कई बार विधानसभा में उठ चुका है। जुलाई, 2024 के मानसून सत्र में विधायकों ने जल जीवन मिशन के मुद्दे पर 100 से ज्यादा सवाल पूछे थे।