दस साल बाद बना लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिए कानून

प्रदेश में दस सालों से संचालित हो रही लाड़ली लक्ष्मी योजना को आखिरकार सरकार ने कानूनी रूप अब जाकर दिलाया है। इससे इस योजना के आगे संचालित रहने का रास्ता खुल गया है। इस योजना को मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत पसंद की योजना के रूप में जाना जाता है। योजना को कानूनी रूप देने के लिए हाल ही में समाप्त हुए मानसून सत्र में विधेयक के रूप में लाया गया था। योजना के तहत पंजीकृत बालिकाओं को 21 साल की आयु होने पर 1 लाख रुपए मिलने का कानूनी अधिकार मिल गया है। हालांकि कांग्रेस के विधायकों को योजना को कानूनी रूप देने पर कोई आपत्ति तो नहीं है पर वे इसमें होने वाले खर्च को लेकर आशंकित जरूर है। उधर, भाजपा विधायक इस कानून को बालिका प्रोत्साहन की दिशा में मील का पत्थर बता रहे हैं। हालांकि, सवाल यह भी उठ रहा है कि सरकार की इतनी लोकप्रिय योजना को बिना चर्चा पारित क्यों करा दिया गया। इस पर चर्चा होती तो वाहवाही सरकार की होती, क्योंकि योजना ही ऐसी है कि कोई इसका विरोध नहीं कर सकता है। योजना के दायरे में अभी 28 लाख से ज्यादा बालिकाएं पंजीकृत हैं।
हितग्राही समय-समय पर ले सकते हैं इतनी राशि
– कक्षा छठीं में प्रवेश के समय- 2 हजार रुपए
– कक्षा नौवीं में प्रवेश के समय- 4 हजार रुपए
– कक्षा 11वीं में प्रवेश के समय- 6 हजार रुपए
– कक्षा 12वीं में प्रवेश के समय- 6 हजार रुपए
कांग्रेस को एफडी तुड़वाने पर आपत्ती
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और तरुण भनोत का कहना है कि योजना से किसी को कोई आपत्ति नहीं है। यदि सरकार सदन में चर्चा कराती तो इसको लेकर हम भी अपने सुझाव रखते। हो सकता है कि इससे बालिकाओं के हित में कुछ और बेहतर हो जाता पर सरकार ने बैकडोर का रास्ता अपनाकर खुद सवाल खड़े कर दिए हैं। उसे यह बताना चाहिए कि डाकघरों में लाड़ली लक्ष्मी के नाम जो एफडी जमा हुई थी, उन्हें वापस क्यों ले लिया। उस राशि का कहां उपयोग किया। ऐसे में 21 साल की होने पर लाड़ली लक्ष्मी को उसके हक के 1 लाख रुपए मिलेंगे, इसकी क्या गारंटी है। क्या भाजपा को यह आशंका है कि अगली बार वो सत्ता में नहीं आ रही है, इसलिए बैकडोर से इतना महत्वपूर्ण विधेयक बिना चर्चा पारित करा दिया।
गुण दोष को समझने में लगता है समय- भाजपा
भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया और रामेश्वर शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के पास अच्छे कामों के लिए वक्त ही कहां है। हंगामा करना ही उनका मकसद है। लाड़ली लक्ष्मी देश की सबसे लोकप्रिय योजना है। इसका लोहा सब मान चुके हैं। योजना को कानूनी रूप देना प्रासंगिक हो गया था। यह पुण्य काम हम ही करेंगे, इसलिए हमारे भाग्य में यह काम आया। किसी भी योजना को कानून का रूप देने से पहले उसके गुण-दोष का समझना होता है, इसलिए ऐसे कामों में वक्त लगता है। 21 साल की होने पर लाड़ली लक्ष्मी को लाभ मिलेगा। इसका पुख्ता इंतजाम कानून के जरिए कर दिया है। उसके हिस्से की राशि का किसी प्रकार से दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। अच्छे काम आशंकाओं से नहीं होते हैं।
सदस्यों को नहीं मिले विधेयक- रावत
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि यह पहली बार है कि विधेयक की प्रति विधानसभा में टेबल करने से पहले नहीं मिली। नियमों के तहत दो दिन पहले विधेयक मिल जाने चाहिए ताकि विधायक उस पर अपनी तैयारी कर सकें। इस बार कार्यमंत्रणा समिति में सीधे बताया गया कि 17 विधेयक ला रहे हैं। दोपहर तक इन्हें टेबल कर दिया और अगले दिन हंगामे के बीच बिना चर्चा ध्वनिमत के सहारे पारित भी करवा लिया।
23 जून को ही विधायकों के बॉक्स में रखवा दिए थे- सिंह
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि विधेयक नियमानुसार दो दिन पहले 23 जून को विधायकों को पहुंचा दिए थे। दो दिन पहले की व्यवस्था इसलिए रखी गई है, ताकि विधायक तैयारी कर सकें। हमें ज्यादातर विधेयक 22 जून को मिल गए थे।