प्रदेश का मालवा निमाड़ अंचल संघ की प्रयोगशाला और भाजपा के मजबूत गढ़ के रूप में जाना जाता है, लेकिन सरकार की कार्यप्रणाली और अफसरों की मनमानी के कारण इस इलाके में अब स्थिति में तेजी से बदलाव हो रहा है। यही वजह है कि खेती-किसानी और व्यापारिक केन्द्र होने के बाद भी यहां के लोगों में प्रदेश सरकार को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है। इस इलाके के किसान तो सरकार से बुरी तरह नाराज हैं। वे यह नाराजगी प्रदर्शन के रूप में भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं हाल ही में इस इलाके में राुहल गांधी की मंदसौर गोली कांड के दौरान हुई रैली भी जबरदस्त भीड़ की वजह से भाजपा की लिए चिंता की वजह बन गई है। इस स्थिति को देखते हुए अब इन दिनों भारतीय जनता पार्टी का सारा फोकस इस अंचल पर है। यही नहीं हाल ही में भाजपा व संघ के तमाम सर्वे में जो फीडबैक मिला है, उसमें मालवांचल के कार्यकर्ता और आम लोगों में नाराजगी की बात भी सामने आयी है। अब पार्टी इस तैयारी में है कि यहां लगातार बड़े नेताओं के दौरे बढ़ाए जाएं। साथ ही किसानों की खदबदाहट को ठंडा कर राजनीतिक माहौल को अनुकूल बनाया जाए। राहुल गांधी के मंदसौर दौरे को निष्क्रिय करने के लिए भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो सभा कराई। एक इंदौर में और दूसरी राजगढ़ जिले के मोहनपुरा में। मोहनपुरा भौगोलिक रूप से तो मालवा में नहीं आता पर वह मालवा का सीमावर्ती इलाका है, जहां पूरी तरह मालवी संस्कृति प्रचलित है। इसके बाद राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल भी इंदौर और उज्जैन का दौरा कर आए हैं। इस दौरान उन्होंने जिलेवार कार्यकर्ताओं की बैठक ली।
राज्यपाल के दौरों पर सवाल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वैसे तो संवैधानिक पद पर हैं लेकिन इंदौर, उज्जैन, रतलाम से लेकर झाबुआ और आलीराजपुर के उनके दौरे को भी सियासी नजरिए से देखा जा रहा है। वे सीमावर्ती राज्य गुजरात की मुख्यमंत्री रही हैं। मूलरूप से पाटीदार समाज की बड़ी और लोकप्रिय नेता हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे भी मालवांचल की नब्ज टटोलने ही गई थीं।
संघ भी सक्रिय
मालवांचल परंपरागत रूप से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ रहा है। मौजूदा फीडबैक सामने आने के बाद संघ ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। संघ सूत्रों का मानना है कि मालवांचल को भाजपा के लिए राजनीतिक दृष्टि से अनुकूल बनाना जरूरी है। अन्यथा यह परिणाम प्रभावित कर सकता है। बीते पांच दशकों से भाजपा के बड़े नेता इसी इलाके से आते रहे हैं। इनमें इनमेें कुशाभाऊ ठाकरे , सुंदरलाल पटवा व कैलाश जोशी शामिल हैं। यही वजह है कि भाजपा की जनआशीर्वाद यात्रा की शुरुआत भी मालवंचल से शुरू की जा रही है।
भाजपा की मुश्किलों की यह है वजहें
– मंदसौर किसान गोलीकांड का असर बरकरार।
– बड़वानी में मेधा पाटकर का प्रभाव।
– रतलाम, मंदसौर-नीमच, धार से लेकर आलीराजपुर और झाबुआ से कोई मंत्री नहीं।
– सोयाबीन फैक्ट्री बंद होने से किसान परेशान, प्याज व अन्य फसलों की लागत नहीं निकल रही।
– विकास के दावे और वादे तो किए पर हकीकत से कोसों दूर।
– रोजगार के अवसर न होने से नौजवानों में नाराजगी।
– रतलाम मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं हो पाया।
– खाद्य प्रसंस्करण, नमकीन, आईटी हब बनाने की सिर्फ घोषणाएं हुई।
यह है विधानसभाओं का गणित
एकतरफा कब्जा बरकरार रखने के लिए भाजपा की कवायद
मालवांचल में सीटें – कुल 66- सामान्य-35, अनुसूचित जनजाति-22, अनुसूचित जाति-9
भाजपा- सामान्य-32, अजजा-16, थांदला के कलसिंह भांवर निर्दलीय सहित अजा-9
कांग्रेस- सामान्य- 3, अजजा-6, अजा-शून्य
शहरी सीटें -12, अर्द्ध शहरी सीटें -11, ग्रामीण- 46 (जीतू पटवारी वाली अर्द्ध शहरी सीट राऊ को छोडक़र सभी भाजपा के पास)
इनका कहना है
भाजपा रणनीतिक रूप से सारे प्रदेश में अपनी चुनावी तैयारियों को संयोजित कर रही है। मालवांचल भाजपा का पुराना गढ़ है, इसलिए पिछले तीनों विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां जबर्दस्त सफलता प्राप्त होती रही है। इसे दोहराने के लिए हम अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश स्तर तक के कार्यकर्ताओं को लगा रहे हैं।
डॉ. दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा