प्रदेश के दो दर्जन जिलों में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम फेल, औसतन महिला तीन से अधिक बच्चों को दे रही जन्म

मप्र के करीब दो दर्जन से ज्यादा जिलों में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। यही वजह है कि इन जिलों में जन्म दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। यह स्थिति तब है जबकि प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा कई वर्षों से जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसके बाद भी प्रदेश के 51 में से 25 जिलों में टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) 3 से कम नहीं हो पा रहा है। यानी यहां औसतन हर महिला तीन से अधिक बच्चों को जन्म दे रही है। खास बात यह है कि इन जिलों में सरकार द्वारा अतिरिक्त बजट देकर ‘मिशन परिवार विकास’ का कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इंदौर संभाग में खंडवा, खरगोन व बड़वानी में टीएफआर 3 से अधिक है। वहीं इंदौर जिले में यह रेट 2.2 तक गिर गया है। उक्त जिलों में परिवार नियोजन कार्यक्रम पूरी तरह प्रभावी नहीं होने से मप्र का टोटल फर्टिलिटी रेट 3.2 के आसपास बना हुआ है। इसे 2.1 होना चाहिए। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह रेट 2.6 तक है।
मिशन परिवार विकास के तहत केंद्र सरकार ने बीते साल देश के 146 ऐसे जिलों का चयन किया था , जिनमें टीएफआर 3 से अधिक है। सरकार ने इन सभी जिलों के लिए विशेष पैकेज देकर महिला-पुरुषों को परिवार नियोजन अपनाने के लिए पहल शुरु की थी, जिसके तहत हितग्राहियों को एक निश्चित राशि भी दी जाती है। इसके बाद भी यह कार्यक्रम सफल होता नहीं दिख रहा है। खास बात यह है कि देश के 19 राज्य यह आंकड़ा 2.1 पर ला चुके हैं। इसीलिए सबसे अधिक प्रजनन दर वाले सात राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम व मध्य प्रदेश के इन 146 अधिक रेट वाले जिलों को चुना गया।
यह है टोटल फर्टिलिटी रेट
18 से 49 साल तक की महिलाएं अपने जीवन में कितने बच्चों को जन्म देती हैं, इसी का आंकलन टोटल फर्टिलिटी रेट में लगाया जाता है। टीएफआर 3 का मतलब है एक महिला अपने जीवन में तीन बच्चों को जन्म दे रही है। सरकार की मंशा यह है कि एक महिला सिर्फ दो बच्चों को ही जन्म दे, तभी जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 1951 में राष्ट्रीय टीएफआर करीब 7 था। तबसे परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाकर इसे कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
यह किए जा रहे हैं प्रयास
– परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए हर जिले को लगभग छह लाख रुपए तक राशि दी जाती है।
– परिवार नियोजन के साधन व गोलियां अस्पतालों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाते हैं।
– हर जिले में महिला नसबंदी पर 1400 रुपए व पुरुष नसबंदी पर 2000 रुपए दिए जा रहे।
– अधिक टीएफआर वाले जिलों में विशेष पैकेज दिया गया है। महिला नसबंदी पर 2000 व पुरुष नसबंदी पर 3000 रुपए तक दिए जा रहे हैं।
चार हजार डॉक्टरों की कमी
मिशन परिवार कल्याण के लिए पूरे प्रदेश में आठ हजार प्रशिक्षित डॉक्टरों की आवश्यकता है, लेकिन सिर्फ करीब चार हजार डॉक्टरों को ही इसकी ट्रेनिंग मिली है। इसलिए हर अस्पताल में नसबंदी नहीं हो पाती। डॉक्टरों की कमी भी एक कारण बनकर सामने आया है।
अभी भी जागरुकता की कमी
जिन जिलों में टोटल फर्टिलिटी रेट 2.1 से अधिक है वहां जागरुकता की सबसे अधिक कमी सामने आई है। शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में लोग परिवार नियोजन अपनाने में पीछे हैं। वहीं पारिवारिक कारण व लगातार बेटियां होने पर बेटे की चाह भी इसका बड़ा कारण है। एक, दो या तीन लड़कियों के होने के बाद भी बेटा हो इसलिए भी परिवार नियोजन को कम अपनाया जा रहा है। वहीं लोग ऑपरेशन से डरते हैं।
यहां भी टीएफआर 3 से अधिक
पन्ना – 4.3
शिवपुरी – 4.4
विदिशा – 4.0
छतरपुर – 4.1
सतना – 3.7
दमोह – 3.6
सीहोर – 3.6
डिंडोरी – 3.5
गुना – 3.5
रायसेन – 3.6
रीवा – 3.4
सीधी – 3.4
उमरिया – 3.6
सागर – 3.5
कटनी – 3.3
शाजापुर -3.2
टीकमगढ़ – 3.3
नरसिंहपुर – 3.2
राजगढ़ – 3.2
रतलाम – 3.2
मुरैना – 3.2
खंडवा – 3.2
खरगोन – 3.1
झाबुआ – 3.0
हरदा – 3.0