चुनावी साल में सरकार ने अब नगरीय निकाय चुनावों से भी किया किनारा

प्रदेश में बीते डेढ़ दशक में यह शायद पहला मौका है जब प्रदेश सरकार ने राज्य में होने वाले विभिन्न चुनावों से हाथ खींचे हैं। इनमें सहकारिता, मंडी के बाद नगरीय निकाय शामिल हैं। हाल ही मेें राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश के पांच निकायों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसके 24 घंटे बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग को सरकार के आग्रह पर चुनाव स्थगित करना पड़े हैं। सूत्रों की माने तो चुनाव कार्यक्रम रोकने के लिए नगरीय विकास प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल तीन बार राज्य निर्वाचन आयुक्त आर. परशुराम से मिले। इसके बाद भी मामला नहीं बना तो मुख्यमंत्री को बात करनी पड़ी। इससे यह तय हो गया है कि अब इन निकायों में विधानसभा चुनाव के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। तब तक इनमें प्रशासक की नियुक्ति हो सकती है। कांग्रेस ने इसे हार के डर से उठाया गया अलोकतांत्रिक कदम बताया है।
विस चुनाव पर असर का डर
प्रदेश में यह संभवत: पहला मामला है, जब आयोग को एक दिन के अंतराल में ही चुनाव टालने पड़े। ये चुनाव अनूपपुर, सांची (रायसेन) नरवर (शिवपुरी), भैंसदेही (बैतूल) और चुरहट (सीधी) नगरीय निकायों में होने थे। समझा जाता है कि इसके नतीजों का विधानसभा चुनाव पर असर पडऩे की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया है। यह वे स्थान हैं जहां पर सर्वे में भाजपा की स्थिति खराब बताई गई है।
यह बताया आधार
पड़ताल के अनुसार 5 में से 4 कलेक्टरों ने एक माह पूर्व वार्ड आरक्षण प्रक्रिया पूरी करके सरकार को भेज दी थी। इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को भी दी। आयोग ने 4 जुलाई को सरकार को पत्र लिखकर कहा कि कलेक्टरों ने वार्ड आरक्षण की जो अधिसूचना बनाकर भेजी है, उसे राजपत्र में प्रकाशित किया जाए। इस पर कोई जवाब नहीं आया। नौ जुलाई को जैसे ही पता चला कि आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित करने जा रहा है, उससे एक घंटे पहले नगरीय विकास एवं आवास ने पत्र लिखकर सूचित किया कि वार्ड आरक्षण में त्रुटि सामने आई है। ऐसे में चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किए जाए। आयोग ने आग्रह नहीं माना और चुनाव घोषित कर दिए। इसके बाद विभाग ने आयोग में आपत्ति दर्ज कराई कि चुनाव कार्यक्रम क्यों घोषित किया। आरक्षण त्रुटिपूर्ण होने से वैधानिक स्थिति उत्पन्न होगी।
इनका कहना है
यह प्रदेश सरकार का अलोकतांत्रिक कृत्य है। किसी भी निर्वाचित संस्था नगर निगम, नगर पालिका या नगर परिषद के कार्यक्रम बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। एक सोची समझी योजना के तहत आगामी विधानसभा चुनाव में लाभ लेने क लिए प्रशासक नियुक्त करने की योजना है।
– कमलनाथ, अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस
राज्यपत्र में वार्ड आरक्षण की सूचना प्रकाशित नहीं होने के आधार पर चुनाव स्थगित करने का आग्राह किया था। यह सही है कि विवेक अग्रवाल मिलने आए थे। चुनाव प्रक्रिया पर बात हुई थी।
– आर. परशुराम, राज्य चुनाव आयुक्त
आरक्षण प्रक्रिया में त्रुटी है, इसका पालन नहीं करने से वैधानिक परेशानी आती है। हमने वार्ड आरक्षण नोटिफिकेशन जारी होने तक आयोग से चुनाव स्थगित करने का आग्रह किया है।
विवेक अग्रवाल, प्रमुख सचिव