शिव सरकार ने एक लाख रिक्त पदों को भरने में नहीं ली रुचि

प्रदेश के युवा बेरोजगारी से परेशान हैं, लेकिन सरकार अपने आप में न केवल मस्त है , बल्कि नौकरियों के अवसर कम करने लगी हुई है। सरकार का पूरा जोर रिटायर्ड होने वाले अफसरों के पुर्नवास पर ही लगा हुआ है। यही वजह है कि बीते पांच सालों में जो भी बड़ा अफसर सेवानिवृत्त हुआ है सरकार ने उनमें से अधिकांश को संविदा नियुक्ति प्रदान कर दी। यही नहीं सरकार ने इसी साल सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में दो साल की वृद्धि कर लाखों युवाओं से सरकारी नौकरी के अवसर भी छीन लिए हैं। खास बात यह है कि प्रदेश में बीते कई सालों से एक लाख से अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैें जिससे प्रदेश में न केवल शिक्षा बल्कि अन्य सरकारी कामकाज भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इसके बाद भी सरकार ने इन पदों पर भर्ती में कोई रुचि नहीं दिखाई दी है। खास बात यह है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2013 में विस चुनाव से पहले संविदा शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की थी, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई जबकि दूसरा विस चुनाव सामने आ गया है। इतना ही नहीं बैकलॉग के रिक्त पद, लिपिक और डाक्टरों के पद भी खाली हैं। इनमें से कम वेतन और सुविधाओं के चलते सरकार को डाक्टर नहीं मिल रहे हैं। कुल मिलाकर सरकारी महकमों में एक लाख से ज्यादा पदों पर भर्ती होने का प्रदेश के बेरोजगार इंतजार कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पदों को भरने की मुहिम तब से शुरू हुई है जब सिर्फ 25 हजार पद खाली थे। वर्तमान में ये बढक़र 72 हजार से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन अब भी भर्ती नियम नहीं बन सके हैं। जिसकी वजह से सरकार नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) का भी उल्लंघन कर रही है। इस कानून में किसी भी कक्षा में विद्यार्थी और शिक्षकों का अनुपात 30:1 होना चाहिए। यह कानून 26 मार्च 2010 को प्रदेश में लागू हुआ है।
भर्ती में देरी की वजह यह भी
सरकार पहले संविदा शिक्षकों की भर्ती करना चाह रही थी। दो माह पहले अध्यापकों का स्कूल शिक्षा और अध्यापकों का स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में संविलियन करने का फैसला हो गया। अब सरकार नियमित शिक्षकों के पद पर भर्ती की बात कर रही है। चूंकि अभी संविलियन के नियम ही तय नहीं हुए हैं। इसलिए चुनाव से पहले भर्ती की उम्मीद कम है क्योंकि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड से परीक्षा कराने, परिणाम आने और फिर विभागीय स्तर पर भर्ती आने और फिर विभागीय स्तर पर भर्ती प्रक्रिया में चार महीने से ज्यादा समय लग सकता है।
15 हजार नियमित पद भी नहीं भर पाई सरकार
सरकार पांच साल में नियमित कर्मचारियों के 15 हजार पद भी नहीं भर पाई है। इस अवधि में 2500 डाक्टर, 1200 वनरक्षक, 100 रेंजर और 2400 लिपिक, 700 आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक और पुलिस आरक्षक के पद ही भरे गए हैं। इसके बाद भी मंत्रालयीन सेवा के 250 कर्मचारी, विभिन्न विभागों में 25 हजार लिपिक, 3500 वनरक्षक व अन्य और करीब 15 हजार पुलिसकर्मियों के पद भी खाली हैं।
सरकार का फोकस संविदा पर
तीसरे कार्यकाल में सरकार का संविदा भर्ती पर फोकस रहा है। मनरेगा के तहत 23 हजार ग्राम पंचायतों में रोजगार सहायक की भर्ती की है। जबकि केंद्रीय प्रवर्तित योजना से स्वास्थ्य विभाग में नर्सों की भर्ती की है। हालात यह है कि प्रदेश सरकार के कई विभाग संविदा कर्मचारियों के भरोसे चल रहे हैं। वहीं बैकलाग के पद भी खाली हैं। आरक्षित वर्ग का कर्मचारी संगठन अजाक्स इसे लेकर कई बार ज्ञापन सौंप चुका है।
इन पदों पर होनी है भर्ती
चुनावी साल में सरकार ने 400 नायब तहसीलदार, 3500 एसोसिएट प्रोफेसर, 650 राजपत्रित अधिकारी, 1300 डाक्टर, 700 पैरामेडिकल स्टाफ, 1053 स्टाफ नर्स और शहरी क्षेत्रों में 500 एएनएम, 16 हजार आरक्षक व होमगार्ड के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग में 3300 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, 700 पर्यवेक्षक की भर्ती शुरू करने की घोषणा की है।
एक दिन में दो लाख युवाओं को रोजगार देने की तैयारी
सरकार एक दिन में दो लाख युवाओं को रोजगार देने की तैयारी कर रही है। अगस्त में होने वाले सीएम चौहान के दिल से कार्यक्रम में यह घोषणा की जा सकती है। एक लाख युवाओं को सरकार स्व रोजगार देने की कोशिश में है। तो ग्लोबल स्किल पार्क के माध्यम से ट्रेनिंग शुरू करने की तैयारी है। इसमें एक लाख युवाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाकर निजी कंपनियों में रोजगार दिलाया जाएगा।