प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पहली बार कई दल सियासी जंग में उतरने को तैयार

प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार कई राजनैतिक दल पहली बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। जिसकी वजह से चुनावी जंग रोचक होने की उम्मीद है। वैसे प्रदेश में कई दशकों से भाजपा व कांग्रेस के बीच ही चुनावी जंग होती रही है। यह शायद पहला विस चुनाव होगा जब बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आप सहित कई क्षेत्रीय दल भी चुनावी जंग में पूरे दमखम के साथ दिखेंगी। दरअसल बसपा व सपा बीते लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अपने गृह राज्य उप्र में अपना राजनैतिक वजूद खो चुके हैं। तो वहीं आप दिल्ली में सरकार बनाकर राष्ट्रीय पार्टी का तमगा हासिल करना चाहती है। प्रदेश में बीते डेढ़ दशक से सत्ता से दूर कांग्रेस इस बार अभी से पूरे जोर-शोर से चुनावी तैयारियों में जुट गई है तो वहीं सत्तारूढ़ भाजपा का मौजूदा नेतृत्व और पार्टी हाईकमान किसी भी तरीके से राज्य की सत्ता को गंवाना नहीं चाहता। ऐसे में कांग्रेस जहां प्रदेश में अपना पहले वाला रुतबा हासिल करने और भाजपा से सत्ता छीनने के लिए प्रयासरत है। वहीं भाजपा अपना गढ़ बचाए रखने की कोशिश में जुटी हुई है। लेकिन इन दोनों पार्टियों के बीच होने वाले मुकाबले के बीच कई और दल भी हैं जो चुनावी मैदान में अपने होने का अहसास कराने की तैयारी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गीते विस चुनाव में भाजपा ने कुल 230 में से 165 सीटें तो कांग्रेस ने 58 सीटें हासिल की थीं। दोनों दलों को मिले मतों का प्रतिशत क्रमश: 44.48 और 36.38 था। बसपा, सपा और जीजीपी को क्रमश: 6.29, 1.25 और एक फीसदी मत हासिल हुए थे।
सपाक्स व शरद यादव की पार्टी भी होगी मैदान में
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अभियान चलाकर जनता दल यूनाइटेड से बाहर हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव भी इस बार चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे। शरद यादव के नेतृत्व वाले जदयू के बागी गुट ने प्रदेश में महागठबंधन के गठन के प्रयास में लगे हुए हैं। इसके तहत गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) और इससे अलग हुए गुट भारतीय गोंडवाना पार्टी (बीजीपी) जैसे दलों को एक साथ लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उधर, प्रदेश सरकार की रोजगार, पदोन्नति और शिक्षा में आरक्षण की नीति के विरोध से पैदा हुए संगठन सपाक्स सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी, कर्मचारी संस्था भी प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लडऩे का फैसला कर चुका है।
आप घोषित कर चुकी है कई प्रत्याशी
अन्ना के आंदोलन से जन्मी आप पार्टी पहली बार प्रदेश में चुनावी दंगल में उतर रही है। आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी कर चुकी है। आप की मप्र इकाई के संयोजक आलोक अग्रवाल कहते हैं कि आगे चरणबद्ध तरीके से आप के उम्मीदवारों की घोषणा की जायेगी। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुकी आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 15 जुलाई को इन्दौर से चुनावी अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं।
इनका कहना है
आगे चरणबद्ध तरीके से आप के उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। अभी दो सूची जारी की गई हैं। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुकी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 15 जुलाई को इंदौर में आमसभा प्रस्तावित है।
आलोक अग्रवाल, संयोजग, मप्र आप
मध्यप्रदेश में राजनीति सामान्यतया दो मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस के बीच रही है। अन्य दलों की मौजूदगी से भाजपा का फायदा ही होगा, क्योंकि यह विपक्षी दल कांग्रेस के मतों का विभाजन करेंगे। इन पार्टियों का चुनाव में कोई असर नहीं होगा।
रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता, भाजपा
मप्र में दो धुव्रीय राजनीति रही है, इसलिए कांग्रेस बसपा और सपा जैसे समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन कर सकती है। ताकि वोटों, विशेषकर एसटी,एससी और पिछड़े वर्गों के वोटों का विभाजन रोका जा सके। इस बारे में निर्णय उच्च स्तर पर लिया जाएगा। आप और सपाक्स चुनाव में कोई असर नहीं डाल पाएंगे।
पंकज चतुर्वेदी, प्रवक्ता, कांग्रेस