आईएएस की तरह ही आईएफएस भी चाहते हैं अपने लिए गेस्टहाउस, गृह विभाग नहीं दे रहा अनुमति

राजधानी में आईएएस अफसरों के एसोसिएशन के पास मौजूद अरेरा क्लब की तरह ही आईएफएस एसोसिएशन भी अपने लिए एक रेस्टहाउस चाहती है। इसके लिए सरकार से विभाग के चार इमली स्थित गेस्ट हाउस को शासन से मांगा है। लेकिन इससे संबधित प्रस्ताव को बीते छह माह से गृह विभाग ने अटका रखा है। खास बात यह है कि इस अवधि में तीन बार वन अफसरों द्वारा गृह विभाग से बात कर चुके हैं फिर भी उनके द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर फैसला नहीं हो पा रहा है। अब इस मामले में हो रही लेटलतीफी को लेकर एसोसिएशन के पदाधिकारी विभाग के अपर मुख्य सचिव केके सिंह से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। इसके पीछे वन अफसरों का तर्क है कि बाहर से आने वाले आईएफएस अफसरों के ठहरने में होने वाली परेशानियों को देखते हुए ही गेस्ट हाउस की मांग की है। गौरतलब है कि आईएएस एसोसिएशन अरेरा क्लब का संचालन करती है। क्लब में वार्षिक कार्यक्रमों के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेल गतिविधियां भी होती हैं। संगठन और अफसरों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए ठीक इसी तरह की व्यवस्था आईएफएस एसोसिएशन भी चाहती है। इसके लिए एसोसिएशन ने जनवरी 2018 में गेस्ट हाउस का संचालन हाथों में लेने की मांग की थी। वन विभाग ने यह प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसमें अंतिम फैसला गृह विभाग को लेना है, लेकिन अब तक फाइल पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों से चर्चा तक नहीं की गई है। जबकि आईएफएस अफसर इस मांग को लेकर तीन बार गृह विभाग के अफसरों से मिल चुके हैं।
वन अफसरों की जगह जनप्रतिनिधियों का रहता है कब्जा
आमतौर पर वन विभाग के गेस्ट हाउस में जनप्रतिनिधि रुकने लगे हैं। उनके साथ रहने वाले कार्यकर्ताओं के लिए भी कक्ष बुक कराए जाते हैं। इसलिए ज्यादातर कक्षों में ताला लगा रहता है और राजधानी से बाहर से आने वाले आईएफएस अफसरों को कक्ष नहीं मिलते। मैदानी अफसर ये शिकायत कई बार एसोसिएशन से कर चुके हैं।
एसोसिएशन का तर्क
एसोसिएशन का तर्क है कि जैसे अरेरा क्लब का उपयोग आईएएस अफसर कर रहे हैं। वैसे ही आईएफएस अफसरों को भी जरूरत है। आईएफएस भी चाहते हैं कि आफिस से बाहर उन्हें साथ बैठने की जगह मिले। जहां वे परिवार के साथ जा सके। एक-दूसरे के परिवार मिल सके। सुख-दुख की बातें हो सकें। नियमित और वार्षिक सांस्कृतिक, खेल गतिविधियां संचालित की जा सकें। एसोसिएशन का यह तर्क है कि उनके हाथ में संचालन आने से गेस्ट हाउस की देखरेख ठीक से हो जाएगी और बाहर से आने वाले अफसर रुकेंगे, तो वरिष्ठ अफसरों से उनकी चर्चा होगी।