सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में चल रहे विस्थापन कार्य में की गई गड़बड़ी के मामले में लोकायुक्त (विशेष स्थापना पुलिस) द्वारा की जा रही जांच के बाद भी वन विभाग के अफसर लीपापोती करने से बाज नहीं आए। फलस्वरुप पेशी पर गए आला अफसरों को न केवल लोकायुक्त से डांट खानी पड़ी, बल्कि अब फिर पूरे मामले की सीनियर अफसर से जांच भी करानी पड़ रही है। यह पूरा मामला सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पार्क के तत्कालीन प्रभारी डायरेक्टर एके नागर से जुड़ा हुआ है। उन पर पार्क से विस्थापित ग्रामीणों को मुआवजा राशि बांटने में गड़बड़ी करने का आरोप है। इस मामले में लोकायुक्त ने विभाग से जांच रिपोर्ट मांगी थी और विभाग ने नागर के कनिष्ठ अधिकारी से जांच कराकर रिपोर्ट भेज दी थी। दरअसल बीते चार साल से पार्क से वनग्रामों का विस्थापन चल रहा है। विस्थापित परिवार को दूसरी जगह मकान बनाने और जमीन खरीदने के लिए 10 लाख रुपए मुआवजा मिलता है। ग्रामीणों ने इसमें गड़बड़ी पर लोकायुक्त में शिकायत की थी। लोकायुक्त अपने स्तर पर जांच कर रहा है वहीं वन विभाग से भी जांच रिपोर्ट मांगी थी। विभाग ने सहायक वनसंरक्षक से जांच कराकर रिपोर्ट लोकायुक्त को भेज दी। लोकायुक्त अफसरों ने विभाग की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं। पिछले दिनों मामले की सुनवाई पर पहुंचे वन विभाग के उप सचिव को लोकायुक्त कार्यालय के अफसरों ने दोबारा जांच कराकर रिपोर्ट भेजने को कहा है।
श्रीवास्तव को क्लीनचिट देने की तैयारी
लकड़ी से भरा ट्रक छोडऩे के बदले 50 लाख रुपए नकद और जमीन की मांग के आरोप में हटाए गए सीसीएफ अजीत श्रीवास्तव को क्लीनचिट देने की तैयारी है। वन विभाग ने यह प्रस्ताव सीएम सचिवालय को भेज दिया है। हालांकि अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
अब सीसीएफ करेंगे जांच
लोकायुक्त कार्यालय की नाराजगी के बाद वन विभाग अब सीसीएफ स्तर के अफसर से मामले की जांच कराएगा। इस संबंध में शासन ने वन मुख्यालय को पत्र लिख दिया है। इसमें कहा गया है कि शिकायत के सभी बिंदुओं को केंद्र में रखकर दोबारा जांच कराई जाए। नागर पार्क में प्रभारी डायरेक्टर थे, तब उनका मूल पद सीएफ (वन संरक्षक) था इसलिए सीसीएफ स्तर के अधिकारी जांच कर सकते हैं।