वंशवाद पर भाजपा नेता पुत्रों के टिकटों पर संकट के बादल

देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ वंशवाद को चुनावी मुद्दा बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पूरी तरह से घेरने की योजना तैयार की है। इसकी शुरुआत भाजपा ने संसद में पेश अविश्वास प्रस्ताव के जवाब के दौरान स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को ‘कामदार’ और राहुल गांधी को ‘नामदार’ यानी वंशवाद की उपज बताते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला किया। इस वजह से अब प्रदेश के उन दिग्गज भाजपा नेताओं के पुत्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं जो अपने परिवार के रसूक के चलते विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी बनने के सपने पाले हुए हैं। इनमें पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के पुत्र बीते विधानसभा चुनाव में भी दावेदारी कर चुके हैं, लेकिन उस समय उन्हें सफलता नहीं मिल सकी थी। पार्टी के केन्द्रीय नेताओं द्वारा इसे मुद्दा बनाए जाने से पार्टी के कार्यकर्ता और टिकट के दावेदार फिलहाल खुश देखे जा सकते हैं।
प्रदेश मंत्रिमंडल में है वंशवाद की झलक
भाजपा की मौजूदा सरकार में भी वंशवाद स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है। वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ,पूर्व सांसद कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह पटेल शामिल हैं। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री कुमार सखलेचा के बेटे ओमप्रकाश सखलेचा, केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोद के बेटे जितेन्द्र गहलोद, पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा, पूर्व मंत्री ज्ञान सिंह के बेटे शिवनारायण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते विधानसभा सदस्य हैं।
यह नेतापुत्र टिकट के दावेदार
विस अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा के भतीजे पीयूश शर्मा, डॉ. नरोत्तम मिश्र के बेटे सुकर्ण मिश्र, प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान, कैलाश चावला के बेटे सोनू चावला, सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे देवेश मीणा इस बार विस चुनाव में पार्टी के टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं।
यह नामदार भी भाजपा से टिकट की दौड में
कार्तिकेय सिंह चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र है। किरार-धाकड़ समाज और भाजपा के मंच से राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय है। हालांकि कार्तिकेय अभी 25 वर्ष के नहीं है।
मुदित शेजवार
डॉ. गौरीशंकर शेजवार की सांची विस क्षेत्र से दावेदारी। स्वास्थ्य कारणों से डॉ. शेजवार भी बेटे को उतारना चाहते हैं।
आकाश विजयवर्गीय
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे है। राजनीति विरासत में मिली है। विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते हैं।
मंदार महाजन
लोकसभा में स्पीकर सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार पिछले चुनाव से ही इंदौर (विधानसभा क्रमांक तीन) से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
अभिषेक भार्गव
प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे है। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में भी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट भी भरसक कोशिश की थी।
राजेश सोलंकी
हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के पुत्र प्रदेश भाजपा में सक्रिय है। ग्वालियर (पूर्व) से टिकट की जोड़तोड़ में है।
मौसमी बिसेन
कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन और जिला पंचायत अध्यक्ष रेखा बिसेन की बेटी है। 2014 में बालाघाट लोकसभा से टिकट भी भरसक कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली
देवेंद्र प्रताप सिंह
केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह भी राजनीति में सक्रिय है। देवेंद्र ग्वालियर की राजनीति में जाना पहचाना नाम है और अपने लिए सीट तलाश रहे हैं।
कृष्णा गौर
पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक बाबूलाल गौर की पुत्रवधू हैं। भोपाल नगर निगम की महापौर भी रह चुकी है। बाबूलाल गौर के उत्तराधिकारी के रूप में इनकी गोविंदपुरा सीट से प्रबल दावेदारी है।
भरोसा सिर्फ कामदारों पर
भाजपा में चाहे नेतापुत्र या कोई और, टिकट काम के आधार पर ही दिए जाते हैं। देश में कांग्रेस का वंशवाद देखा है व रिजेक्ट भी किया है। भाजपा कामदारों पर ही भरोसा करती है।
– डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी