केंद्र की रिपोर्ट से चुनावी साल में भाजपा की प्रदेश में बढ़ी मुश्किलें

मप्र सरकार व उसके मुखिया भले ही प्रदेश के चहुंमुखी विकास के दावे करते नहीं थक रहे हैं, लेकिन भाजपा की ही केन्द्र सरकार ने उसके दावों पर सवाल खड़े कर चुनावी साल में उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इससे प्रदेश की भाजपा सरकार के विकास के दावों की पोल खुद ही खुल गई है। दरअसर बीते सालों में केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई अलग-अलग रिपोर्ट्स में शिवराज सरकार के दावों की हकीकत को आइना दिखाया गया है। सडक़, बिजली से लेकर बुनियादी सुविधाओं में केंद्र की जारी रिपोर्ट्स ने एमपी सरकार के विकास के दावे पर सवाल खड़े किए हैं। मोदी सरकार के मंत्रालयों की रिपोर्ट बता रही है कि प्रदेश में विकास की तस्वीर सरकार के दावों के बिल्कुल उलट है। मोदी सरकार में जारी रिपोर्ट बताती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, महिला अपराध, दुष्कर्म, खराब सडक़ें, बेरोजगारी और बिजली मैनेजमेंट के मामले में मप्र की स्थिति काफी खराब है।
महिला अपराध
एनसीआरबी की रिपोर्ट में साल 2016 के दौरान देश में दुष्कर्म के कुल 38,947 मामले दर्ज हुए। इसमें से मध्यप्रदेश में 4 हजार 882 मामले दर्ज हुए।
बिजली
साल 2017 में आई केंद्र की एक रिपोर्ट में सामने आया कि 45 लाख घरों तक अब भी बिजली नहीं पहुंच सकी है। साल 2018 में जारी हुई ऊर्जा मंत्रालय की रिपोर्ट में देश की 41 बिजली वितरण कंपिनयों के कामकाज पर रेटिंग जारी हुई। इसमें प्रदेश की 3 वितरण कंपनियों में से 2 की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक बताई गई।
स्वास्थ्य
एनुअल हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में शिशु मृत्यु दर में प्रदेश अव्वल है, 1000 नवजातों में से 52 अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाते हैं।
नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग की रिपोर्ट में प्रदेश को देश में तीसरे स्थान पर बताया गया है। कुपोषण, भुखमरी, बाल-मातृ मृत्यु दर, बेरोजगारी, बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं में राज्य के 8 जिलों को सबसे ज्यादा पिछड़ा बताया गया।
सडक़
सडक़ दुर्घटना में मप्र देश में दूसरे नंबर पर है। केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट में साल 2016 में 53 हजार 972 हादसे बताये गये…इसके लिए सडक़ों पर गड्ढों और लापरवाही को बड़ा कारण माना गया।
रिपोर्ट को हथियार बनाने में जुटी कांग्रेस
वहीं केंद्र की मोदी सरकार में खुल रही एमपी सरकार की पोल से जहां भाजपा टेंशन में है, वहीं चुनावी साल में कांग्रेस इन्हीं रिपोर्ट को प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़ा हथियार बनाने में जुट गई है। बहरहाल मौसम चुनावी है और सरकार हर मंच पर बीते पंद्रह सालों में बदली प्रदेश की तस्वीर को नये फ्रेम में पेश कर हर किसी को खुश होने का अहसास कराने में जुटी है, लेकिन केंद्र की ओर से एक के बाद एक जारी हो रही रिपोर्ट सरकार को आईना दिखाने का काम कर रही है।
इन मामले में मप्र पिछड़ा
रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, महिला अपराध, दुष्कर्म, खराब सडक़ें बेरोजगारी और बिजली मैंनेजमेंट में मप्र पिछड़ा हैं।