27 जुलाई 2018 को सदी का सबसे लंबा अनोखा चंद्र ग्रहण होने वाला है. नासा के मुताबिक यह 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण होगा.
अपने विभिन्न चरणों के दौरान इस चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 55 मिनटों की होगी.
यह 27 जुलाई को रात 11.54 बजे शुरू होकर 28 जुलाई की सुबह 3.49 बजे तक चलेगा.
कब लगता है चंद्रग्रहण?
सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया से छिप जाता है. यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों.
पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा की बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है. इससे चंद्रमा के छाया वाला भाग अंधकारमय रहता है. और इस स्थिति में जब हम धरती से चांद को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई पड़ता है. इसी वजह से इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है.
इसे ब्ल्ड मून क्यों कहा जा रहा है?
चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की वजह से धरती से चांद काला दिखाई देता है. लेकिन कुछ सेकेंड के लिए चांद पूरी तरह से लाल भी दिखाई पड़ता है. इसी वजह से इसे ब्लड मून कहते हैं.
27 तारीख को जो चंद्र ग्रहण होगा उस दौरान चांद पृथ्वी से अपनी सर्वाधिक दूरी पर होगा. इसे घटना को अपोगी कहते हैं जिसमें पृथ्वी से चांद की अधिकतम दूरी 4,06,700 किलोमीटर होती है.
यह चंद्र ग्रहण कहां देखा जा सकता है?
27 जुलाई का चंद्र ग्रहण उत्तरी अमरीका को छोड़ कर पृथ्वी के अधिकांश भाग में दिखेगा लेकिन संपूर्ण चंद्र ग्रहण यूरोप के अधिकांश भागों, मध्यपूर्व, मध्य एशिया और ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकता है.
इसे देखने के लिए टेलिस्कोप की ज़रूरत नहीं होगी लेकिन एक अच्छे दूरबीन की आवश्यकता पड़ सकती है.
यदि आप ऐसे जगह पर हैं जहां से इसे देख सकते हैं तो इसका सर्वोत्तम रूप भारतीय समय के अनुसार 01:51 बजे सुबह दिख सकते हैं.
सबसे अच्छा कहां से दिखेगा यह चंद्र ग्रहण?
इस खगोलीय घटना का बेहतरीन नज़ारा पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व और मध्य एशिया में दिखेगा.
इसे मध्य और उत्तरी अमरीका में नहीं देखा जा सकेगा.
दक्षिण अमरीका में इसे आंशिक रूप से इसके पूर्वी क्षेत्र ब्यूनस आयर्स, मोंटेवीडियो, साओ पाउलो और रियो डी जेनेरो में देखा जा सकेगा.
भारत में इस आकाशीय घटना को दिल्ली, पुणे, बेंगलुरू और मुंबई समेत देश के सभी शहरों में देखा जा सकेगा
बलराम पांडेय
सलाहकार संपादक
9893572905