मध्यप्रदेश विधानसभा में इन दिनों गुपचुप तरीकों से भर्ती की प्रक्रिया की जा रही है। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में विधानसभा सचिवालय में पदस्थ कर्मचारियों के रिश्तेदारों को नौकरी देने की तैयारी की गई है। इस मामले का खुलासा हाल ही में होने से बवाल मचा हुआ है। दरअसल विधानसभा सचिवालय ने हाल ही में करीब 41 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए न कोई विज्ञापन जारी किया गया और न ही इस भर्ती प्रक्रिया को सार्वजनिक किया गया। मामले का खुलासा भी तब हुआ जब इस मामले में विधानसभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने पत्र लिया। यह पत्र सार्वजनिक हो गया जिसके बाद से ही पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं। खास बात यह है कि कहा जा रहा है कि इसमें विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा के निज सचिव (ओएसडी) के बेटे को सहायक ग्रेड-3 और गनमैन के बेटे को मार्शल नियुक्त करने की तैयारी की गई है। यही नहीं उनके पीए की भांजी को भी सहायक ग्रेड-3 के इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर भेजा गया है। यह सभी नियमित पद हैं। अभी तक जो जानकारियां सामने आ रही हैं उसके मुताबिक विधानसभा के अधिकारियों व कर्मचारियों के डेढ़ दर्जन परिजनों के नाम काल लेटर जारी होने की बात सामने आ चुकी है। जिसमें सहायक ग्रेड-3 के लिए सुरक्षा अधिकारी, सेक्शन ऑफीसर और पुस्तकालय के अधिकारियों के रिश्तेदारों के शामिल होने की चर्चा है। इस सूची में कई बड़े नेताओं के रिश्तेदार भी शामिल हैं। इन सभी को 11, 12 और 13 अगस्त को साक्षात्कार का बुलावा भेजा गया है।
इस प्रक्रिया का पालन नहीं
भर्ती के लिए विज्ञापन निकालकर आवेदन आमंत्रित करना चाहिए। चयन लिखित परीक्षा व इंटरव्यू के जरिए होना चाहिए। सरकारी भर्ती सामान्य तौर पर एमपी-पीएससी या व्यापमं के जरिए होती है। इसके लिए कहीं कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया। चंद मिनटों के लिए नोटिस बोर्ड पर सूचना चस्पा कर आवेदन बुला लिए। इससे केवल विधानसभा अधिकारी-कर्मचारी के परिवार वालों व रिश्तेदारों ने ही आवेदन किए। दिव्यांग आरक्षण का पालन नहीं किया गया।
यह दे रहे हैं तर्क
विधानसभा के भर्ती के अपने अलग नियम हैं। वह रोजगार कार्यालयों से नाम बुलाकर भर्ती कर सकती है। विधानसभा का तर्क है कि प्रदेशभर के रोजगार कार्यालयों से नाम मांगे हैं। विधानसभा के अधिकारियों की एक चयन कमेटी बनाकर भर्ती हो रही है।
इनका कहना है
हम रोजगार कार्यालय से नाम लेकर नियमानुसार भर्ती कर रहे हैं। रोजगार कार्यालय ने जिनके नाम भेजे, उन्हें बुलाया गया है। अभी प्रक्रिया चल रही है। गड़बड़ी के आरोप गलत हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष को पूरी जानकारी नहीं है। उनको स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी।
डॉ. सीतासरन शर्मा, अध्यक्ष, विधानसभा
श्रीनिवास पर दर्ज करा चुके हैं एफआईआर
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के समय भी अवैध भर्तियां हुई थीं। इस मामले में डॉ. सीतासरन शर्मा ने सचिवालय के जरिए एफआईआर दर्ज कराई है। करीब 10000 भर्तियों की जांच चल रही है। कुछ मामले अदालत में भी हैं।
पहले भी हुई गड़बड़ी
विधानसभा में संविदा व नियमित भर्ती में गड़बड़ी होती रही है। इसमें बीएल विश्वकर्मा, पीएन विश्वकर्मा और श्यामलाल मैथिल को सेवानिवृत्ति के बाद संविदा नियुक्ति दी गई। डेढ़ साल पहले एक मंत्री के दो रिश्तेदारों को विधानसभा में रखा गया है।
अब आगे क्या
– इन नियुक्तियों के खिलाफ कोई भी व्यक्ति हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। प्रक्रिया पूरी नहीं करने के कारण इसे चैलेंज कर सकते हैं।
– कांग्रेस नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ ऐसे ही प्रकरण में एफआईआर हुई है। कांग्रेस अब मौजूदा सरकार व अध्यक्ष पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए कदम उठा सकती है।
– विधानसभा भी इन नियुक्तियों की प्रक्रिया रद्द कर सकती है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा और उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह के बीच चर्चा के बाद नतीजा आएगा। यदि दोनों में सहमति बनती है तो भर्ती हो जाएगी।