जनता के हितों की लड़ाई लडऩे के मामले में युवा विधायकों की सक्रियता आम विधायकों की तुलना में अधिक रही है। जनहित के मामलों में इनके तीखे तेवरों के चलते कई बार सरकार को झुकना पड़ा है। खास बात यह है कि कई युवा नेता विधायक बनने के बाद भी जनहित के सरोकारों से जुड़े रहे हैं। इसका उदाहरण हैं खातेगांव से निर्वाचित होने वाले 35 वर्षीय विधायक आशीष शर्मा, वे विधायक बनने से पहले शिक्षक थे। वे विधायक बने फिर भी ननासा हायर सेकंडरी स्कूल में दो सालों तक पढ़ाने जाते रहे। इनके अलावा पहली बार विधायक बने 27
वर्षीय पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह टोल को लेकर हुए विवाद में जनता के साथ सडक़ पर उतर गए। जिसके बाद प्रशासन को स्थानीय लोगों को टोल पास जारी करने पर मजबूर होना पड़ा। इस तरह प्रदेश के युवा विधायक अपनी सोच और तेवरों से जनता की लड़ाई लड़ते हुए देखे जा रहे हैं। खास बात यह है कि मौजूदा विधानसभा में कांगे्रस के जयवर्धन सिंह और नेपानगर से भाजपा संजू सिंह दादू की उम्र 27 वर्ष है। यह दोनों ही इस विधानसभा में सबसे कम उम्र के विधायक हैं। इसी तरह से सिरमौर के 28 वर्षीय विधायक दिव्यराज सिंह ने 50 फीसदी बिजली के बिल बकाया के चलते ट्रांसफार्मर नहीं बदलने के नियम का खुलकर विरोध किया। दूसरे विधायक भी उनके समर्थन में आए। नतीजा, सरकार को मापदंड बदलने पड़े। 31 वर्षीय घटिया विधायक सतीश मालवीय ने आदिवासी छात्रावासों का मामला उठाया। इसके बाद सरकार को उनका बजट बढ़ाना पड़ा।
इन विधायकों के तेवरों से मिली राहत
दिव्यराज ने गौहाना की टू लेन सडक़ के घटिया निर्माण की शिकायत जनता के साथ मिलकर की तो अधिकारियों को सडक़ उधेडऩी पड़ी। सेना भर्ती के दौरान उपद्रव के कारण भिंड जिले को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। अटेर विधायक हेमंत कटारे ने सदन में सवाल उठाया , सरकार ने रक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर इसे बहाल करने का आग्रह किया। टोल प्लाजा की ज्यादती और हाउसिंग बोर्ड कालोनी को मुरैना नगर निगम में शामिल करने के लिए भाजपा के सूमावली विधायक ने अपने तेवरों से सरकार पर दबाव बनाया, बात मानी गई।
जनमानस को भी बदला
सुमावली विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार ने सिंचाई योजना की मंजूरी दिलाई। जमीन को लेकर विवाद के सुर उभरे तो खुद गांव-गांव घूमे। लोगों को मानस बनाने के बाद बड़ी पंचायत बुलाई। सहमति से प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा। अब बिना विवाद जमीन अधिग्रहण चल रहा है। चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी के लिए मोबाइल फोन ही आफिस है। वे आवेदन और समस्याओं का विवरण इसी पर मंगवा लेते हैं। कसरावद विधायक सचिन यादव ने भी किसानों की आवाज उठाकर तीन सिंचाई योजनाओं को मंजूरी दिलाई।
सोशल मीडिया और फोन पर संपर्क
यूएस से पढ़ाई करने के बाद सीधे राजनीति में उतरने वाली 36 वर्षीय विधायक पारुल साहू ने सोशल मीडिया में अपडेट रहने के लिए टेक पसंद युवा टीम को अपने साथ जोडा है। लांजी विधायक हिना कांवरे फोन से लेकर सोशल मीडिया तक खुद ही संभालती हैं। पूरे क्षेत्र में उनका पर्सनल नंबर बंटा हुआ है।
बीते चुनाव में युवा सात विधायकों को मिली थी हार
2008 में जीते 16 युवा विधायकों में से दूसरी बार में सात हार गए। तीन को पार्टियों ने टिकट नहीं दिया। इस तरह 13 में से केवल छह फिर विस पहुंचे। सबसे अधिक कांगे्रस को 7 और भाजपा को 2 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। इस बार हेमंत कटारे, मंजू सिंह, नीलांशु चतुर्वेदी ने उपचुनाव में जीतकर आए हैं।
दो विस में ये रही स्थिति
2008 की विस
-युवा विधायक-16, कांग्रेस-09
-भाजपा-06, निर्दलीय-01
2013 की विस
-युवा विधायक-14, कांगे्रस-05
-भाजपा-09, निर्दलीय-00