चुनावी मौसम आते ही प्रदेश में देशी के साथ विदेशी मदिरा की मांग तेजी से बढ़ जाती है। यही हालात इस बार भी विस चुनाव शुरु होते ही बन गए हैं। हालात यह हैं कि प्रदेश में शराब बिक्री की रोज नए रिकार्ड बन रहे हैं। मतदान की तिथी नजदीक आते-आते शराब विक्री के कई नए रिकार्ड बनने की उम्मीद जताई जा रही है। अगर शराब बिक्री की बीते साल के इसी माह से तुलना की जाए तो इस माह में अब तक हर दिन 64 हजार लीटर शराब की अधिक बिक्री औसत रुप से दर्ज हो रही है। कंपनियों ने डिमांड और सप्लाई का आंकलन करते हुए रोजाना तीन लाख लीटर शराब का उत्पादन बढ़ा दिया है। यह खुलासा हाल ही में आबकारी विभाग द्वारा चुनाव आयोग
को दी गई जानकारी से हुआ है। जानकारी में बताया गया है इस अवधि में सर्वाधिक शराब की बिक्री इंदौर में हो रही है। चुनाव आयोग की सख्ती के बाद भी चुनाव में शराब का कितना इस्तेमाल हो रहा है, इसका आंकड़ा प्रशासन के पास नहीं है, लेकिन बिक्री में आए उछाल से सवाल खड़े हो रहे हैं।
बीयर की बिक्री मे आयी कमी
प्रदेश में बीयर की बिक्री 44 हजार लीटर घटी है। कंपनियों ने इसका उत्पादन पिछले साल की तुलना में 25.97 लाख लीटर से ज्यादा बढ़ा दिया है। अफसरों मानना है कि यह बीयर प्रदेश के बाहर जा रही है। शराब की खेप चेपपोस्ट से होकर नहीं गुजरती है। चुनाव को देखते हुए आयोग ने अवैध शराब पकडऩे के लिए प्रदेश में 14 चेकपोस्ट बनाए हैं, लेकिन एक भी चेकपोस्टों पर शराब नहीं पकड़ाई है।
शराब की दुकानों पर लगाए कैमरे
आयोग के निर्देश पर शराब दुकानों के साथ फैक्ट्रियों और गोदामों में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय शराब बिक्री के तुलनात्मक आंकड़े हर दिन आबकारी विभाग से मांग रहा है, क्योंकि 7.76 लाख लीटर प्रतिदिन की खपत देखकर आयोग भी हैरान है। अफसरों ने शिकंजा कसने की तैयारी तेज कर दी है। वहीं अवैध शराब का सबसे ज्यादा कारोबार धार जिले में हो रहा है। शराब पकड़ाने के मामले में इंदौर संभाग प्रदेश में सबसे आगे है। पन्ना और भिंड जिले में अब तक सबसे कम शराब पकड़ी गई है।
ऐसे समझें
नवंबर 2017 में 74.73 लाख लीटर शराब का उत्पादन था, जो इस साल बढक़र 77.51 लाख लीटर हो गया है। शराब बिक्री की बात करें तो इस साल 7.76 लाख ली. अधिक हुई है।