भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। हाल ही में पांच
राज्यों में हुए चुनावों के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में न आने की वजह से अब प्रदेश कांग्रेस की चिंताए भी बढ़ गई हैं। इसकी वजह से अब प्रदेश में कांग्रेस मुखिया कमलनाथ ने अमूलचूल परिवर्तन करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत संगठन में बदलाव के साथ ही मैदानी स्तर पर सक्रियता बढ़ाने की रणनीति तैयार की जा रही है। बताया जा रहा है कि इसके लिए अब प्रदेश के सभी छह अंचलों की जिम्मेदारी अलग-अलग नेताओं को सौंपने की तैयारी है। यह वे नेता होंगे जिनकी अपने अंचलों में मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसके तहत प्रदेश को जिन छह जोन में बांटा जाएगा , उसमें विन्ध्य, बुन्देल खंड, मालवा- निमाड़, मध्यभारत, महाकौशल तथा ग्वालियर व चंबल का इलाका शामिल है। इन सभी अंचलों की जिम्मेदारी गुटबाजी से परे होकर इलाके के ही एक किसी प्रभावशाली बड़े नेता को दी जाएगी। उस नेता की जिम्मेदारी होगी की वह अपने क्षेत्र में मैदानी स्तर पर प्रवास कर कार्यकर्ताओं व आम लोगों से मिलकर पार्टी के पक्ष में लाने के प्रयास करे। इसके अलावा उनके पास ही आगामी विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार के नाम पर समन्वय बनाने का जिम्मा रहेगा। खास बात यह है कि इसके लिए कांग्रेस अब संघ की शैली पर काम करने की योजना बना रही है। इसके तहत पार्टी नेताओं को दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं के घर पर ही रुकने के साथ उनके साथ ही भोजन करने को भी कहा जाएगा। दरअसल प्रदेश के सभी प्रमुख और बड़े नेताओं का मानना है कि अगर 2023 में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव के परिणाम पार्टी के अनुकूल नहीं आए तो प्रदेश में पार्टी पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। दरअसल पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने प्रदेश के कांग्रेस नेताओं की धड़कनें बढ़ा रखीं है। इसकी मुख्य वजह पंजाब व उत्तराखंड के चुनाव परिणाम हैं। इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के भीतर जारी गुटबाजी की वजह से ही कांग्रेस की सत्ता में वापसी नही हो सकी है। मप्र ऐसा राज्य है जहां पर कोई तीसरी बड़ी कोई राजनैतिक ताकत नही है। अगर प्रदेश में अन्य प्रांतो की तरह कोई तीसरा दल होता तो अब तक मप्र में भी कांग्रेस पर बड़ा संकट खड़ा हो चुका होता। यही वजह है कि पार्टी में जारी मंथन के बीच डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा के चुनावों को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी और कांतिलाल भूरिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, वरिष्ठ विधायक डा. गोविन्द सिंह,सज्जन सिंह वर्मा से बेहतर समन्वय बनाकर कार्य करने पर विचार किया। बताया जाता है कि सभी नेताओं ने कहा कि प्रदेश संगठन से नाराज चल रहे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव से चर्चा कर उन्हें भी प्रमुख जिम्मेदारी दी जाए। इसका जिम्मा दिग्विजय सिंह और डा. गोविन्द सिंह को दिया गया है। इसकी वजह हैअरूण यादव प्रदेश में पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा है।
नाराज नेताओं पर रहेगी नजर
कांग्रेस पार्टी ने योजना बनाई है कि पार्टी प्रदेश के उन नेताओं पर भी नजर रखने का काम करेगी, जो भले ही दूसरे दलों में , लेकिन वे अपने दलों से नाराज चल रहे हैं। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी ऐसे नेताओं से संपर्क कर पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से चर्चा कर उन्हें पार्टी में शामिल कराने का प्रयास करेगी। इसमें भी ग्वालियर-चंबल संभाग पर पूरी तरह से फोकस किया जाएगा।
लगातार हारने वाली सीटों पर खास फोकस
कांग्रेस ने चुनावी तैयारी के तहत उन सीटों पर भी पूरा फोकस करने का निर्णय लिया है, जिन पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी सीटों पर पार्टी नए चेहरों को उतारने की तैयारी कर रही है। इसके लिए अभी से सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र से तीन से चार युवाओं का चयन पहले से ही करने की तैयारी है। इनमें एक युवा को संबंधित विधानसभा क्षेत्र में काम करने के निर्देश प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा दिए जाएंगे। ताकि सवा साल में वह पूरे विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर सके।
‘घर वापसी’ की भी तैयारी
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा जिस तरह से अपने विस क्षेत्र चुरहट व विन्ध्य प्रदेश में कांग्रेस नेताओं के लिए घर वापसी अभियान चलाया जा रहा है, उसी तरह पूरे प्रदेश में भी कांग्रेस द्वारा अभियान चलाया जाएगा। इसके अंतर्गत किसी कारण से पार्टी से नाराज होकर अन्य दलों में गए नेताओं को फिर कांग्रेस पार्टी में सम्मान वापस लाया जाएगा। इसके लिए जिले बार जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी की जा रही है।