- युवा-महिलाओं ने दिखाई रुचि
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। केन्द्र सरकार द्वारा
संचालित की जा रहीं डेयरी व पशुपालन से संबंधित योजनाओं में मप्र ने बाजी मारते हुए पहला स्थान हासिल किया है। इस सफलता का श्रेय जाता है प्रदेश के युवा व महिलाओं को। इन दोनों ही वर्गों के हितग्राहियों ने इन योजनाओं में बेहद रुचि ली है। यह संभव हो पाया है केंद्रीय नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय पशुधन मिशन के स्वरुप बदलने की वजह से।
इसकी वजह से ही प्रदेश में इन योजनाओं को अब स्वरोजगार के लिए हाथों हाथ लिया जा रहा है। दरअसल पहले इस तरह की आधा सैकड़ा योजनाएं संचलित थीं, जिसकी वजह से लोग भ्रमित हो जाया करते थे और इसकी वजह से लोग इन योजनाओं से दूरियां बना लेते थे। इसके बाद अब नीति आयोग ने इन योजनाओं की समीक्षा करते हुए अब उनकी संख्या 14 तक सीमित कर अनुपयोगी योजनाएं बंद कर दीं, तो कुछ का स्वरूप उपयोगी और नस्ल सुधार वाला बनाकर लागू किया गया है। खास बात यह है कि इनमें से कई योजनाओं में 50 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इधर, प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने मिशन की इन सभी 14 योजनाओं को प्रदेश में लागू किया है, जिसकी वजह से प्रदेश में अब तक इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए 1165 लोगों के आवेदन आए हैं, जिसमें से 745 प्रकरण दस्तावेजी औपचारिकता पूरी करने के बाद सब्सिडी के लिए बैंकों को भी भेज दिए गए हैं। इसकी वजह से ही मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर पहुंच पाया है। इस मामले में मप्र के बाद कर्नाटक और तेलंगाना का नंबर आता है।
इस तरह से हो रहे सपने साकार
भोपाल में हुजूर के कोड़िय़ा की एक युवा गृहणी के मुताबिक पति की छोटी सी सरकारी नौकरी है। ऐसे में परिवार की माली हालत सुधारने के लिए उद्यम करने का विचार आया। पता चला कि पशुधन मिशन के तहत योजना है। आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के बाद 2400 स्क्वेयर फीट में पिग फार्म बनाया। 6 माह में ये परिपक्व हो जाएंगे। पिग की खपत लोकल मार्केट में ब्रीडिंग के लिए बहुत है। इनकी उत्तर-पूर्व के राज्यों में सप्लाई की जाती है। इसी तरह से कटनी में एनकेजे न्यू कटनी यार्ड के आगे गाताखेड़ा गांव के 52 वर्षीय एक किसान का कहना है कि वे पोल्ट्री फॉर्म का काम कर रहे हैं। उन्होंने एक एकड़ के खेत में 9000 स्क्वेयर फीट में शेड बना रखे हैं। वे कहते हैं कि इंजीनियर बेटे के लिए नौकरी से बेहतर स्वरोजगार है। मिशन की नई योजना के तहत आवेदन किया है। पहले चूजे बाहर से मंगाने पड़ते थे, अब खुद ही हैचरी लगाकर उत्पादन करेंगे।
दो तरह के किए गए प्रावधान
मिशन द्वारा इन योजनाओं में पहली बार दो तरह के विकल्प दिए गए हैं। इन योजनाओं के लिए हितग्राहियों और उद्यमियों को उद्यमी मित्र पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। बैंकों से लोन पर 50 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी मिलती है। यह अनुदान राशि समान दो किश्तों में दी जाती है। पहली किस्त बैंक के लोन उपलब्ध कराने पर और दूसरी किस्त परियोजना पूरी होने पर केंद्र सरकार सिडबी बैंक के मार्फत सीधे लोन देने वाले बैंक को जाएगी। दूसरे प्रावधान में स्व-वित्त पोषण की व्यवस्था है, जिसमें हितग्राही को यूनिट के बुनियादी ढांचे के लिए कुल लागत का 25 प्रतिशत खर्च करना होगा। 50 प्रतिशत अनुदान राशि को छोड़कर यूनिट की शेष लागत के लिए 3 अनुसूचित बैंकों से तीन साल की बैंक गांरटी देना होगी। प्रतिभूति प्रतिज्ञा पत्र (श्योरिटी बॉन्ड) भी अनिवार्य है।